Manmohan Singh Memorial News: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए सरकार ने संभावित स्थानों के रूप में एकता स्थल और विजय घाट को शॉर्टलिस्ट किया है. गृह मंत्रालय और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने 2 जनवरी को इस पर चर्चा की. हालांकि, अंतिम निर्णय की घोषणा अभी बाकी है.
स्मारक के लिए दो स्थान शॉर्टलिस्ट
एकता स्थल पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के समाधि स्थल के रूप में जाना जाता है. और विजय घाट भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का स्मारक है. विजय घाट राजघाट (महात्मा गांधी के स्मारक) के पास मुख्य रिंग रोड पर स्थित है. जबकि एकता स्थल शांतिवन (जवाहरलाल नेहरू के समाधि स्थल) और विजय घाट के बीच है.
परिवार को सूचित किया जाएगा
सूत्रों के मुताबिक शहरी विकास सचिव के. श्रीनिवास जल्द ही मनमोहन सिंह के परिवार को इन प्रस्तावित स्थानों के बारे में जानकारी देंगे. इसके बाद जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी. स्मारक के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा. जिसमें परिवार के सदस्यों को नामित किया जाएगा.
स्मारक के लिए कांग्रेस की मांग
यह फैसला कांग्रेस पार्टी की उस मांग के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना उनके प्रति असम्मानजनक था.
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
स्मारक के लिए दो स्थान शॉर्टलिस्ट
एकता स्थल पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के समाधि स्थल के रूप में जाना जाता है. और विजय घाट भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का स्मारक है. विजय घाट राजघाट (महात्मा गांधी के स्मारक) के पास मुख्य रिंग रोड पर स्थित है. जबकि एकता स्थल शांतिवन (जवाहरलाल नेहरू के समाधि स्थल) और विजय घाट के बीच है.
परिवार को सूचित किया जाएगा
सूत्रों के मुताबिक शहरी विकास सचिव के. श्रीनिवास जल्द ही मनमोहन सिंह के परिवार को इन प्रस्तावित स्थानों के बारे में जानकारी देंगे. इसके बाद जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी. स्मारक के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा. जिसमें परिवार के सदस्यों को नामित किया जाएगा.
स्मारक के लिए कांग्रेस की मांग
यह फैसला कांग्रेस पार्टी की उस मांग के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना उनके प्रति असम्मानजनक था.
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
एकता स्थल पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के समाधि स्थल के रूप में जाना जाता है. और विजय घाट भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का स्मारक है. विजय घाट राजघाट (महात्मा गांधी के स्मारक) के पास मुख्य रिंग रोड पर स्थित है. जबकि एकता स्थल शांतिवन (जवाहरलाल नेहरू के समाधि स्थल) और विजय घाट के बीच है.
परिवार को सूचित किया जाएगा
सूत्रों के मुताबिक शहरी विकास सचिव के. श्रीनिवास जल्द ही मनमोहन सिंह के परिवार को इन प्रस्तावित स्थानों के बारे में जानकारी देंगे. इसके बाद जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी. स्मारक के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा. जिसमें परिवार के सदस्यों को नामित किया जाएगा.
स्मारक के लिए कांग्रेस की मांग
यह फैसला कांग्रेस पार्टी की उस मांग के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना उनके प्रति असम्मानजनक था.
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
परिवार को सूचित किया जाएगा
सूत्रों के मुताबिक शहरी विकास सचिव के. श्रीनिवास जल्द ही मनमोहन सिंह के परिवार को इन प्रस्तावित स्थानों के बारे में जानकारी देंगे. इसके बाद जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी. स्मारक के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा. जिसमें परिवार के सदस्यों को नामित किया जाएगा.
स्मारक के लिए कांग्रेस की मांग
यह फैसला कांग्रेस पार्टी की उस मांग के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना उनके प्रति असम्मानजनक था.
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
सूत्रों के मुताबिक शहरी विकास सचिव के. श्रीनिवास जल्द ही मनमोहन सिंह के परिवार को इन प्रस्तावित स्थानों के बारे में जानकारी देंगे. इसके बाद जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी. स्मारक के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा. जिसमें परिवार के सदस्यों को नामित किया जाएगा.
स्मारक के लिए कांग्रेस की मांग
यह फैसला कांग्रेस पार्टी की उस मांग के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना उनके प्रति असम्मानजनक था.
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
स्मारक के लिए कांग्रेस की मांग
यह फैसला कांग्रेस पार्टी की उस मांग के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना उनके प्रति असम्मानजनक था.
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
यह फैसला कांग्रेस पार्टी की उस मांग के बाद आया है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना उनके प्रति असम्मानजनक था.
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
सरकार की सफाई और बीजेपी का जवाब
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने स्मारक के लिए संभावित स्थानों की पहचान पहले ही कर ली थी और इस बारे में परिवार को सूचित किया गया था. उन्होंने कांग्रेस पर भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पहले सुझाव दिया था कि डॉ. सिंह का स्मारक शक्ति स्थल परिसर में बनाया जाए. जहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्मारक है. यह स्थान महात्मा गांधी के राजघाट स्मारक के पास स्थित है.
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्मारक के लिए उनकी मांग को नजरअंदाज किया. हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट की. गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों से चर्चा की थी.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
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मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्मारक नीति
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. 2013 में उनकी कैबिनेट ने जगह की कमी का हवाला देते हुए राजघाट पर एकीकृत स्मारक स्थल “राष्ट्रीय स्मृति स्थल” बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. अब सरकार द्वारा अंतिम निर्णय का इंतजार है. जिसमें यह तय होगा कि डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक एकता स्थल पर बनेगा या विजय घाट पर. इस निर्णय से उनके योगदान को सम्मानित करने का एक और मौका मिलेगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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