बसंत पंचमी का आगमन और शुभ संयोग
हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार, हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का त्यौहार पूरे देश में उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का संकेत है और ज्ञान की देवी, मां सरस्वती के आराधना का पर्व है। विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा से आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वर्ष बसंत पंचमी की तिथि 13 फरवरी की दोपहर से शुरू होकर 14 फरवरी को समाप्त हो रही है, और उदया तिथि के अनुसार इसका विशेष महत्व है।
इस बार बसंत पंचमी के दिन अद्वितीय शुभ योग का संयोग देखने को मिल रहा है। रेवती, अश्विनी नक्षत्र के साथ-साथ शुक्ल योग का आगमन इस दिन की शुभता को बढ़ा देता है। ऐसे मांगलिक संयोग में सरस्वती माता की आराधना से ज्ञान, बुद्धि, कला, संगीत और शिक्षा में विशेष लाभ प्राप्त होता है।
बसंत पंचमी पर क्या करें
बसंत पंचमी के शुभ दिन पर कई अनुष्ठान और कार्य किए जाते हैं जिन्हें विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। दिन की शुरुआत में जल्दी उठकर, सबसे पहले हथेलियों को देखकर मां सरस्वती का ध्यान करना चाहिए। स्नान के पश्चात, पीले रंग के वस्त्र धारण करने के बाद, मंदिर की साफ-सफाई कर माता की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है।
पितरों का तर्पण भी इस दिन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इससे पितृदोष का निवारण और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। जो बच्चे हकलाते या तुतलाते हैं, उनके लिए बांसुरी में शहद भरकर उसे मोम से बंद करके जमीन में दबा देने का अनुष्ठान भी बहुत लाभकारी होता है।
बसंत पंचमी पर न करें ये काम
बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर कुछ काम ऐसे भी होते हैं जिनसे बचना चाहिए। किसी का अपमान या अपशब्द न कहने के अलावा, इस दिन मांस और मदिरा का सेवन भी वर्जित होता है। प्रकृति से जुड़ा यह पर्व पेड़-पौधों का सम्मान करने की भी शिक्षा देता है, इसलिए बसंत पंचमी के दिन पेड़ पौधों को काटना नहीं चाहिए।
यह जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और हर व्यक्ति के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन का कार्य कर सकती है। बसंत पंचमी का यह पावन पर्व आपके जीवन में बुद्धि और विद्या की ज्योति को प्रज्वलित करे और आपको नई उमंग, स्फूर्ति और प्रगति की ओर ले जाए, इसी शुभकामना के साथ आपको बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।