### जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव और बीजेपी की रणनीति
जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। बीजेपी ने इस बार जम्मू में प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि कश्मीर की कई सीटों पर उन्होंने प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है। बीजेपी की इस असामान्य रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। क्या इससे यह माना जाए कि पार्टी को कश्मीर में वोटरों से अपने पक्ष में उम्मीदें नहीं हैं? यह सवाल उभरकर सामने आया है, खासकर जब पार्टी ने घाटी में लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही कदम उठाया था।
इस संदर्भ में नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपनी राय दी है। उनका कहना है कि बीजेपी का लक्ष्य कश्मीर में निर्दलीय उम्मीदवारों को अधिक से अधिक सीटों पर जीत दिलाना है ताकि सरकार गठन के लिए बाद में इन निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ गठबंधन किया जा सके। उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी की इस रणनीति पर खुलकर अपनी बात रखी और इसे कश्मीर में पार्टी की हार की आशंका के रूप में देखा।
### उमर अब्दुल्ला का नामांकन और मीडिया से बातचीत
गांदरबल में अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद उमर अब्दुल्ला ने मीडियाकर्मियों से बातचीत की। उन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि बीजेपी कश्मीर में निर्दलीय उम्मीदवारों को जिताने की पूरी कोशिश कर रही है। उमर ने कहा, “यह स्पष्ट है और मीडिया में भी ऐसी खबरें हैं कि भाजपा कश्मीर से अधिक से अधिक निर्दलीय उम्मीदवारों को जिताने की कोशिश कर रही है ताकि वह उन निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से सरकार बना सके।”
### निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका और एजेंडा
उमर अब्दुल्ला ने निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका और उनके एजेंडे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि जब तक इनके नामांकन पत्र स्वीकारीत नहीं होते, तब तक इनके एजेंडे के बारे में खुलासा नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा, “उनके नामांकन पत्र स्वीकार होने दें, फिर हम उनके एजेंडे के बारे में सुनेंगे कि वे जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए क्या हासिल करना चाहते हैं और भाजपा को रोकने के लिए उनकी क्या योजना है।”
### मतदाताओं से भावुक अपील
गांदरबल के लोगों से भावुक अपील करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी इज्जत अब उनके हाथों में है। एक तरह से यह नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की इस निर्वाचन क्षेत्र में वापसी है, जिसका उन्होंने 2008 से 2014 तक प्रतिनिधित्व किया था, जब वे पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री थे।
### पिछले अनुभव और भविष्य की उम्मीदें
उमर अब्दुल्ला ने अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि वह 16 साल बाद फिर से गांदरबल के लोगों के सामने आए हैं। उन्होंने कहा, “16 साल बाद मैं फिर से गांदरबल के लोगों के सामने इस उम्मीद के साथ आया हूं कि आप मुझे फिर से अपना विधायक और सेवक बनने का मौका देंगे।” उन्होंने पहले भी मध्य कश्मीर के बडगाम जिले की बीरवाह विधानसभा सीट से 2014 का विधानसभा चुनाव जीता था, और अब 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामुला निर्वाचन क्षेत्र से खड़े हुए, पर वहां निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर रशीद से हार गए थे।
### आने वाली चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ
उमर अब्दुल्ला ने अपने आगामी योजनाओं पर भी दृष्टि डालते हुए कहा कि वे आने वाले दो-तीन हफ्तों में गांदरबल के लोगों से मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं को समझकर समाधान तलाशेंगे। उन्होंने बताया, “वर्ष 2016 के बाद गांदरबल के लोगों ने बहुत कुछ सहा है, किसी ने उनके जख्मों पर मरहम नहीं लगाया, किसी ने उनकी मुश्किलों का समाधान नहीं किया। हम आने वाले दो-तीन हफ्तों में इन सभी मुद्दों पर बात करेंगे।”
### बीजेपी की चुनौतियाँ
बीजेपी की रणनीति के बारे में बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने भविष्यवाणी की कि जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं की समझदारी बीजेपी की चालों को निष्फल कर देगी। उन्होंने कहा, “जब नतीजे घोषित होंगे तो न तो भाजपा और न ही उसकी चालें सफल होंगी।”
### अंततः जनता का फैसला
खुलकर अपने विचार रखने के बाद, उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल के लोगों से कहा, “मुईन दस्तर (मेरी पगड़ी), मुईन इज्जत (मेरी इज्जत), मुईन टोपी (मेरी टोपी), आपके हाथों में है, अथ करिव राएच (इसे बरकरार रखें)।”
अब्दुल्ला की यह भावुक अपील यह दर्शाती है कि वह इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं और जनता की इज्जत उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने लोगों से एक आखिरी मौका देने की अपील की और भरोसा दिलाया कि वह उनकी सेवा करने के लिए पूरी तत्परता से तैयार हैं।
### निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर की चुनावी राजनीति में उमर अब्दुल्ला की यह वापसी और उनके द्वारा किए गए आरोप और अपील, दोनों ही इस बात को दर्शाते हैं कि आगामी चुनाव कितने महत्वपूर्ण और निर्णायक होने वाले हैं। जनता का फैसला ही अंतिम होगा, और यह देखकर दिलचस्प होगा कैसे इस चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दल और निर्दलीय उम्मीदवार अपना स्थान बनाते हैं।