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अब भारत में बनेगा फाइटर जेट्स का दिल आत्मनिर्भर बनेगा इंडिया

भारत में बनेगा ‘जीई-414’ इंजन: नया मील का पत्थर

भारत अब लगातार अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा कर रहा है। पहले भारत दुनिया के अन्य देशों से हथियार और सैन्य साजोसामान खरीदता था, लेकिन अब वक्त बदल चुका है। अब भारत अपने घर में ही सैन्य उपकरण तैयार कर रहा है ताकि अन्य देशों का मुंह ना ताकना पड़े। इसी प्रयास के तहत अब लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल होने वाले ‘जीई-414’ इंजन भारत में बनाए जाएंगे। यह एक टर्बोफैन इंजन है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकी नौसेना और अन्य कई देशों के फाइटर जेट्स में किया जा रहा है।

राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को तिरुवनंतपुरम में घोषणा की कि जीई-414 इंजन अब भारत में बनाए जाएंगे। यह देश की इंजन निर्माण क्षमता में शानदार प्रगति का प्रतीक है। रक्षा मंत्री ने अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी अमेरिकी रक्षा कंपनियों के साथ व्यापक चर्चाएं हुईं और वे ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक समय था जब देश रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों पर निर्भर था। लगभग 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण दूसरे देशों से आयात किए जाते थे। आज स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। अब 65 प्रतिशत निर्माण भारत की धरती पर हो रहा है और केवल 35 प्रतिशत आयात किया जा रहा है।

डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में भारत का नया मुकाम

रक्षा मंत्री ने बताया कि सालाना रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। इस वित्त वर्ष में इसे 1.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने विश्वास जताया कि रक्षा मंत्रालय 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लेगा। इसके अलावा, अब भारत में बने रक्षा उपकरणों का निर्यात भी जोर-शोर से हो रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात 21,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। हमारा लक्ष्य 2029 तक रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये तक ले जाना है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रमुख कदम

सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका पर राजनाथ सिंह ने महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सेना में महिलाओं के प्रवेश के अनेक बाधाओं को दूर किया गया है। ‘हमने सशस्त्र बलों के तीनों अंगों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन की अनुमति दी गई है।’ इसके साथ ही उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी को भी महिलाओं के लिए खोल दिया गया है। हमारी सरकार महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रही है।

मेक इन इंडिया की वैश्विक मान्यता

रक्षा मंत्री ने हाल की अमेरिकी यात्रा का विशेष रूप से जिक्र किया, जहां ‘मेक इन इंडिया’ का मोटो प्रमुख रूप से उभर कर सामने आया। अमेरिकी रक्षा कंपनियों ने भी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में शामिल होने की उत्सुकता दिखलाई। यह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते हुए महत्वपूर्ण कदमों का परिणाम है कि अब भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा कर रहा है बल्कि वैश्विक बाजार में अपनी पहचान भी बना रहा है।

रक्षा उत्पादन में नई मील के पत्थर

रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल किया है। सालाना उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है और आने वाले वर्षों में इसे और भी बढ़ाया जाएगा। वर्ष 2029 तक रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में 3 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को प्राप्त करने का आशावाद भी व्यक्त किया गया। यह सब इस बात का प्रमाण है कि कैसे ‘मेक इन इंडिया’ ने भारत को एक प्रमुख रक्षा उत्पादन केंद्र में बदल दिया है।

नए लक्ष्यों की ओर बढ़ता भारत

भारत की रणनीतिक और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के इस सफर को जारी रखते हुए अन्य कई देशों से भी साझेदारी हो रही है। अमेरिकी रक्षा कंपनियों का ‘मेक इन इंडिया’ में शामिल होना इस दिशा में एक बड़ी सफलता है। राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत अब 65 प्रतिशत रक्षा उत्पादन को घरेलू स्तर पर ही कर रहा है और आने वाले समय में इसे और भी बढ़ाने की योजना है।

सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका

राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सशस्त्र बलों के तीनों अंगों में महिलाओं को स्थायी कमीशन की अनुमति दी गई है और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी को भी महिलाओं के लिए खोल दिया गया है। सरकार का महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास दृष्टिकोण सशस्त्र बलों में स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।

इस प्रकार, भारत ने आत्मनिर्भरता की ओर बेहतरीन कदम बढ़ाए हैं और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नया इतिहास लिखने की तैयारी कर रहा है। ‘जीई-414’ इंजन का भारत में निर्माण देश की तकनीकी प्रगति का अद्वितीय उदाहरण है।

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