लक्खी मेले की रौनक और दर्शनों का इंतजार
राजस्थान के सीकर जिले में स्थापित, ख्यातिलब्ध बाबा खाटू श्याम जी का मंदिर प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को अपनी आस्था के स्थान पर बुलाता है। लक्खी मेला, जो कि फाल्गुन माह के दौरान आयोजित होता है, न केवल सीकर बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। इस वर्ष खाटू श्याम जी के भक्त 11 मार्च से अपने प्रिय बाबा के दरबार में हाजिरी देने को उमड़ रहे हैं। लेकिन इस वर्ष, उन्हें कुछ घंटों के लिए थोड़ा इंतजार भी करना पड़ेगा क्योंकि मंदिर के कपाट 21 घंटे के लिए बंद रहेंगे।
क्यों बंद रहेंगे मंदिर के कपाट?
श्री श्याम मंदिर कमेटी ने घोषणा की है कि 11 मार्च को रात्रि 10 बजे से शुरू होकर 12 मार्च की शाम 6 बजे तक मंदिर के गर्भ गृह के कपाट आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहेंगे। यह निर्णय श्री श्याम प्रभु की विशेष पूजा और तिलक समारोह के चलते लिया गया है। इन पवित्र अनुष्ठानों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ संपूर्ण किए जाने की परम्परा है, जिसके लिए मंदिर परिसर को शांत और एकाग्रता युक्त बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
फुलेरा दूज और खाटू श्याम जी की अमावस्या
इस विशेष तिथि के ठीक पहले, 10 मार्च को अमावस्या होगी, जिसके बाद तीज त्योहारों का उत्सव माना जाता है। अमावस्या के दिन बाबा खाटू श्याम का श्रृंगार-तिलक अत्यंत भव्य और दिव्य होता है। देशभर से आए फूलों से उनका श्रृंगार किया जाता है और विशेष प्रार्थनाएँ और अर्चनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।
भक्तों की आस्था का केंद्र
खाटू श्याम जी का लक्खी मेला न सिर्फ भारतवर्ष बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं का भी आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है। विश्व भर से आने वाले भक्त यहां अपनी श्रद्धा और प्रेम का प्रदर्शन करते हैं। कई भक्त तो बाबा के प्रति अपनी भक्ति का इजहार करने के लिए रिंगस से पैदल यात्रा कर सीकर पहुँचते हैं। मेले के दौरान यहां हर रोज 35 से 40 लाख लोग भगवान खाटू श्याम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
अंतत:, यह घोषणा सभी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना है और मंदिर कमेटी ने सभी नियमों का पालन करते हुए दर्शनों के लिए आने की अपील की है। आइए, हम सब मिलकर इस पावन अवसर को मनाएं और बाबा खाटू श्याम के आशीर्वाद से हमारे जीवन में शांति और समृद्धि का विकास करें।
(नोट: उपरोक्त जानकारी लोक मान्यताओं एवं परंपराओं पर आधारित है और स्रोत इसकी सटीकता की पुष्टि नहीं करते हैं।)