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महाशिवरात्रि 2024: भक्ति का पर्व और प्रदोष व्रत का संगम देखें विशेष संयोग एवं लाभ

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महादेव की अराधना में डूबेगा भारत

आस्था का महापर्व महाशिवरात्रि, जो अगले वर्ष 8 मार्च 2024 को मनाया जाएगा, इस बार अपने साथ एक विशेष योग लेकर आ रहा है। पूरे देश में इसे भक्ति और उपासना के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाकर महादेव और माता पार्वती की आराधना करते हैं।

महाशिवरात्रि का महत्व

मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन महादेव शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए, इस दिन पूरा विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के हर क्षेत्र में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। व्रत और पूजा से मनुष्य के सभी कार्य पूर्ण होते हैं, और विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि का दुर्लभ संयोग

इस वर्ष महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत सम्पन्न हो रहे एक ही दिन पर। प्रदोष व्रत का समय 8 मार्च को शाम 6:25 से रात 8:52 तक होगा, जिसमें भक्त भगवान शिव की पूजा कर सकेंगे और उनकी अनुकम्पा प्राप्त कर सकेंगे।

शुभ योग और खगोलीय घटनाएं

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन शिव और सर्वार्थ सिद्धियोग भी बन रहा है, जो महाशिवरात्रि के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है। इस योग में व्रत और ​पूजा-अर्चना की विशेष महत्ता है। कहा जाता है कि इस योग में की गई पूजा से हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

व्रत के नियम और उपाय

महाशिवरात्रि पर व्रत करने के लिए जरूरी है कि सुबह उठते ही स्नान करके पवित्र हो जाएं। यदि संभव हो तो पवित्र नदी में स्नान और वैसे घर में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। साफ सुथरे वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें। व्रत के दिन प्याज़, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, इसे भूलकर भी नहीं करें। इस दिन घर में शांति और सकारात्मकता बनाए रखें और किसी के प्रति अपशब्द न कहें।

इस महापर्व को मनाकर भक्त भगवान शिव से अपने कष्टों का निवारण और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा और व्रत करने के लिए यह पूरी जानकारी हमें हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों से मिलती है। आस्था और विश्वास का यह पर्व हर किसी के लिए विशेष माना जाता है।

Disclaimer: यह लेख हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इसकी पूर्णतया पुष्टि के लिए आप स्वयं धार्मिक ग्रंथों और पंचांग का संदर्भ ले सकते हैं।

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