सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले पर रोक लगा दी है। इस फैसले में उत्तर प्रदेश सरकार को 69,000 सहायक शिक्षकों की नई चयन सूची तैयार करने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे हाईकोर्ट के फैसले की गहन स्टडी के लिए और समय चाहिए।
पृष्ठभूमि
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 की चयन सूचियों को रद्द कर दिया था और उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह 2019 में आयोजित सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (ATRE) के आधार पर नई चयन सूची तीन महीने के भीतर जारी करे। इस आदेश का तत्काल प्रभाव शिक्षकों पर पड़ने वाला था जो पहले से ही नौकरी कर रहे थे।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विशेष रूप से यह कहा था कि यदि कोई आरक्षित वर्ग का प्रत्याशी सामान्य वर्ग के बराबर मेरिट में आता है तो उसका चयन सामान्य वर्ग में ही किया जाना चाहिए। इसका सीधा असर कई शिक्षकों के रोजगार पर पड़ता और कई शिक्षक अपनी नौकरी खो सकते थे।
सुप्रीम कोर्ट की आदेश स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और संबंधित पक्षों से कहा कि वे अपनी लिखित दलीलें जमा करें। कोर्ट ने आगामी सुनवाई की तारीख 25 सितंबर को तय की है।
राज्य सरकार का पक्ष
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी शीर्ष अदालत में पेश हुईं। उन्होंने कोर्ट में दलील पेश की कि शिक्षकों का रोजगार सुरक्षित रहे और शिक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार का बाधा न आए।
शिक्षकों का रोजगार खतरे में
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे सहायक शिक्षकों पर नौकरी खोने का खतरा मंडराने लगा था। इस तनाव के बीच, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ है।
शिक्षकों और छात्रों पर प्रभाव
हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि नई चयन सूची तैयार करते समय वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों पर किसी भी प्रकार का नुकसानदेह प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए ताकि वे जारी शैक्षणिक सत्र को पूरा कर सकें। इस प्रकार का निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि छात्रों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए।
सोशल-मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सोशल-मीडिया पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कई शिक्षकों ने अदालत के इस निर्देश की सराहना की और कहा कि इससे उनके रोजगार की स्थिरता बनी रहेगी। वहीं, कुछ लोगों ने इसे न्यायालय द्वारा मामलों के लंबे खिंचाव का एक और उदाहरण बताया।
आगे की प्रक्रिया
अब सभी पक्षों को सात पन्नों में अपने संक्षिप्त लिखित नोट दाखिल करने के लिए कहा गया है। 23 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगी।
क्या हो सकता है भविष्य
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अभी अपूर्ण है और 25 सितंबर को फिर से इस पर चर्चा होगी। अगर सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले को मान्यता देती है, तो यह उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर बड़ा असर डाल सकता है। वहीं, अगर सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की दलीलों को मान्यता देती है, तो शिक्षक अपने वर्तमान पद पर कार्यरत रह सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक नई दिशा और पथ साफ किया है जिसके आधार पर आगामी निर्णय लिया जाएगा। अदालत का यह आदेश भी निश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रिया का पालन विस्तृत जांच के बाद किया जाएगा और इससे संबंधित पक्षों को अपना पक्ष सही ढंग से रखने का अवसर मिलेगा।
(पीटीआई इनपुट के साथ)