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शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश कुछ राशियों के लिए बढ़ सकता है संकट

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ज्योतिष की गणना में ग्रहों का अद्भुत खेल

ज्योतिष शास्त्र अपनी गणनाओं और भविष्यवाणियों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें ग्रहों और नक्षत्रों की गतिविधियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ग्रहों के बदलाव का प्रभाव अलग-अलग राशियों पर विभिन्न रूपों में देखा जा सकता है। ऐसे में जब शनि ग्रह किसी नक्षत्र का चयन करते हुए वहां अपनी स्थिति बदलते हैं, तो ज्योतिषीय जगत में इसे बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी कारण, शनि ग्रह के पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करने की खबर ने कई लोगों की उत्सुकता बढ़ा दी है।

शनि का परिवर्तन और इसके फल

शनि ग्रह कुंभ राशि में अपनी मूल त्रिकोण स्थिति से आगे बढ़कर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में 6 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 55 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इस बदलाव के प्रभाव से कोई भी जातक अछूता नहीं रहेगा, लेकिन कुछ राशियों के लोगों को विशेषतौर पर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

कौन सी राशियां होंगी प्रभावित?

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार के अनुसार, 12 में से 3 राशियों को इस दौरान विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।

कर्क राशि: सावधानियों का संकेत

कर्क राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है, और अब जब शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तो इस राशि के लोगों को धन हानि, व्यवसायिक बाधा और स्वास्थ्य सम्बंधित चुनौतियां उठानी पड़ सकती हैं। व्यक्तिगत संबंधों में भी उतार-चढ़ाव के आसार हैं।

कुंभ राशि: ध्यान देने योग्य परिस्थितियां

कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती पहले से चल रही है। नक्षत्र परिवर्तन से यह राशि विशेष तौर पर प्रभावित होगी। आर्थिक नुकसान, शारीरिक बीमारियों, व्यापारिक समस्याओं के साथ-साथ मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। उपाय के रूप में सावधानीपूर्वक कदम उठाना और सोच-समझकर निवेश करना महत्वपूर्ण होगा।

मीन राशि: चुनौतीपूर्ण समय

मीन राशि के जातकों के लिए पूर्वाभाद्रापद नक्षत्र में जाना अशुभ साबित होने के आसार हैं। व्यापार और निजी जीवन में तनाव का अनुभव हो सकता है। आय के स्रोतों में कमी, अधिकारियों की असंतोष एवं एकाग्रता की कमी जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस समयावधि में वित्तीय योजनाओं को ध्यान से आगे बढ़ाना होगा।

इन प्रभावों के लिए उपाय और सुझाव ढूंढने हेतु ज्योतिषीय परामर्श का सहारा लेना उचित रहेगा। अन्त में, हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि ज्योतिष शास्त्र मान्यताओं पर आधारित होता है और इसे सटीक विज्ञान के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। जरूरत के अनुसार जीवन में संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखना ही सबसे श्रेष्ठ उपाय है।

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