बसंत के आगमन का पर्व: बसंत पंचमी
सर्दी की सुनहरी धूप को और गर्माई देने वाली बसंत पंचमी का पर्व हम सभी के बीच एक बार फिर से आ गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह उत्सव, ज्ञान, संगीत व कला की देवी, मां सरस्वती की पूजा से सम्बंधित है। धर्म के इस महत्वपूर्ण दिवस को बहुत से लोग अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
पीले रंग का महत्व
बसंत पंचमी पर पीला रंग अभिन्न हिस्सा माना जाता है। चाहे वह पीले वस्त्र हों या पीले रंग के भोजन, इस रंग की महत्वता का कारण हमारी प्राचीन संस्कृति और मान्यताओं में छिपा हुआ है। पीला रंग, जो ज्ञान और शुभता का प्रतीक है, मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनना, पीले भोजन का सेवन करना और पीले फूलों से घर को सजाना अत्यंत शुभ मानते हैं।
विज्ञान के चश्मे से पीले रंग का महत्व
विज्ञान की दृष्टि से भी पीला रंग अनेक लाभप्रद गुणों का धारक होता है। यह रंग न केवल मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करता है, बल्कि एक अच्छी और सकारात्मक भावनाओं को उत्पन्न करने में सहायक होता है। पीले रंग की वस्तुओं का दान करने की प्रथा इस पर्व पर अपना एक विशेष स्थान रखती है।
बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त का ज्ञान
हर त्योहार हो या कोई शुभ तिथि, उसे निर्धारित शुभ समय यानी मुहूर्त में ही मनाने का विधान है। इस वर्ष बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी की प्रातः 7 बजकर 1 मिनट से प्रारम्भ होकर मध्याह्न 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस समयावधि में मां सरस्वती की आराधना करना अति उत्तम माना गया है।
पूजा-अर्चना की संपूर्ण प्रक्रिया
बसंत पंचमी के पावन दिन पर स्नानादि की संपूर्ण क्रियाओं के उपरांत, मां सरस्वती का प्रातः स्मरण किया जाता है। इसमें पीले वस्त्र धारण करना, मंदिर की साफ़-सफ़ाई, जल का छिड़काव, देवी की मूर्ति की स्थापना, पीले रंग की वस्त्रों का अर्पण, रोली, पील�ी फूल, �क्षत और मिठाई का भोग लगाना आदि अनुष्ठान किये जाते हैं।
यह लेख आपको बसंत पंचमी के पावन पर्व की पूजन प्रक्रिया, इसके महत्व और पीले रंग के महत्व को समझाने में सहायक होगा। यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और अनुभवों के आधार पर है। आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।