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प्रह्लादपुरी मंदिर की गाथा: होली 2024 का आयोजन और इतिहास की झलक

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होली 2024 का आयोजन

हर्षोल्लास और रंगों का त्योहार होली, जो सम्पूर्ण भारतवर्ष में विशेष उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है, इस वर्ष 24 मार्च को होलिका दहन के साथ आरंभ होगा और 25 मार्च को प्रमुख होली पर्व की धूम रहेगी। यह त्योहार न केवल भारत में बल्कि नेपाल, पाकिस्तान और अन्य देशों में भी, जहां हिन्दू समुदाय निवास करता है, वहां भी मनाया जाता है।

पाकिस्तान के प्रह्लादपुरी मंदिर का महत्व

इस रंगों के पर्व में पाकिस्तान स्थित प्रह्लादपुरी मंदिर का एक अत्यंत खास महत्व है। यह मंदिर पाकिस्तान पंजाब के मुल्तान शहर में विराजमान है और यहां का इतिहास भी होली पर्व के आरंभ से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण खुद भक्त प्रहलाद ने करवाया था, जो हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान है। मान्यता है कि होलिका दहन की घटना इसी स्थान पर घटित हुई थी।

मंदिर और मान्यताएं

धार्मिक कथाओं की मानें तो हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को यहीं खंभे से बांधकर उनकी आस्था की परीक्षा ली थी। वहीं भगवान नरसिंह ने प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। 1947 के बंटवारे के पश्चात् यह स्थल पाकिस्तान में स्थित हो गया। पहले यहां होली के पहले 9 दिनों तक उत्सव की धूम रहती थी, परंतु 1992 में घटित बाबरी विध्वंस के बाद इस मंदिर को नष्ट किया गया और तब से यहां भक्तों का आना प्रतिबंधित है।

होलिका और भक्त प्रहलाद का पौराणिक कथा

प्राचीन कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप वह राजा थे जिन्होंने अपने पुत्र प्रहलाद को विष्णु भक्ति से विमुख करने का अनेकों प्रयास किए परंतु प्रहलाद ने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी। अपने प्रयासों में असफल रहकर, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका ने प्रहलाद को गोद में बिठाकर अग्नि में प्रवेश किया, परंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका भस्म हो गई। यही से होलिका दहन की प्रथा का आरंभ हुआ। प्रहलाद के बचने पर हिरण्यकश्यप ने उन्हें बांध दिया, किंतु विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर उसका वध किया।

सांस्कृतिक परम्परा और धार्मिक मान्यताओं की शिक्षाएँ

होली का त्योहार धार्मिक एकता का प्रतीक है और यह सिखाता है कि बुराई, चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, अंत में अच्छाई की जीत होती है। होली की इस पावन पर्व की कथा एक से बढ़कर एक जीवन के पाठ सिखाती है। इस वर्ष होली के इस अवसर पर हम सभी को बुराई के विरुद्ध सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का प्रण करना चाहिए।

नोट: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं और उपलब्ध विवरण पर आधारित है। इसके तथ्यों की पुष्टि के लिए स्वतंत्र स्त्रोतों का संदर्भ लेना उचित होगा।

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