गांदरबल की दर्दनाक घटना
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में एक बार फिर से आतंकवादियों ने भयानक टारगेट किलिंग की घटना को अंजाम दिया, जिसमें एक स्थानीय डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय श्रमिकों की हत्या कर दी गई। यह हमला श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक सुरंग निर्माण स्थल पर हुआ, जिसमें कुल सात निर्दोष व्यक्तियों की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हुए। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है और लोगों में भय और आक्रोश पैदा कर दिया है।
फारूक अब्दुल्ला का कड़ा बयान
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने इस आने वाले हमले पर गहरे दुख और गुस्से का इज़हार किया। उन्होंने पाकिस्तान को इस प्रकार की घटनाओं को बंद करने की कड़ी चेतावनी दी। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर पाकिस्तान वास्तव में भारत के साथ दोस्ती करना चाहता है, तो उसे आतंकवाद का रास्ता छोड़ना होगा। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि “जब तक पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में हत्याएं बंद नहीं करता, तब तक दोनों देशों के बीच किसी प्रकार की बातचीत नहीं हो सकती।”
पाकिस्तानी हुकूमत की गलतफहमी
अब्दुल्ला ने आतंकवादियों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इस प्रकार की हिंसक गतिविधियों से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की यह गलतफहमी है कि वह इस तरह के कदमों से कश्मीर को अपना हिस्सा बना सकता है। अब्दुल्ला ने कहा, “क्या वे सोचते हैं कि इस प्रकार की हिंसा से वे कश्मीर में पाकिस्तानी हुकूमत स्थापित कर लेंगे?” उन्होंने इस सोच को नकारात्मक और अवास्तविक बताया।
कश्मीर, पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगा
फारूक अब्दुल्ला ने दृढ़तापूर्वक कहा कि कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि यह एक लंबे समय से चली आ रही समस्या है जिसे सुलझाने की कोशिश की जा रही है। “पाकिस्तान के शासकों से कहना चाहता हूं कि अगर वे वास्तव में भारत के साथ दोस्ती चाहते हैं, तो उन्हें यह बंद कर देना चाहिए,” अब्दुल्ला ने आवाहन किया।
पाकिस्तान की पुरानी गलतियाँ
फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को उसकी पुरानी करतूतों की याद दिलाते हुए कहा कि 1947 में कबायली हमलावरों को भेजकर और निर्दोष लोगों की हत्या कर पाकिस्तान ने जो शुरुआत की थी, वह अब तक विफल रही है। “75 साल में आप सफल नहीं हुए, तो अब कैसे सफल होंगे?” अब्दुल्ला ने तीखे अंदाज़ में यह सवाल उठाया।
आर्थिक विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता
अब्दुल्ला ने पाकिस्तान से निवेदन किया कि वह अपने अंदरूनी मामलों पर ध्यान दे और अपने देश का आर्थिक विकास करे, बजाय इसके कि वह हिंसा का सहारा ले। “हम यहां गरीबी और बेरोजगारी को खत्म करना चाहते हैं, और यह आतंकवाद के जरिए संभव नहीं है,” उन्होंने कहा। अब्दुल्ला ने यह भी चेताया कि कश्मीर में हिंसक घटनाओं का प्रभाव सभी पर पड़ता है और इस प्रकार की गतिविधियों से प्रगति की राह अवरुद्ध हो जाती है।
आगे की राह
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि अब समय आ गया है जब पाकिस्तान को अपनी नीतियों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अन्यथा, इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ जाएगा और अंततः यह सभी के लिए हानिकारक सिद्ध होगा।
इस घटना और उसके बाद की प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि कश्मीर मुद्दा न केवल एक क्षेत्रीय विवाद का विषय है, बल्कि यह इंसानी जीवन और उनकी आजीविका से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। आतंकवाद का यह चेहरा मानवता के खिलाफ एक अपराध है, जिसे रोकना न केवल अंतर्राष्ट्रीय बल्कि स्थानिक प्राथमिकता होनी चाहिए।