क्या हम सच में आज़ाद हैं?
जब हम देश की 77वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे होते हैं, उसी समय देश के विभिन्न हिस्सों से महिलाओं के साथ रेप और मर्डर की खबरें आती हैं, जो एक बार फिर हमें झकझोर देती हैं। कोलकाता में एक महिला डॉक्टर ट्रेनी के साथ हुए रेप और हत्या के बाद उत्तराखंड में एक नर्स के साथ हुई घिनौनी वारदात ने सबको स्तब्ध कर दिया है। हमें यह सवाल खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम सच में आज़ाद हैं? क्या एक स्वतंत्र समाज में इस प्रकार की हिंसा का कोई स्थान होना चाहिए?
भारत में प्रति दिन 86 रेप केस
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, हर दिन भारत में औसतन 86 रेप केस दर्ज होते हैं। परंतु हकीकत में यह संख्या इससे भी अधिक हो सकती है क्योंकि कई मामलों की रिपोर्ट ही नहीं होती। एक ऐसा देश जो महिलाओं को मां, बेटी, और देवी का दर्जा देता है, वहां इस प्रकार की घटनाएं कैसे हो सकती हैं? क्यों एक पुरुष ऐसी घिनौनी हरकत करने के बारे में सोचता है?
रेपिस्ट के प्रकार
रेपिस्ट कई प्रकार के होते हैं और उनके अपराध करने के कारण भी विभिन्न होते हैं। सामान्यतः इन्हें तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. **यौन संतुष्टि के लिए अवसर तलाशने वाले:** ये वह लोग होते हैं जो महिलाओं को अकेले या नशे की हालत में देख कर अवसर का लाभ उठाने का प्रयास करते हैं।
2. **अपमानित या नीचा दिखाने के उद्देश्य से:** ये लोग किसी महिला को अपमानित करने या उसे नीचा दिखाने के लिए रेप करते हैं।
3. **महिला को निम्न मानने वाले:** ऐसे लोग जो यह मानते हैं कि उन्हें महिला का रेप करने का अधिकार है क्योंकि उन्होंने अपने अतीत में किसी महिला द्वारा अपमान या अस्वीकार का सामना किया है।
रेपिस्ट बनने के कारण
रेपिस्ट बनने के पीछे मुख्यतः तीन चीजें होती हैं:
1. **सहानुभूति की कमी:** एक व्यक्ति जो महिलाओं के प्रति सहानुभूति रखता है, उनके प्रति नफरत करता है और सिर्फ खुद के बारे में सोचता है, उसके रेपिस्ट बनने की संभावना सबसे अधिक होती है।
2. **नफरत और घृणा:** यह लोग अक्सर महिलाओं के प्रति नफरत और घृणा रखते हैं और इन्हें नीचा दिखाने की ओर प्रेरित होते हैं।
3. **संबंधों की जटिलताएं:** जो लोग एक सामान्य यौन संबंध में नहीं होते, वे भी अक्सर रेपिस्ट बन सकते हैं।
डॉ. सैमुअल डी. स्मिथ मैन, जो एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक हैं, ने 1970 में 50 ऐसे पुरुषों से बातचीत की जिन्होंने रेप किया था। उन्होंने पाया कि जो पुरुष महिलाओं के प्रति सहानुभूति नहीं रखते, उनसे घृणा करते हैं, उनकी रेपिस्ट बनने की संभावना सबसे अधिक होती है।
रेप को सही ठहराना
रेपिस्ट अक्सर अपने किए को सही ठहराने की कोशिश करते हैं। उन्होंने अपने अपराध को मान्यता देने के बाद इसके लिए विभिन्न कारण ढूंढने का प्रयास किया। वे अपने घिनौने कृत्य को जायज ठहराने के लिए विभिन्न तर्क प्रस्तुत करते हैं।
समाज की भूमिका
समाज को यह समझने की जरूरत है कि रेप सिर्फ एक यौन अपराध नहीं है, यह एक मानसिक विकृति है। इसके पीछे नफरत, घृणा, और महिलाओं के प्रति असहमाणना के भाव होते हैं। हमें ऐसे अपराधों के प्रति संवेदनशील होना पड़ेगा और अपने समाज में महिलाओं के प्रति सहानुभूति और सम्मान को स्थापित करना होगा।
निष्कर्ष
हमारे समाज को इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा कि जो हमारे साथ हो रहा है वह सामान्य नहीं है। हमें अपनी लड़ाई कानून के साथ-साथ समाजिक और मानसिक स्तर पर भी लड़नी होगी। एक समाज जो महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा प्रदान कर सकता है, वास्तव में वही समाज आज़ाद है। यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह इस दिशा में कदम उठाए और समाज को एक बेहतर और सुरक्षित स्थान बनाए।
इसलिए, जब हम आज़ादी की बात करते हैं तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यह सिर्फ हमारी, पुरुषों की आज़ादी नहीं है, बल्कि महिलाओं की भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। एक सच्चे आज़ाद समाज में महिलाएं भी बिना डर और असुरक्षा के जीवन व्यतीत कर सकती हैं।