माघ पूर्णिमा का दिवस, जो हिंदी पंचांग के अनुसार बेहद महत्वपूर्ण है, इसे पूरी श्रद्धा और आदर के साथ गुरु रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। सन 1398 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के गोवर्धनपुर गांव में जन्में गुरु रविदास जी की यह जयंती समस्त भारत में विशेषतः उनके अनुयायियों द्वारा आदर और भक्तिभाव से अनुसरित की जाती है।
गुरु रविदास जी की शिक्षाएँ
गुरु रविदास जी ने अपने जीवनकाल में जातिवाद, अंधविश्वास और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ महती कार्य किया। उन्होंने सच्चे कर्म और मानवता की महत्ता पर बल दिया। उनका एक प्रसिद्ध कथन है, “कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं, बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।”
इस जयंती के अवसर पर उनकी शिक्षाओं को याद किया जाता है और प्रेम एवं भाईचारे का संदेश फैलाया जाता है।
गुरु रविदास जयंती का महत्व
गुरु रविदास जी के अनुयायी इस दिन उनकी शिक्षाओं को अमल में लाकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन का संकल्प लेते हैं। उनका संदेश कि मनुष्य को अपने कर्मों से पहचाना जाना चाहिए ना कि जन्म या जाति से, आज के समय में भी समान रूप से प्रासंगिक ह�