पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
क्या उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दांव-पेंच एक बार फिर से उलटफेर का सामना करने जा रहे हैं? कुछ ऐसा ही नजर आने लगा है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन में दरार बढ़ती जा रही है। अखिलेश यादव और राहुल गांधी, जिन्होंने कुछ महीने पहले ही साथ आने का फैसला किया था, अब एक बार फिर से अपने रास्ते अलग करने की कगार पर हैं।
फूलपुर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का हंगामा
फूलपुर उपचुनाव के मद्देनजर कांग्रेस का संविधान सम्मेलन हंगामे की भेंट चढ़ गया। मंच के सामने कांग्रेस के कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए और जमकर मारपीट हुई। इस घटना को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय ने भी देखा। क्या यह हंगामा दोनों दलों के बीच की दरार को और गहरा करेगा? यह सवाल अब सियासी गलियारों में गूंजने लगा है।
गठबंधन में समस्या
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सीटें दी थीं। परंतु विधानसभा उपचुनाव में स्थिति बदल गई है। कांग्रेस 10 उपचुनाव सीटों में से 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है, जबकि अखिलेश यादव इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं हैं और मात्र 2 सीटें ही देने पर अड़े हुए हैं।
पूर्व यानी वर्तमान विवाद
सूत्रों का कहना है कि हरियाणा और जम्मू कश्मीर में राहुल गांधी ने समाजवादी पार्टी को सीटें न देकर अखिलेश यादव को निराश किया था। अब उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में अखिलेश यादव वही बदला लेने की कोशिश में हैं। उन्होंने हरियाणा और जम्मू कश्मीर में अपने दम पर उम्मीदवार उतारे थे, जिससे उनके सबंध राहुल गांधी से और भी खराब हो गए।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि वे उपचुनाव में पूरी तैयारी के साथ उतरेगी। राहुल गांधी ने इन सभी 10 सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षकों की तैनाती कर दी है और प्रत्याशियों के आवेदन मंगाने शुरू कर दिए हैं। इससे अखिलेश यादव पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है कि अगर वे सहमत नहीं हुए, तो कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी दोनों दलों के बीच की इस खटास पर कटाक्ष कर रही है और इसे अपने फायदे के रूप में भी देख रही है। इनके अनुसार, अखिलेश-राहुल की तथाकथित दोस्ती पर सवाल उठ रहे हैं और बीजेपी इस दरार का पूरा फायदा उठाने की योजना बना रही है।
भविष्य की राह
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि यह गठबंधन विधानसभा उपचुनाव से पहले टूट सकता है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ही दल अपने-अपने तरीके से आगे की रणनीति बना रहे हैं। अखिलेश यादव अपने दम पर समाजवादी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं, जबकि कांग्रेस अपनी जमीन पक्की करने का प्रयास कर रही है।
संभावित परिणाम
अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें दी थीं, जिसमें कांग्रेस ने 6 पर जीत हासिल की थी। अब विधानसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस अखिलेश यादव से उसी दरियादिली की उम्मीद कर रही है। शायद इस बार कांग्रेस का एकल रूप से उपचुनाव लड़ने का इरादा भी स्पष्ट नजर आ रहा है।
निष्कर्ष
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच यह टूट आगामी विधानसभा उपचुनाव में बड़े सियासी उलटफेर का संकेत हो सकती है। इस दरार का असर ना सिर्फ उत्तर प्रदेश की सियासत पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा सकता है।
(प्रयागराज से मोहम्मद गुफरान की रिपोर्ट)