Muda Scam : कर्नाटक हाई कोर्ट ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (Mysore Urban Development Authority) भूमि आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बी. एम को बड़ी राहत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कर्नाटक के शहरी विकास मंत्री बी.एस. सुरेश के नाम जारी समन भी रद्द कर दिया, जिनका नाम आरोपी के रूप में नहीं था, फिर भी ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था. जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने ईडी के एक्शन को चुनौती देने वाली पार्वती और सुरेश की याचिकाओं पर फैसला सुनाया.
पहले लगाई थी समन पर रोक अब रद्द कर दिया
आपको बताते चलें कि इससे पहले अदालत ने 27 जनवरी को समन पर रोक लगा दी थी. पार्वती के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता संदेश चौटा ने दलील दी कि मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस और विशेष जांच दल (SIT) द्वारा पहले से ही की जा रही है, इसके बावजूद ED समानांतर जांच कर रही है. वहीं, ED का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अरविंद कामथ ने दलील दी कि पार्वती इस अपराध में दूसरी आरोपी थीं और उन्होंने अपराध से धन अर्जित किया था.
‘मंत्री की बात जायज थी’?
मंत्री सुरेश के वकील सीनियर एडवोकेट सी वी. नागेश ने कहा कि उनके मुवक्किल इस मामले में आरोपी नहीं हैं, इसलिए उन्हें तलब नहीं किया जाना चाहिए था. हालांकि ASG कामथ ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) ईडी को दस्तावेज और रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को बुलाने का अधिकार देता है, भले ही उनका नाम आरोपी के रूप में न हो.
जानिए पूरा मामला
सिद्धरमैया भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
पहले लगाई थी समन पर रोक अब रद्द कर दिया
आपको बताते चलें कि इससे पहले अदालत ने 27 जनवरी को समन पर रोक लगा दी थी. पार्वती के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता संदेश चौटा ने दलील दी कि मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस और विशेष जांच दल (SIT) द्वारा पहले से ही की जा रही है, इसके बावजूद ED समानांतर जांच कर रही है. वहीं, ED का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अरविंद कामथ ने दलील दी कि पार्वती इस अपराध में दूसरी आरोपी थीं और उन्होंने अपराध से धन अर्जित किया था.
‘मंत्री की बात जायज थी’?
मंत्री सुरेश के वकील सीनियर एडवोकेट सी वी. नागेश ने कहा कि उनके मुवक्किल इस मामले में आरोपी नहीं हैं, इसलिए उन्हें तलब नहीं किया जाना चाहिए था. हालांकि ASG कामथ ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) ईडी को दस्तावेज और रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को बुलाने का अधिकार देता है, भले ही उनका नाम आरोपी के रूप में न हो.
जानिए पूरा मामला
सिद्धरमैया भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
आपको बताते चलें कि इससे पहले अदालत ने 27 जनवरी को समन पर रोक लगा दी थी. पार्वती के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता संदेश चौटा ने दलील दी कि मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस और विशेष जांच दल (SIT) द्वारा पहले से ही की जा रही है, इसके बावजूद ED समानांतर जांच कर रही है. वहीं, ED का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अरविंद कामथ ने दलील दी कि पार्वती इस अपराध में दूसरी आरोपी थीं और उन्होंने अपराध से धन अर्जित किया था.
‘मंत्री की बात जायज थी’?
मंत्री सुरेश के वकील सीनियर एडवोकेट सी वी. नागेश ने कहा कि उनके मुवक्किल इस मामले में आरोपी नहीं हैं, इसलिए उन्हें तलब नहीं किया जाना चाहिए था. हालांकि ASG कामथ ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) ईडी को दस्तावेज और रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को बुलाने का अधिकार देता है, भले ही उनका नाम आरोपी के रूप में न हो.
जानिए पूरा मामला
सिद्धरमैया भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
‘मंत्री की बात जायज थी’?
मंत्री सुरेश के वकील सीनियर एडवोकेट सी वी. नागेश ने कहा कि उनके मुवक्किल इस मामले में आरोपी नहीं हैं, इसलिए उन्हें तलब नहीं किया जाना चाहिए था. हालांकि ASG कामथ ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) ईडी को दस्तावेज और रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को बुलाने का अधिकार देता है, भले ही उनका नाम आरोपी के रूप में न हो.
जानिए पूरा मामला
सिद्धरमैया भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
मंत्री सुरेश के वकील सीनियर एडवोकेट सी वी. नागेश ने कहा कि उनके मुवक्किल इस मामले में आरोपी नहीं हैं, इसलिए उन्हें तलब नहीं किया जाना चाहिए था. हालांकि ASG कामथ ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) ईडी को दस्तावेज और रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को बुलाने का अधिकार देता है, भले ही उनका नाम आरोपी के रूप में न हो.
जानिए पूरा मामला
सिद्धरमैया भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
जानिए पूरा मामला
सिद्धरमैया भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
सिद्धरमैया भी एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, रिश्तेदार बी एम मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू – जिनसे स्वामी ने जमीन खरीद कर पार्वती को उपहार में दी थी और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में है.
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की थी.
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
लोकायुक्त पुलिस ने हालांकि पिछले महीने सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य आरोपियों को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि सबूतों के अभाव में पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच के बाद 17 जनवरी को जारी अपने कुर्की आदेश में आरोप लगाया था कि सिद्धरमैया और अन्य आरोपी एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे.
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
एमयूडीए मामले में आरोप है कि दूरदराज के एक गांव में एमयूडीए द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में पार्वती को मैसुरु के महंगे इलाके में अपेक्षाकृत अधिक मूल्य के भूखंड आवंटित किए गए थे.
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे.
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
इस विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने अधिगृहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमालिकों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की थी. आरोप है कि मैसुरु तालुक में कसाबा होबली के कसारे गांव में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. (भाषा)
