Olive Ridley Sea Turtle: ओडिशा में हाल ही में 33 साल बाद लुप्त हो रही कछुओं की प्रजाति ओलिव रिडले को गहीरमथा समुद्री अभयारण्य के एकाकुलानासी आइलैंड के पास देखा गया है. ये प्रजाति 3 दशक से अधिक समय के बाद एक सामूहिक घोंसले के लिए वापस देखें गए हैं. वहीं अब इनके मूवमेंट पैटर्न को जानने के लिए ओडिशा वन विभाग ने एक तरीका खोजा है.
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कछुओं की पीठ पर लगाया सैटेलाइट
दरअसल ओडिशा वन विभाग ओलिव रिडले कछुओं की प्रजाति के घोंसले बनाने की प्रक्रिया के लिए उनके मूवमेंट पैटर्न को ट्रैक करेगी. इसके लिए 2 कछुओं की पीठ पर सैटेलाइट लगाया गया है. सैटेलाइट के जरिए इन समुद्री कछुओं को जटिल प्रवास पैटर्न और बिहेवियर की स्टडी की जाएगी. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है.
समुद्र तट पर अंडे देने आते हैं शख्स
बता दें कि ओलिव रिडले कछुओं के विलुप्त होने को लेकर चिंता जाहिर की गई थी. ऐसे में इनके संरक्षण के लिए ओडिशा वन विभाग अलग-अलग तरह की पहल चला रही है. ऐसे में इन कछुओं का वापस समुद्र तट पर आना एक सकारात्मक संदेश है. इससे पहले आखिरी बार साल 1992 में इन्हें समुद्र तट पर देखा गया था. जब 3 लाख ओलिव रिडले कछुओं ने अंडे दिए थे.
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अंडे देकर पानी में चले जाते हैं कछुए
ओलिव रिडले कछुए दुनियाभर में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक माने जाते हैं. ये अपने सामूहिक घोंसले ( Mass Nesting) के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. ये मुख्य रूप से अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं. लाखों की संख्या में हर साल ये कछुएं सामूहिक घोंसले के लिए ओडिशा के तट पर आते हैं. गहिरमाथा समुद्र तट इन कछुओं के लिए विश्व का सबसे विशाल घोंसला बनाने वाला जगह माना जाता है. ये कछुए अंडे देने के बाद वापस पानी में चले जाते हैं. 45 दिन बाद इन इन अंडों में से बच्चे निकलते हैं, जो बिना मां के ही बड़े होते हैं.
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कछुओं की पीठ पर लगाया सैटेलाइट
दरअसल ओडिशा वन विभाग ओलिव रिडले कछुओं की प्रजाति के घोंसले बनाने की प्रक्रिया के लिए उनके मूवमेंट पैटर्न को ट्रैक करेगी. इसके लिए 2 कछुओं की पीठ पर सैटेलाइट लगाया गया है. सैटेलाइट के जरिए इन समुद्री कछुओं को जटिल प्रवास पैटर्न और बिहेवियर की स्टडी की जाएगी. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है.
समुद्र तट पर अंडे देने आते हैं शख्स
बता दें कि ओलिव रिडले कछुओं के विलुप्त होने को लेकर चिंता जाहिर की गई थी. ऐसे में इनके संरक्षण के लिए ओडिशा वन विभाग अलग-अलग तरह की पहल चला रही है. ऐसे में इन कछुओं का वापस समुद्र तट पर आना एक सकारात्मक संदेश है. इससे पहले आखिरी बार साल 1992 में इन्हें समुद्र तट पर देखा गया था. जब 3 लाख ओलिव रिडले कछुओं ने अंडे दिए थे.
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अंडे देकर पानी में चले जाते हैं कछुए
ओलिव रिडले कछुए दुनियाभर में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक माने जाते हैं. ये अपने सामूहिक घोंसले ( Mass Nesting) के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. ये मुख्य रूप से अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं. लाखों की संख्या में हर साल ये कछुएं सामूहिक घोंसले के लिए ओडिशा के तट पर आते हैं. गहिरमाथा समुद्र तट इन कछुओं के लिए विश्व का सबसे विशाल घोंसला बनाने वाला जगह माना जाता है. ये कछुए अंडे देने के बाद वापस पानी में चले जाते हैं. 45 दिन बाद इन इन अंडों में से बच्चे निकलते हैं, जो बिना मां के ही बड़े होते हैं.
कछुओं की पीठ पर लगाया सैटेलाइट
दरअसल ओडिशा वन विभाग ओलिव रिडले कछुओं की प्रजाति के घोंसले बनाने की प्रक्रिया के लिए उनके मूवमेंट पैटर्न को ट्रैक करेगी. इसके लिए 2 कछुओं की पीठ पर सैटेलाइट लगाया गया है. सैटेलाइट के जरिए इन समुद्री कछुओं को जटिल प्रवास पैटर्न और बिहेवियर की स्टडी की जाएगी. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है.
समुद्र तट पर अंडे देने आते हैं शख्स
बता दें कि ओलिव रिडले कछुओं के विलुप्त होने को लेकर चिंता जाहिर की गई थी. ऐसे में इनके संरक्षण के लिए ओडिशा वन विभाग अलग-अलग तरह की पहल चला रही है. ऐसे में इन कछुओं का वापस समुद्र तट पर आना एक सकारात्मक संदेश है. इससे पहले आखिरी बार साल 1992 में इन्हें समुद्र तट पर देखा गया था. जब 3 लाख ओलिव रिडले कछुओं ने अंडे दिए थे.
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अंडे देकर पानी में चले जाते हैं कछुए
ओलिव रिडले कछुए दुनियाभर में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक माने जाते हैं. ये अपने सामूहिक घोंसले ( Mass Nesting) के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. ये मुख्य रूप से अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं. लाखों की संख्या में हर साल ये कछुएं सामूहिक घोंसले के लिए ओडिशा के तट पर आते हैं. गहिरमाथा समुद्र तट इन कछुओं के लिए विश्व का सबसे विशाल घोंसला बनाने वाला जगह माना जाता है. ये कछुए अंडे देने के बाद वापस पानी में चले जाते हैं. 45 दिन बाद इन इन अंडों में से बच्चे निकलते हैं, जो बिना मां के ही बड़े होते हैं.
समुद्र तट पर अंडे देने आते हैं शख्स
बता दें कि ओलिव रिडले कछुओं के विलुप्त होने को लेकर चिंता जाहिर की गई थी. ऐसे में इनके संरक्षण के लिए ओडिशा वन विभाग अलग-अलग तरह की पहल चला रही है. ऐसे में इन कछुओं का वापस समुद्र तट पर आना एक सकारात्मक संदेश है. इससे पहले आखिरी बार साल 1992 में इन्हें समुद्र तट पर देखा गया था. जब 3 लाख ओलिव रिडले कछुओं ने अंडे दिए थे.
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अंडे देकर पानी में चले जाते हैं कछुए
ओलिव रिडले कछुए दुनियाभर में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक माने जाते हैं. ये अपने सामूहिक घोंसले ( Mass Nesting) के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. ये मुख्य रूप से अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं. लाखों की संख्या में हर साल ये कछुएं सामूहिक घोंसले के लिए ओडिशा के तट पर आते हैं. गहिरमाथा समुद्र तट इन कछुओं के लिए विश्व का सबसे विशाल घोंसला बनाने वाला जगह माना जाता है. ये कछुए अंडे देने के बाद वापस पानी में चले जाते हैं. 45 दिन बाद इन इन अंडों में से बच्चे निकलते हैं, जो बिना मां के ही बड़े होते हैं.
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ओलिव रिडले कछुए दुनियाभर में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक माने जाते हैं. ये अपने सामूहिक घोंसले ( Mass Nesting) के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. ये मुख्य रूप से अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं. लाखों की संख्या में हर साल ये कछुएं सामूहिक घोंसले के लिए ओडिशा के तट पर आते हैं. गहिरमाथा समुद्र तट इन कछुओं के लिए विश्व का सबसे विशाल घोंसला बनाने वाला जगह माना जाता है. ये कछुए अंडे देने के बाद वापस पानी में चले जाते हैं. 45 दिन बाद इन इन अंडों में से बच्चे निकलते हैं, जो बिना मां के ही बड़े होते हैं.
अंडे देकर पानी में चले जाते हैं कछुए
ओलिव रिडले कछुए दुनियाभर में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक माने जाते हैं. ये अपने सामूहिक घोंसले ( Mass Nesting) के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. ये मुख्य रूप से अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं. लाखों की संख्या में हर साल ये कछुएं सामूहिक घोंसले के लिए ओडिशा के तट पर आते हैं. गहिरमाथा समुद्र तट इन कछुओं के लिए विश्व का सबसे विशाल घोंसला बनाने वाला जगह माना जाता है. ये कछुए अंडे देने के बाद वापस पानी में चले जाते हैं. 45 दिन बाद इन इन अंडों में से बच्चे निकलते हैं, जो बिना मां के ही बड़े होते हैं.