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हरियाणा विधानसभा: सीएम पद के लिए भाजपा में होड़


हरियाणा में विधानसभा चुनाव का वातावरण गरम है। सभी 90 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहे हैं, जहां जनता के साथ-साथ सियासी दलों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। मतदान के दिन पोलिंग बूथों के बाहर लंबी कतारें दिख रही हैं। हरियाणा के इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला है। इस बार 1031 उम्मीदवारों का भविष्य उद्गाटित होना है। हालांकि, परिणाम 8 अक्टूबर को आने वाले हैं, लेकिन इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) में मुख्यमंत्री पद की होड़ और बयानबाजी देखी जा रही है।

मुख्यमंत्री चेहरे पर बयानबाजी

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करनाल में वोट डालने के बाद कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने दावा किया कि भाजपा राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब तक अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं कर पाई है, जबकि भाजपा ने पहले ही अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल को भ्रष्टाचार का युग बताया और कहा कि भाजपा के शासन में हरियाणा में काफी औद्योगिक विकास हुआ और रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

अनिल विज की उम्मीदें

भाजपा के वरिष्ठ नेता और अंबाला कैंट से उम्मीदवार अनिल विज ने भी अपना दावा पेश किया है। अनिल विज का मानना है कि यदि पार्टी चाहेगी तो वह मुख्यमंत्री बनेगा। उन्होंने कहा, “सरकार भाजपा की बनेगी और मुख्यमंत्री वही बनेगा जिसे पार्टी चाहेगी।” हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब विज ने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई हो, इससे पहले भी वे अपने राजनीतिक करियर में ऐसी अभिव्यक्तियां कर चुके हैं।

नायब सिंह सैनी का नामांकन

भाजपा ने हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के लिए नायब सिंह सैनी को अपना चेहरा घोषित किया है। 2014 में जब भाजपा ने अपने दम पर हरियाणा में सरकार बनाई थी, तब अनिल विज, रामबिलास शर्मा समेत कई नेता मुख्यमंत्री की दौड़ में थे। लेकिन, मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री का पद मिला था। इस साल मार्च में जेजेपी से गठबंधन टूटने के बाद खट्टर और उनके कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया, और नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया।

अनिल विज का राजनीतिक सफर

अनिल विज का राजनीतिक करियर कॉलेज के दिनों से ही सक्रिय रहा है। उन्होंने 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के महासचिव के रूप में राजनीति में कदम रखा। इसके बाद, विज ने विभिन्न संगठनों के साथ जुड़कर राजनीतिक क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। 1990 में सुषमा स्वराज के राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद अंबाला कैंट की सीट खाली हुई, विज को भाजपा ने तब चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था।

विज ने इस मौके का अच्छे से फायदा उठाया और चुनाव जीता। 1991 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने, लेकिन अगला चुनाव हार गए। 1996, 2000 और 2009 में विज ने निर्दलीय और भाजपा के टिकट पर विभिन्न चुनाव जीते। 2014 और 2019 के चुनाव में भी अंबाला कैंट से उनकी विजय रही।

भाजपा में अंदरूनी संघर्ष

भाजपा के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर बयानबाजी और प्रतिस्पर्धा ने सभी का ध्यान खींचा है। हालांकि, नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के बाद अधिकतर भाजपा नेता अपनी एकजुटता प्रदर्शित कर रहे हैं। बावजूद इसके, अनिल विज जैसे वरिष्ठ नेता की ओर से राजनीतिक दाव और बयान हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रही हैं।

चुनाव परिणाम का महत्व

हरियाणा की जनता का चयन इस बार निर्णायक हो सकता है, और यह निश्चित करेगा कि आने वाले समय में राज्य की राजनीति और शक्तियों का संतुलन किस दिशा में बढ़ेगा। सभी की नजरें 8 अक्टूबर पर हैं, जब पूरे राज्य के भविष्य का फैसला होना है। भाजपा के भीतर इस संघर्ष का असर अफवाहों का विषय बना हुआ है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतिम परिणाम के बाद कैसी स्थिति बनती है।

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