गरुड़ पुराण का भयावह वर्णन
जीवन के बाद की यात्रा हमेशा से मानव कौतूहल का विषय रही है। इसी क्रम में गरुड़ पुराण एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है, जो मृत्यु पश्चात की स्थितियों पर विचार करता है। इसमें वर्णित है कि यमलोक में चौसठ लाख नरक हैं, जिसमें से 21 मुख्य हैं। विभिन्न पापों के फलस्वरूप व्यक्तियों को इन नरकों में भयानक यातनाएं भोगनी पड़ती हैं। यह हिंदू धर्म में कर्म सिद्धांत के पुष्टिकरण के रूप में भी देखा जा सकता है।
नर्क की यातनाएँ और पापों का फल
गरुड़ पुराण के अनुसार प्रत्येक नर्क में दी जाने वाली सजाएं उन पापों से संबंधित होती हैं जो मानव ने अपने जीवन में किये हैं। उदाहरण के लिए, ‘महावीचि’ नर्क में गाय की हत्या करने वाले, ‘कुंबी पाक’ में जमीन हड़पने वाले और ब्राह्मणों की हत्या करने वाले, तथा ‘रौरव’ में झूठ बोलने वाले पापी को यातनाएँ दी जाती हैं। इसी तरह ‘अपमान’ नर्क धार्मिक लोगों पर अत्याचार करने वालों के लिए है, जबकि ‘महाप्रभा’ में वे आत्मा जाती हैं जो पति-पत्नी के बीच संदेह उत्पन्न करते हैं।
इसी तरह ‘विल्पका’ में ब्राह्मण जो जीवन भर शराब पीते हैं, ‘महारौवा’ में आग लगाने वाले, ‘तमिस्त्र’ म
ें चोर, ‘असिपत्र’ में विश्वासघात करने वाले और ‘कदमल’ में पंचयज्ञ नहीं करने वाले दंडित होते हैं। ‘शाल्मलि’ नर्क में पराई स्त्रियों से संबंध रखनेवाले पुरुषों को जलते हुए घोंघे के पेड़ का आलिंगन करना पड़ता है और ‘कंकोल’ में दूसरों को न देकर अकेले मिठाई खाने वाले भोगते हैं। ‘महावत’ में व्यभिचारी, ‘दुर्धर’ में बिच्छुओं से भरा नर्क ब्याज खाने वाले के लिए है और ‘वज्रमहापीड़’ में यमदूतों द्वारा वज्र से पीड़ित करने वाले के लिए है।
धार्मिक मान्यताओं और सजा का सिद्धांत
यह समस्त जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। गरुड़ पुराण में इन यातनाओं का उल्लेख इस आशय से है कि मनुष्य अधर्म, अनाचार और पाप के मार्ग से हटकर सदाचारिता, धार्मिकता और पुण्य के पथ पर चले। हिंदू धर्म में व्यक्ति के कर्मों को उसके जीवन के सुख-दुःख और मृत्यु के पश्चात की स्थिति का निर्धारक माना गया है।
नरक की इन वर्णित यातनाओं को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी पाप कर्म का परिणाम बहुत भयानक हो सकता है। इस प्रकार की आख्यान शैली मानव को उनके कर्मों के प्रति सचेत करने का एक माध्यम बन जाती है। यह न केवल एक संदेश है बल्कि एक नैतिक प्रेरक भी है जो व्यक्ति को अच्छे काम करने की ओर उन्मुख करती है।
हम यहां इस लेख के माध्यम से केवल उन सामान्य मान्यताओं को प्रस्तुत कर रहे हैं, जो गरुड़ पुराण में उल्लिखित हैं। इन प्राचीन ग्रंथों में जितनी चेतावनियाँ हैं, उतने ही मार्गदर्शन भी हैं जो हमें सही पथ पर चलने का अनुसारण करने का संदेश देते हैं।