शिवाजी के ‘बघनखा’ की लंदन से वापसी
लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में रखा जा रहा ‘बघनखा’ या बाघ के पंजे के आकार वाला हथियार, जो अब महाराष्ट्र के सतारा स्थित संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए लाने की योजना है, एक लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। क्या यह वही ‘बघनखा’ है जिसका इस्तेमाल छत्रपति शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मारने के लिए किया था? इस विषय पर उठे विवाद को लेकर महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने हाल ही में विधानसभा में स्थिति स्पष्ट की है।
बघनखा का ऐतिहासिक महत्व
‘बघनखा’ का एक विशेष ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह शिवाजी महाराज की वीरता और संसाधनशीलता का प्रतीक है। शिवाजी महाराज ने अपनी युवा आयु में ही ‘गनिमी कावा’ (गuerilla warfare) के तकनीक का उपयोग करते हुए अपनी स्वतंत्रता और आत्म रक्षा को स्थापित किया था। इस हथियार का उल्लेख उस समय से है जब शिवाजी महाराज ने अफजल खान के साथ मीटिंग के दौरान उनका वध किया था, जो मराठा साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण विजय थी।
विवाद की जड़
विवाद की जड़ तब शुरू हुई जब इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने दावा किया कि लंदन से महाराष्ट्र लाया जा रहा ‘बघनखा’ शिवाजी महाराज का नहीं है, बल्कि असली ‘बघनखा’ सतारा में ही मराठा योद्धा राजा के वंशजों के पास है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘बघनखा’ को तीन साल के लिए 30 करोड़ रुपये के ऋण समझौते पर राज्य में लाया जा रहा है।
मंत्री की सफाई
महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने स्पष्ट किया कि किसी ने यह दावा नहीं किया है कि लंदन से लाया जा रहा ‘बघनखा’ शिवाजी महाराज द्वारा अफजल खान को मारने के लिए इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने केवल 14.08 लाख रुपये खर्च किए हैं यात्रा व्यय और समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए।
अनुयायियों की प्रतिक्रिया
शिवाजी महाराज के अनुयायियों द्वारा प्रस्तुत फोटो साक्ष्यों के आधार पर यह पुष्टि की गई कि लंदन संग्रहालय के एक बक्से में ‘बघनखा’ रखा गया है और इसमें उल्लेख किया गया है कि इसका इस्तेमाल अफजल खान को मारने के लिए किया गया था। हालांकि, संग्रहालय के अधिकारियों ने कभी यह दावा नहीं किया कि यह वही ‘बघनखा’ है जिसका उपयोग शिवाजी महाराज ने किया था।
सरकारी प्रयास
सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि यह हथियार तीन साल के लिए प्रदर्शनी के लिए राज्य में लाया जायेगा। आरंभ में लंदन स्थित संग्रहालय ने एक वर्ष के लिए हथियार देने पर सहमति जताई थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे तीन वर्ष के लिए राज्य में प्रदर्शन के वास्ते सौंपने के लिए राजी कर लिया।
यह हथियार कहां प्रदर्शित होगा?
यह ‘बघनखा’ 19 जुलाई को सतारा के सरकारी संग्रहालय में योद्धा राजा के वंशजों की उपस्थिति में प्रदर्शित किया जायेगा। इस प्रकार, यह विवाद उस समय समाप्त हो सकता है जब यह दावा और तथ्य के बीच की असफलता का अंतिम रूप से निपटारा हो।
आश्वासन और समर्थन
मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस बात पर जोर दिया कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक आदर्श शासक थे और सभी के लिए वह प्रेरणास्रोत हैं। यह पहल निश्चित रूप से शिवाजी महाराज की विरासत को संजोने और आने वाली पीढ़ियों को उनके वीरता और संघर्ष की प्रेरणा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस पूरे विवाद और स्पष्टताओं के बाद, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी ऐतिहासिक धरोहर को सहेज कर रखें और साथ ही सत्यापन और शोध पर विश्वास करें। ऐतिहासिक वस्तुओं का सही मूल्यांकन और दर्ज करना हमारी संस्कृति और इतिहास को समझने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस लेख के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि विवादों के बावजूद, महाराष्ट्र सरकार का यह प्रयास हमारी धरोहर को संजोने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ‘बघनखा’ की सत्यता भले ही विवादों में हो, लेकिन इसका ऐतिहासिक मूल्य और उसकी प्रासंगिकता सदैव हमारे मानस पटल पर अंकित रहेगी।