भारतीय वायुसेना को नया ताकतवर तोहफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत भारतीय वायुसेना को एक नया और महत्वपूर्ण तोहफा मिला है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने सुखोई फाइटर जेट के लिए देश में ही विकसित पहला इंजन भारतीय वायुसेना को सौंपा है। यह इंजन ‘एएल-31 एफपी’ भारतीय वायुसेना की समृद्धि और सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अनुबंध की विशेषताएं
पिछले महीने ही रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ 240 सुखोई फाइटर जेट इंजनों की खरीद के लिए एक महत्वपूर्ण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इस अनुबंध की कुल कीमत 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। इस अनुबंध के तहत एचएएल हर वर्ष 30 एयरो इंजन की आपूर्ति करेगा और अगले आठ वर्षों में सभी 240 एयरो इंजनों की आपूर्ति पूरी कर ली जाएगी।
मेक इन इंडिया की महत्वपूर्ण पहल
यह अनुबंध आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत किया गया है ताकि रणनीतिक सामग्री और उपकरणों की निर्भरता विदेशी आपूर्ति पर न हो। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस योजना के तहत एचएएल 54 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के उपयोग का औसत हासिल करेगा और इसे 63 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा गया है। इससे एयरो इंजनों की मरम्मत में भी स्वदेशी सामग्री का उपयोग बढ़ेगा और भारतीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय उत्पादन का महत्व
यह इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के कोरापुट डिवीजन द्वारा निर्मित किया गया है। इस डिवीजन ने पिछले कई दशकों से मिग-21 और मिग-29 के रखरखाव और संचालन में अहम भूमिका निभाई है। अब यही डिवीजन सुखोई फाइटर जेट के इंजन भी विकसित कर रहा है, जिससे भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
रणनीतिक लाभ
भारतीय वायुसेना के बेड़े में सुखोई-30 एमकेआई विमानों का समावेश सबसे शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाता है। सुखोई-30 एमकेआई एक मल्टीरोल फाइटर जेट है जो उच्च स्तरीय युद्धक क्षमता और विविध मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है। ये इंजनों के स्थानीय निर्माण से भारतीय वायुसेना को अपने ऑपरेशनल और सुरक्षा लक्ष्यों को और भी मजबूती से हासिल करने में मदद मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय का दृष्टिकोण
रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह के महत्वपूर्ण समझौते ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अनुबंध के तहत न केवल भारतीय सुरक्षा बलों की क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि देश की तकनीकी और औद्योगिक आधार को भी मजबूती मिलेगी। इस दृष्टिकोण से आत्मनिर्भरता की दिशा में की गई यह पहल वाकई काबिले तारीफ है।
इंजन की विशेषताएं
सुखोई-30 एमकेआई के लिए बनाए गए इन इंजन का निर्माण करीब 54 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से किया गया है। इन इंजनों के कई प्रमुख घटकों को देश में ही तैयार किया गया है, जिससे इनकी गुणवत्ता और कार्यक्षमता भी उन्नत हो गई है। इनकी रचनात्मक प्रक्रिया में अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों का उपयोग किया गया है।
भविष्य की योजना
एचएएल और रक्षा मंत्रालय भविष्य में भी कई ऐसी परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं जो भारतीय रक्षा तंत्र को और भी सशक्त बनाएंगी। इस अनुबंध के तहत एचएएल स्वदेशी निर्माण के औसत को 63 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे न केवल भारतीय वायुसेना बल्कि पूरी भारतीय रक्षा प्रणाली को भी सशक्त किया जाएगा।
समापन
भारतीय वायुसेना को मिली इस नई तकनीकी और सामरिक ताकत से देश की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत भारतीय वायुसेना को यह नया इंजन प्राप्त होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो न केवल हमारी सामरिक क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि हमारे औद्योगिक और तकनीकी आधार को भी सशक्त करेगा।