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आदिवासी लड़की रोहिणी ने JEE में पाया 73.8 प्रतिशत NIT त्रिची में प्रवेश

तमिलनाडु की होनहार बेटी रोहिणी

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में एक आदिवासी समुदाय की अठारह साल की लड़की रोहिणी ने अपने हौसले और मेहनत से ऐसी मिसाल कायम की है, जो हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगी। रोहिणी ने भारत की सबसे कठिन इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में से एक जेईई (JEE) में 73.8 फीसदी अंक हासिल कर एक नयी ऊँचाई को छुआ है। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के फलस्वरूप उन्हें राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), त्रिची में दाखिला मिला है।

चुना केमिकल इंजीनियरिंग का कोर्स, सरकार चुकाएगी फीस

रोहिणी ने एनआईटी त्रिची में केमिकल इंजीनियरिंग कोर्स के लिए अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है। राज्य सरकार उनकी पढ़ाई की सभी फीस का भुगतान करेगी। उनके इस अचीवमेंट पर बात करते हुए रोहिणी ने कहा, “मैं एक आदिवासी समुदाय से हूँ और मैंने एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है। जेईई में 73.8 फीसदी अंक प्राप्त किए और एनआईटी त्रिची में केमिकल इंजीनियरिंग के लिए जगह पाई। मुझे दाखिले के लिए राज्य सरकार की तरफ से पूरी मदद मिल रही है और इसके लिए मैं मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूँ।”

बेहद खास और प्रेरणा देने वाली है रोहिणी की कामयाबी

रोहिणी की सफलता इस मायने में और भी खास है क्योंकि उन्होंने अपनी कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि और सामाजिक परिस्थितियों के बावजूद खुद को साबित किया है। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और उनका घर चिन्ना इलुपुर गांव में स्थित है। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वह भी दिहाड़ी मजदूरी करती थीं ताकि अपने परिवार की मदद कर सकें।

माता-पिता के साथ दिहाड़ी मजदूरी, घर के कामकाज के बाद पढ़ाई

रोहिणी ने बताया, “मेरे माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और यहां तक कि मैंने भी परीक्षा की तैयारी के दौरान दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया। चूंकि मैंने अच्छी पढ़ाई की, इसलिए मुझे त्रिची एनआईटी में सीट मिल गई।”

समाचार एजेंसी एएनआई ने रोहिणी का एक प्रेरणादायक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। इस वीडियो में रोहिणी को अपने घर में खाना बनाते, बागवानी करते और पढ़ाई करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो की समाप्ति पर वह अपने जेईई परीक्षा का एडमिट कार्ड भी दिखाती हैं।

सोशल मीडिया पर रोहिणी की तारीफ

रोहिणी की कहानी ने सोशल मीडिया पर धमाल मचा दिया है। वीडियो को लाखों व्यूज और अनगिनत तारीफों से भरपूर कमेंट्स मिले हैं। एक यूजर ने लिखा, “इतनी असाधारण उपलब्धि हासिल करने के लिए उन्हें मेरी हार्दिक बधाई।” एक अन्य यूजर जयश्री ने लिखा, “उनके अदम्य प्रयासों और एनआईटी त्रिची में सीट पाने के लिए बधाई।”

आरक्षण पर भी उठे सवाल

कुछ यूजर्स ने इस मुद्दे पर भी बात की कि आनंद की इस कहानी ने आरक्षण के सही उपयोग का उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक यूजर ने लिखा, “आखिरकार किसी को आरक्षण का वास्तविक लाभ मिला। सरकार को जल्द ही आरक्षण के दायरे में आने वाले लोगों का सर्वेक्षण और सत्यापन करना चाहिए।”

साधारण जीवन, असाधारण सपने

रोहिणी का जीवन और उनका संघर्ष हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने दिसामिलते हौसले से यह साबित कर दिया है कि परिश्रम और दृढ़ संकल्प से किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है। परिवार की आर्थिक स्थिति कितनी ही कमजोर क्यों न हो, अगर सच्ची लगन हो तो सफलता अवश्य मिलती है।

निष्कर्ष

रोहिणी की कहानी यह बताती है कि संघर्षों के बावजूद अगर दिल में कुछ कर दिखाने का जुनून हो तो सफलता पायदानों पर कदम रखने से कोई नहीं रोक सकता। उनकी इस ऐतिहासिक सफलता के लिए राज्य सरकार, उनके विद्यालय और उनके परिवार का समर्थन अद्वितीय है। तमिलनाडु की इस होनहार बेटी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।

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