राम दरबार की मान्यता
हिंदू धर्म में राम दरबार की एक विशेष भावना और अर्थ है। यह दिव्य सभा भगवान श्री राम को माता सीता, भ्राता लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न के साथ सामर्थ्य और अनंत भक्ति के साथ पेश करती है। इसके आलावा, परम भक्त हनुमान भी इस दरबार की शोभा बढ़ाते हैं। ये वही सभा है जिसे ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में प्रेम व मित्रता की प्रतीक माना जाता है। श्री राम दरबार को घर में स्थापित करना शुभ माना जाता है, और इसकी स्थापना सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।
वास्तु शास्त्र में दिशा का महत्व
राम दरबार की प्रतिमा या चित्र को घर में स्थापित करते समय, वास्तु शास्त्र में दिशा का उल्लेखनीय महत्व है। शुभता के लिए, प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना पूर्व दिशा में की जानी चाहिए। अनुचित दिशा में स्थापना से शुभ प्रभावों की कमी होती है और यह व्यक्ति की भावनाएं भगवान तक नहीं पहुंचने देता है। पूर्व दिशा में स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का वातावरण बनता है।
शुभ मुहूर्त का चयन
राम दरबार की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करने के लिए शुभ मुहूर्त को चुनना जरूरी है। अभिजीत मुहूर्त को सबसे शुभ समय माना जाता है। इस समय पर स्थापना करने से माना जाता है कि भगवान श्री राम की कृपा प्राप्त होती है और शुभ फलों का अनुभव होता है।
पूजा और भोग
राम दरबार की स्थापना के बाद नियमित पूजा और आरती बहुत महत्वपूर्ण होती है। भगवान को भोग लगाना और उनके समक्ष प्रार्थना करना घर में धार्मिक और पावन वातावरण बनाए रखता है। पूजा से घर में प्रेम की भावना मज़बूत होती है और धन-धान्य की बरकत बनी रहती है।
निष्कर्ष में, ये सारी बातें सामान्य मान्यताएं और धार्मिक प्रचलन पर आधारित हैं। घर में राम दरबार की स्थापना से जुड़ी ये जानकारियाँ व्यक्ति की आस्था और विश्वास को पुष्ट करती हैं। इसलिए, घर में राम दरबार की छवि या प्रतिमा स्थापित करने से पहले इन निर्देशों का ख्याल रखना लाभप्रद होता है। यदि आप संस्कृति और धर्म के प्रति आस्थावान हैं, तो इन उपायों को अपनाकर निश्चित ही आप अपने जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।