अयोध्या में रामलला को सोने की चादर से अंकित रामचरितमानस की भेंट
भक्ति और श्रद्धा की अद्भुत कहानियाँ अक्सर भारत की गलियों में सुनी जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है मध्य प्रदेश के पूर्व IAS लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी की, जिन्होंने अपनी गहन भक्ति और आस्था का परिचय देते हुए अयोध्या के श्रीराम मंदिर को एक अनुपम उपहार प्रदान किया है।
इस अत्यंत मूल्यवान उपहार के रूप में पूर्व IAS दंपति ने रामचरितमानस के 500 पेजों पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ायी है और इसे नवरात्रि के पावन पर्व पर गर्भगृह में स्थापित किया गया। इसकी तैयारी में 4 किलोग्राम सोने और 140 किलोग्राम तांबे का इस्तेमाल हुआ है। यह भेंट न केवल उनकी आस्था का प्रमाण है बल्कि उनके जीवन भर की कमाई का उत्सर्ग भी है।
स्वर्ण मंडित रामचरितमानस का माहत्म्य
रामचरितमानस, जो तुलसीदास द्वारा रचित एक महान काव्य है, वह सदियों से भारतीय संस्कृति में भक्ति की अनूठी मिसाल रही है। और जब यह ग्रंथ स्वर्ण की पवित्रता से युक्त हो जाता है, तो इसका महत्व अनंत काल तक बढ़ जाता है। 151 किलो की इस स्वर्णित ग्रंथ की अर्थपूर्णता और आध्यात्मिकता को शब्दों में बांध पाना असंभव है। भगवान श्रीराम के गर्भगृह को इस पवित्र ग्रंथ से सुशोभित करने की कल्पना ही भक्ति की गहराई को दर्शाती है।
आस्था की अटूट पराकाष्ठा
पूर्व IAS दंपति लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी द्वारा दान किया गया यह विशिष्ट ग्रंथ उनकी भक्ति की गहराई और भगवान श्रीराम के प्रति समर्पण का प्रतीक है। रामचरितमानस के प्रत्येक पृष्ठ पर चढ़ायी गयी सोने की परत न केवल इसकी शोभा बढ़ाती है बल्कि यह पूर्व IAS दंपति की अद्वितीय आस्था का परिचायक भी है।
इस ग्रंथ को निर्मित करने में करीब 5 करोड़ रुपये की लागत आई, जो इसकी अपार धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के साथ-साथ उनकी धार्मिक एवं अध्यात्मिक समर्पण को दर्शाती है।
श्रीराम मंदिर ट्रस्ट का प्रतिसाद और भक्तों की प्रतिक्रिया
मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस भेंट को प्राप्त करने के बाद, भक्तों में काफी उत्साह और चर्चा का वातावरण बन गया है। गर्भगृह में मौजूद इस स्वर्णित ग्रंथ को देखने के लिए अयोध्या के श्रीराम मंदिर में आने वाले लोगों की भीड़ अब और भी बढ़ गयी है। भक्तगण इसे देखकर अपनी आंखों में आँसू की बूँदें लिए भगवान की भ
क्ति में मंत्रमुग्ध होकर खड़े रहते हैं।
अंततः, यह घटना विश्वास, आस्था और समर्पण की उच्चतम मिसाल है जो न केवल भारत में बल्कि सारी दुनिया में धार्मिक भावना और भक्ति के प्रति प्रशंसा और प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।