University of Madras: तमिलनाडु में डीएमके की सरकार है. जिसके नेता हिंदुत्व को बीमारी बताते हैं. उसकी तुलना डेंगू मलेरिया से करते हैं. हिंदुओं के भगवानों का अपमान करके करोड़ों सनातनियों की आस्था का मजाक उड़ाते हैं. बीजेपी के नेता डीएमके की सरकार पर हिंदूवादियों का दमन करने और अल्पसंख्यकों पर प्यार बरसाने और उनके महिमामंडन का आरोप लगाते हैं. इस बीच यहां की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी ने ये पूछने का ऐलान कर दिया कि ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे करें’ तो बवाल मच गया. बात निकली तो सत्ता के गलियारों से लेकर राजभवन तक पहुंची और हिंदुत्ववादी संगठनों के विरोध के बाद मद्रास यूनिवर्सिटी को वह लेक्चर रद्द करना पड़ गया.
‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ पर व्याख्यान
मद्रास विश्वविद्यालय में 14 मार्च को ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ विषय पर होने वाले लेक्चर को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), हिंदू संगठनों के विरोध और सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद रद्द कर दिया गया. बीजेपी (BJP) के सचिव एसजी सूर्या ने इस मुद्दे को उठाते हुए कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की निंदा की है.
सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025
मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग ने हैदराबाद के मुख्य अभियंता के. शिव कुमार द्वारा ‘सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025 आयोजित करने की औपचारिक घोषणा की थी जिसके बाद विवाद शुरू हो गया था.
सोशल मीडिया पर बवाल
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस व्याख्यान के विषय: ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ और ‘इस मार्ग की आवश्यकता क्यों है?’ की आलोचना की. कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही समय बाद ही कई लोगों ने मद्रास विश्वविद्यालय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह शिक्षा के मंदिर को ईसाई धर्म के प्रचार के साधन में बदल रहा है.
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ पर व्याख्यान
मद्रास विश्वविद्यालय में 14 मार्च को ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ विषय पर होने वाले लेक्चर को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), हिंदू संगठनों के विरोध और सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद रद्द कर दिया गया. बीजेपी (BJP) के सचिव एसजी सूर्या ने इस मुद्दे को उठाते हुए कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की निंदा की है.
सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025
मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग ने हैदराबाद के मुख्य अभियंता के. शिव कुमार द्वारा ‘सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025 आयोजित करने की औपचारिक घोषणा की थी जिसके बाद विवाद शुरू हो गया था.
सोशल मीडिया पर बवाल
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस व्याख्यान के विषय: ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ और ‘इस मार्ग की आवश्यकता क्यों है?’ की आलोचना की. कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही समय बाद ही कई लोगों ने मद्रास विश्वविद्यालय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह शिक्षा के मंदिर को ईसाई धर्म के प्रचार के साधन में बदल रहा है.
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
मद्रास विश्वविद्यालय में 14 मार्च को ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ विषय पर होने वाले लेक्चर को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), हिंदू संगठनों के विरोध और सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद रद्द कर दिया गया. बीजेपी (BJP) के सचिव एसजी सूर्या ने इस मुद्दे को उठाते हुए कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की निंदा की है.
सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025
मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग ने हैदराबाद के मुख्य अभियंता के. शिव कुमार द्वारा ‘सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025 आयोजित करने की औपचारिक घोषणा की थी जिसके बाद विवाद शुरू हो गया था.
सोशल मीडिया पर बवाल
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस व्याख्यान के विषय: ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ और ‘इस मार्ग की आवश्यकता क्यों है?’ की आलोचना की. कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही समय बाद ही कई लोगों ने मद्रास विश्वविद्यालय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह शिक्षा के मंदिर को ईसाई धर्म के प्रचार के साधन में बदल रहा है.
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025
मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग ने हैदराबाद के मुख्य अभियंता के. शिव कुमार द्वारा ‘सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025 आयोजित करने की औपचारिक घोषणा की थी जिसके बाद विवाद शुरू हो गया था.
सोशल मीडिया पर बवाल
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस व्याख्यान के विषय: ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ और ‘इस मार्ग की आवश्यकता क्यों है?’ की आलोचना की. कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही समय बाद ही कई लोगों ने मद्रास विश्वविद्यालय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह शिक्षा के मंदिर को ईसाई धर्म के प्रचार के साधन में बदल रहा है.
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग ने हैदराबाद के मुख्य अभियंता के. शिव कुमार द्वारा ‘सर एस सुब्रमण्य अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ 2024-2025 आयोजित करने की औपचारिक घोषणा की थी जिसके बाद विवाद शुरू हो गया था.
सोशल मीडिया पर बवाल
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस व्याख्यान के विषय: ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ और ‘इस मार्ग की आवश्यकता क्यों है?’ की आलोचना की. कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही समय बाद ही कई लोगों ने मद्रास विश्वविद्यालय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह शिक्षा के मंदिर को ईसाई धर्म के प्रचार के साधन में बदल रहा है.
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
सोशल मीडिया पर बवाल
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस व्याख्यान के विषय: ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ और ‘इस मार्ग की आवश्यकता क्यों है?’ की आलोचना की. कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही समय बाद ही कई लोगों ने मद्रास विश्वविद्यालय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह शिक्षा के मंदिर को ईसाई धर्म के प्रचार के साधन में बदल रहा है.
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस व्याख्यान के विषय: ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ और ‘इस मार्ग की आवश्यकता क्यों है?’ की आलोचना की. कार्यक्रम की घोषणा के कुछ ही समय बाद ही कई लोगों ने मद्रास विश्वविद्यालय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह शिक्षा के मंदिर को ईसाई धर्म के प्रचार के साधन में बदल रहा है.
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
राज्यपाल तक पहुंचा मामला
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
मद्रास विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद व्याख्यान रद्द करने की घोषणा की. रजिस्ट्रार प्रोफेसर एस एलुमलाई ने सात मार्च को राजभवन को भेजे पत्र में बताया कि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने उक्त विषयों पर विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से मंजूरी नहीं ली.
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
रजिस्ट्रार ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हमने संबंधित व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से विशेष व्याख्यान रद्द करने का निर्देश दिया है.’
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
एबीवीपी ने दी किया व्यापक विरोध
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
एबीवीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उसके प्रयास ने मद्रास विश्वविद्यालय में धार्मिक व्याख्यान को रोक दिया. एबीवीपी ने ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रसार कैसे किया जाए’ सहित व्याख्यान के विषयों को धार्मिक प्रचार करार दिया और राज्य विश्वविद्यालय के लिए अनुपयुक्त बताया. एबीवीपी के दावा किया कि उसकी आपत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया. एबीवीपी ने दावा किया, “यह विश्वविद्यालयों के भीतर पक्षपातपूर्ण विचारधाराओं को बढ़ावा देने से रोकने में एबीवीपी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ (इनपुट: भाषा)
