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लखनऊ के अनोखे हनुमान मंदिर में मकरध्वज के संग देवता भक्ति से जुड़ती हर मनोकामना

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हनुमान जी और उनके पुत्र का पावन मंदिर

भारत भूमि अपनी विभिन्न धार्मिक मान्यताओं और पावन स्थलों के लिए विख्यात है। ऐसे ही अनेकों मंदिरों में खास हैं वे स्थल, जहाँ बजरंगबली हनुमान जी न केवल स्वयं, बल्कि अपने पुत्र के साथ विराजमान हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है एक ऐसा ही दिव्य मंदिर जो ना केवल धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि उसकी मान्यता भी अद्भुत है। यहाँ हनुमान जी मकरध्वज के साथ अभिष्ट सिद्धि के दाता के रूप में स्थापित हैं।

चौक क्षेत्र में अवस्थित अद्भुत मंदिर

लखनऊ के चौक इलाके में बड़ी काली जी मंदिर के प्रांगण में विराजित इस मंदिर में जहाँ हनुमान जी के साथ मकरध्वज का भी वास है, वहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है और उनका विश्वास होता है कि मकरध्वज और हनुमान जी की पूजा से उनके संकट दूर होंगे। मंदिर में प्रार्थना और अर्चना की जाती है, और विधि-विधान से पूजन करने पर सभी प्रकार के दोष दूर होने की भी धारणा है।

मकरध्वज – हनुमान जी के असंभव पुत्र

यह सवाल अक्सर जेहन में आता है कि जब हनुमान जी ब्रह्मचारी थे तो मकरध्वज कैसे उनके पुत्र बने? इसके पीछे की कथा काफी रोचक है। कहानी के अनुसार, हनुमान जी के समुद्र में स्नान के समय, उनके पसीने की एक बूंद एक मादा मगरमच्छ के मुख में चली गई जिससे वह गर्भवती हुई और बाद में मकरध्वज का जन्म हुआ। यहीं से शुरू होती है मकरध्वज की कहानी जिन्हें हनुमान जी का पुत्र माना जाता है।

मूर्तियों की स्थापना की अद्भुत गाथा

लखनऊ के मंदिर में हनुमान जी और मकरध्वज की मूर्तियों की स्थापना की कहानी भी कम दिव्य नहीं है। मंदिर के महंत के अनुसार, यहां साधना करने वाले साधुओं को एक सपना आया जिसमें उन्हें हनुमान जी ने आदेश दिया कि उनकी और मकरध्वज की मूर्तियां इस पवित्र स्थान पर स्थापित की जाएं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज भी हनुमान जी की तरह अत्यंत शक्तिशाली थे और उनकी शक्तियां असीम थीं।

हनुमान जी के भक्तों के लिए यह मंदिर न केवल दर्शनीय है बल्कि संकट मोचन का काम भी करता है। उनकी तरह ही उनके पुत्र का भी पूजनीय स्थान बन गया है। मंदिर की यात्रा पर आए भक्तों के चेहरे पर उम्मीद और श्रद्धा की चमक दिखाई देती है और वे यहां से मंगल और आनंदित होकर लौटते हैं।

यह लेख हनुमान जी और मकरध्वज की पूजा से जुड़ी परंपराओं और मान्यताओं का वर्णन करता है जो लोक कथाओं और धार्मिक अनुष्ठानों में निहित हैं। लखनऊ के इस मंदिर की मान्यताएं और विशेषताएं इसे साधारण स्थलों से भिन्न बनाती हैं, जहाँ शक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। निश्चित रूप से, यह स्थान उनके लिए आस्था का केंद्र है जो हनुमान जी की पुत्र मकरध्वज के साथ उनकी अनन्य आराधना करते हैं।

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