kerala-logo

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक


हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर तात्कालिक रोक लगाई है। यह फैसला काफी चर्चित और विवादास्पद रहा, जिससे राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नौकरियों पर संकट आ गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि जून 2020 और जनवरी 2022 की सिलेक्शन लिस्ट को रद्द करते हुए, 2019 में हुई (ATRE) सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर नई चयन सूची तैयार की जाए। हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा था कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार यदि जनरल कैटेगरी के बराबर मेरिट प्राप्त कर लेते हैं, तो उनका चयन जनरल कैटेगरी में ही माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निर्णय पर रोक लगाने के पीछे तर्क दिया कि उन्हें इस फैसले की उचित स्टडी के लिए समय चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से लिखित दलीलें जमा कराने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर को तय की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने शीर्ष अदालत में पेश होकर राज्य का पक्ष रखा।

वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों का भविष्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से उत्तर प्रदेश में नौकरी कर रहे 69,000 सहायक शिक्षकों का भविष्य अंधकार में पड़ गया था। यदि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार नई चयन सूची तैयार होती, तो बड़ी संख्या में शिक्षकों की नौकरियों पर संकट आ सकता था। उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि नई चयन सूची तैयार करते वक्त, वर्तमान में कार्यरत सहायक अध्यापकों पर किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जाना चाहिए, ताकि वे जारी शैक्षणिक सत्र को पूरा कर सकें।

राज्य सरकार का पक्ष

उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि नई चयन सूची तैयार करने से न केवल वर्तमान शिक्षकों की नौकरियों पर संकट आएगा, बल्कि इससे शैक्षणिक सत्र में भी अवरोध उत्पन्न होगा। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि चयनित उम्मीदवारों की मेरिट को लेकर विवाद पहले से ही चल रहा है, और ऐसी स्थिति में नई सूची तैयार करना उचित नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट का नजरिया

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले की गहराई से जांच-पड़ताल करने की आवश्यकता है। साथ ही, कोर्ट ने संबंधित पक्षों को अधिकतम सात पन्नों के संक्षिप्त लिखित नोट दाखिल करने को कहा, ताकि मामले की सुनवाई में कोई देरी न हो।

आगे का रास्ता

इस मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी, जहां अदालत सभी पक्षों की दलीलें सुनकर अंतिम निर्णय लेगी। तब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश स्थगित रहेगा, जिससे वर्तमान में कार्यरत सहायक शिक्षकों को शायद कुछ राहत मिले।

हाईकोर्ट के आदेश की समीक्षा के दौरान, सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि चयन प्रक्रिया में कोई गलती न हो और सभी वंचित वर्गों के अधिकार सुरक्षित रहें। साथ ही, राज्य सरकार के निर्णय की पारदर्शिता को भी परखा जाएगा।

(पीटीआई इनपुट के साथ)

Kerala Lottery Result
Tops