Suvendu Adhikaru on Muslim MLA: पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. हाल ही में उन्होंने एक बार फिर मुसलमानों को लेकर तीखा बयान दे दिया है. जिसके बाद राज्य की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है. उन्होंने कहा कि भाजपा अगली सरकार बनाने के बाद मुस्लिम विधायकों को ‘शारीरिक रूप से विधानसभा से बाहर फेंक देगी’. सुवेंदु अधिकारी के इस बयान पर टीएमसी की तरफ से कड़ी आपत्ति जताई गई है.
TMC को बताया मुस्लिम लीग का दूसरा रूप
पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुवेंदु को 17 फरवरी को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था और वे पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित रहेंगे. उन्होंने ममता सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह सरकार सांप्रदायिक प्रशासन चला रही है और इसे मुस्लिम लीग का दूसरा रूप भी करार दिया. उन्होंने कहा कि इस बार बंगाल की जनता इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी.
क्या बोली TMC
उनके इस बयान पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे ‘नफरती भाषण’ करार दिया. साथ ही उन्होंने अधिकारी की दिमागी हालत पर भी सवाल उठाए. इसके अलावा पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि को अपने साथी विधायकों के खिलाफ इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा में बहस और तर्क-वितर्क हो सकते हैं, लेकिन धर्म का मुद्दा उठाकर किसी विशेष समुदाय के विधायकों को निशाना बनाना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने इसे न सिर्फ ‘भड़काऊ और विकृत मानसिकता’ वाला बयान बताया.
पहले भी दे चुके हैं इसी तरह के बयान
दूसरी तरफ भाजपा के अन्य नेताओं ने सुवेंदु अधिकारी के बयान पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. यह पहली बार नहीं है जब सुवेंदु अधिकारी के बयान ने विवाद खड़ा किया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन के बाद भी उन्होंने ऐसा बयान दिया था, जिससे उनकी पार्टी में ही असहजता फैल गई थी. उन्होंने पार्टी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को खारिज करते हुए कहा था कि ‘जो हमारे साथ हैं, हम उनके साथ हैं. हमें अल्पसंख्यक मोर्चे की जरूरत नहीं है’ उनके इस बयान से बीजेपी के कई नेताओं ने खुद को अलग कर लिया था.
पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुवेंदु को 17 फरवरी को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था और वे पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित रहेंगे. उन्होंने ममता सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह सरकार सांप्रदायिक प्रशासन चला रही है और इसे मुस्लिम लीग का दूसरा रूप भी करार दिया. उन्होंने कहा कि इस बार बंगाल की जनता इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी.
क्या बोली TMC
उनके इस बयान पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे ‘नफरती भाषण’ करार दिया. साथ ही उन्होंने अधिकारी की दिमागी हालत पर भी सवाल उठाए. इसके अलावा पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि को अपने साथी विधायकों के खिलाफ इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा में बहस और तर्क-वितर्क हो सकते हैं, लेकिन धर्म का मुद्दा उठाकर किसी विशेष समुदाय के विधायकों को निशाना बनाना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने इसे न सिर्फ ‘भड़काऊ और विकृत मानसिकता’ वाला बयान बताया.
पहले भी दे चुके हैं इसी तरह के बयान
दूसरी तरफ भाजपा के अन्य नेताओं ने सुवेंदु अधिकारी के बयान पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. यह पहली बार नहीं है जब सुवेंदु अधिकारी के बयान ने विवाद खड़ा किया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन के बाद भी उन्होंने ऐसा बयान दिया था, जिससे उनकी पार्टी में ही असहजता फैल गई थी. उन्होंने पार्टी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को खारिज करते हुए कहा था कि ‘जो हमारे साथ हैं, हम उनके साथ हैं. हमें अल्पसंख्यक मोर्चे की जरूरत नहीं है’ उनके इस बयान से बीजेपी के कई नेताओं ने खुद को अलग कर लिया था.
उनके इस बयान पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे ‘नफरती भाषण’ करार दिया. साथ ही उन्होंने अधिकारी की दिमागी हालत पर भी सवाल उठाए. इसके अलावा पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि को अपने साथी विधायकों के खिलाफ इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा में बहस और तर्क-वितर्क हो सकते हैं, लेकिन धर्म का मुद्दा उठाकर किसी विशेष समुदाय के विधायकों को निशाना बनाना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने इसे न सिर्फ ‘भड़काऊ और विकृत मानसिकता’ वाला बयान बताया.
पहले भी दे चुके हैं इसी तरह के बयान
दूसरी तरफ भाजपा के अन्य नेताओं ने सुवेंदु अधिकारी के बयान पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. यह पहली बार नहीं है जब सुवेंदु अधिकारी के बयान ने विवाद खड़ा किया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन के बाद भी उन्होंने ऐसा बयान दिया था, जिससे उनकी पार्टी में ही असहजता फैल गई थी. उन्होंने पार्टी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को खारिज करते हुए कहा था कि ‘जो हमारे साथ हैं, हम उनके साथ हैं. हमें अल्पसंख्यक मोर्चे की जरूरत नहीं है’ उनके इस बयान से बीजेपी के कई नेताओं ने खुद को अलग कर लिया था.
दूसरी तरफ भाजपा के अन्य नेताओं ने सुवेंदु अधिकारी के बयान पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. यह पहली बार नहीं है जब सुवेंदु अधिकारी के बयान ने विवाद खड़ा किया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन के बाद भी उन्होंने ऐसा बयान दिया था, जिससे उनकी पार्टी में ही असहजता फैल गई थी. उन्होंने पार्टी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे को खारिज करते हुए कहा था कि ‘जो हमारे साथ हैं, हम उनके साथ हैं. हमें अल्पसंख्यक मोर्चे की जरूरत नहीं है’ उनके इस बयान से बीजेपी के कई नेताओं ने खुद को अलग कर लिया था.
