Ranya Rao Gold Smuggling Case: कन्नड़ एक्ट्रेस रान्या राव बीते 3 मार्च 2025 को बेंगलुरु एयरपोर्ट पर 14.2 किलोग्राम सोने के साथ पकड़ी गई थी. वहीं अब उनके गोल्ड तस्करी के रैकेट की जांच ने एक दिलचस्प मोड़ ले लिया है. DRI ने खुलासा किया है कि एक्ट्रेस ने दुबई से अवैध रूप से 14.2 करोड़ का सोना लाकर कुल 4.8 करोड़ रुपए के शुल्क से बचने की कोशिश की थी.
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भुगतान करने पर रिहा हो जाएंगी एक्ट्रेस?
DRI का यह दावा अब यह सवाल खड़े करता है कि क्या अगर रान्या जुर्माने के साथ सीमा शुल्क के रूप में कुल 4.8 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हो जाती हैं तो क्या उन्हें रिहा कर दिया जाएगा? ‘TOI’की एक रिपोर्ट के मुताबिक DRI के अधिकारियों से यह सवाल पूछे जाने पर पता चला कि ऐसा संभव नहीं है. सूत्रों के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि एक्ट्रेस के पास से मिले सोने का मार्केट वैल्यू 1 करोड़ से भी ज्यादा है. वहीं शुल्क चोरी के प्रयास पर 30 लाख का हर्जाना है.
बच पाना कितना मुश्किल?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक रान्या के लिए इस मुसीबत से बच निकलना इतना आसान नहीं है. सीनियर एडवोकेट एमएस श्यामसुंदर के मुताबिक एक्ट्रेस केवल जुर्माने के जरिए ही परिणामों से नहीं बच सकती है क्योंकि कस्टम एक्ट स्मगलिंग जैसे मामलों में सेटलमेंट की अनुमति नहीं देता है. वहीं ED और PMLA जैसे इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसियां इस केस में शामिल होती हैं, तो वे अलग-अलग मामलों में उसकी हिरासत की मांग कर सकते हैं. रान्या को कठिन कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें बेल मिलना मुश्किल हो जाएगा.
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बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
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भुगतान करने पर रिहा हो जाएंगी एक्ट्रेस?
DRI का यह दावा अब यह सवाल खड़े करता है कि क्या अगर रान्या जुर्माने के साथ सीमा शुल्क के रूप में कुल 4.8 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हो जाती हैं तो क्या उन्हें रिहा कर दिया जाएगा? ‘TOI’की एक रिपोर्ट के मुताबिक DRI के अधिकारियों से यह सवाल पूछे जाने पर पता चला कि ऐसा संभव नहीं है. सूत्रों के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि एक्ट्रेस के पास से मिले सोने का मार्केट वैल्यू 1 करोड़ से भी ज्यादा है. वहीं शुल्क चोरी के प्रयास पर 30 लाख का हर्जाना है.
बच पाना कितना मुश्किल?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक रान्या के लिए इस मुसीबत से बच निकलना इतना आसान नहीं है. सीनियर एडवोकेट एमएस श्यामसुंदर के मुताबिक एक्ट्रेस केवल जुर्माने के जरिए ही परिणामों से नहीं बच सकती है क्योंकि कस्टम एक्ट स्मगलिंग जैसे मामलों में सेटलमेंट की अनुमति नहीं देता है. वहीं ED और PMLA जैसे इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसियां इस केस में शामिल होती हैं, तो वे अलग-अलग मामलों में उसकी हिरासत की मांग कर सकते हैं. रान्या को कठिन कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें बेल मिलना मुश्किल हो जाएगा.
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बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
भुगतान करने पर रिहा हो जाएंगी एक्ट्रेस?
DRI का यह दावा अब यह सवाल खड़े करता है कि क्या अगर रान्या जुर्माने के साथ सीमा शुल्क के रूप में कुल 4.8 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हो जाती हैं तो क्या उन्हें रिहा कर दिया जाएगा? ‘TOI’की एक रिपोर्ट के मुताबिक DRI के अधिकारियों से यह सवाल पूछे जाने पर पता चला कि ऐसा संभव नहीं है. सूत्रों के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि एक्ट्रेस के पास से मिले सोने का मार्केट वैल्यू 1 करोड़ से भी ज्यादा है. वहीं शुल्क चोरी के प्रयास पर 30 लाख का हर्जाना है.
बच पाना कितना मुश्किल?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक रान्या के लिए इस मुसीबत से बच निकलना इतना आसान नहीं है. सीनियर एडवोकेट एमएस श्यामसुंदर के मुताबिक एक्ट्रेस केवल जुर्माने के जरिए ही परिणामों से नहीं बच सकती है क्योंकि कस्टम एक्ट स्मगलिंग जैसे मामलों में सेटलमेंट की अनुमति नहीं देता है. वहीं ED और PMLA जैसे इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसियां इस केस में शामिल होती हैं, तो वे अलग-अलग मामलों में उसकी हिरासत की मांग कर सकते हैं. रान्या को कठिन कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें बेल मिलना मुश्किल हो जाएगा.
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बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
DRI का यह दावा अब यह सवाल खड़े करता है कि क्या अगर रान्या जुर्माने के साथ सीमा शुल्क के रूप में कुल 4.8 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हो जाती हैं तो क्या उन्हें रिहा कर दिया जाएगा? ‘TOI’की एक रिपोर्ट के मुताबिक DRI के अधिकारियों से यह सवाल पूछे जाने पर पता चला कि ऐसा संभव नहीं है. सूत्रों के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि एक्ट्रेस के पास से मिले सोने का मार्केट वैल्यू 1 करोड़ से भी ज्यादा है. वहीं शुल्क चोरी के प्रयास पर 30 लाख का हर्जाना है.
बच पाना कितना मुश्किल?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक रान्या के लिए इस मुसीबत से बच निकलना इतना आसान नहीं है. सीनियर एडवोकेट एमएस श्यामसुंदर के मुताबिक एक्ट्रेस केवल जुर्माने के जरिए ही परिणामों से नहीं बच सकती है क्योंकि कस्टम एक्ट स्मगलिंग जैसे मामलों में सेटलमेंट की अनुमति नहीं देता है. वहीं ED और PMLA जैसे इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसियां इस केस में शामिल होती हैं, तो वे अलग-अलग मामलों में उसकी हिरासत की मांग कर सकते हैं. रान्या को कठिन कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें बेल मिलना मुश्किल हो जाएगा.
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बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
बच पाना कितना मुश्किल?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक रान्या के लिए इस मुसीबत से बच निकलना इतना आसान नहीं है. सीनियर एडवोकेट एमएस श्यामसुंदर के मुताबिक एक्ट्रेस केवल जुर्माने के जरिए ही परिणामों से नहीं बच सकती है क्योंकि कस्टम एक्ट स्मगलिंग जैसे मामलों में सेटलमेंट की अनुमति नहीं देता है. वहीं ED और PMLA जैसे इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसियां इस केस में शामिल होती हैं, तो वे अलग-अलग मामलों में उसकी हिरासत की मांग कर सकते हैं. रान्या को कठिन कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें बेल मिलना मुश्किल हो जाएगा.
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बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक रान्या के लिए इस मुसीबत से बच निकलना इतना आसान नहीं है. सीनियर एडवोकेट एमएस श्यामसुंदर के मुताबिक एक्ट्रेस केवल जुर्माने के जरिए ही परिणामों से नहीं बच सकती है क्योंकि कस्टम एक्ट स्मगलिंग जैसे मामलों में सेटलमेंट की अनुमति नहीं देता है. वहीं ED और PMLA जैसे इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसियां इस केस में शामिल होती हैं, तो वे अलग-अलग मामलों में उसकी हिरासत की मांग कर सकते हैं. रान्या को कठिन कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें बेल मिलना मुश्किल हो जाएगा.
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बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
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बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
बचने का रास्ता
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर किरण एस जवाली ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को जुर्माना स्वीकार करने के बाद बाहर जाने की अनुमति देने का अधिकार जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन ऐसा तब ही हो सकता है जब सीज किया हुए सोना कम मात्रा में हो. इस केस में सोने की मात्रा काफी ज्यादा है. वहीं DRI और ED के इस केस में शामिल होने और इसकी गहनता से जांच करने पर इस तरह के केस में 7 साल तक की सजा हो सकती है.
