चुनावी नतीजों के बाद की गहमागहमी
हरियाणा के हालिया चुनावी नतीजे (Haryana Election results 2024) सामने आए चार दिन हो चुके हैं। जहां एक ओर जीतने वाले दल जनता का आभार व्यक्त कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ हार का विश्लेषण कर रहे हैं और कुछ मातम मना रहे हैं। ऐसे में, एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इन परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने कांग्रेस को तीखे शब्दों में निशाना बनाते हुए सवाल किया है कि यदि उनकी पार्टी को बीजेपी की बी टीम कहा जाता है, तो बीजेपी हरियाणा की चुनावों में कैसे जीत गई?
भाईजान का भड़काऊ बयान?
हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान एक बार फिर से सुर्खियों में है। तेलंगाना के विकाराबाद में एक सभा में ओवैसी ने फिलिस्तीन का उदाहरण देकर मुस्लिम समुदाय से एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर वे संगठित नहीं रहेंगे तो विरोधियों का सामना कैसे करेंगे। ओवैसी ने फिलीस्तीनियों की संघर्षशीलता का हवाला देते हुए यह कहा कि वे अपनी जगह नहीं छोड़ रहे हैं और अत्याचारियों से लड़ रहे हैं। यह बयान देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। सवाल उठता है कि क्या ओवैसी फिलिस्तीन के बहाने मुस्लिम समुदाय को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं?
महाराष्ट्र चुनाव में इस बयान का असर?
ओवैसी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। इस स्थिति में यह सवाल उठता है कि क्या ओवैसी इस बयान के जरिए कोई राजनीति संदेश देना चाहते हैं? ओवैसी की पार्टी पहले भी महाराष्ट्र में चुनाव लड़ चुकी है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवादित बयान का उनके चुनावी भाग्य पर क्या असर पड़ेगा। क्या उनकी यह बयानबाजी सत्तारूढ़ दल बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश है या तुष्टिकरण की राजनीति की दिशा में एक कदम?
विपक्षी दलों को ओवैसी का जवाब
ओवैसी का बीजेपी की ‘बी टीम’ कहे जाने पर विपक्षी दलों को ताना कसना उनकी पुरानी आदत है। हर बार जब उनकी पार्टी कहीं चुनाव लड़ती है, तो विपक्ष एआईएमआईएम पर बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप लगाता है। इस आरोप के जवाब में ओवैसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी को हराना है तो विपक्ष को एकजुट होना होगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि पुराने फॉर्मूलों से बीजेपी को हराना अब संभव नहीं रहा।
मुस्लिम समुदाय से अपील
ओवैसी ने विकाराबाद में मुस्लिम समुदाय से एकजुट रहने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में अगर वे बिखर गए तो विरोधियों के लिए राह आसान हो जाएगी। हालांकि, ओवैसी ने इस अपील के जरिए क्या संकेत दिया है, यह राजनीतिक विश्लेषकों के लिए एक विचारनीय मुद्दा बन गया है।
मोदी को मात देने का मंत्र?
ओवैसी ने इंडिया ब्लॉक के नेताओं के सामने एकजुटता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों को संगठित होना जरूरी है। पुराने फॉर्मूलों की पराजय का जिक्र करते हुए ओवैसी ने इस बात पर बल दिया कि मौजूदा स्थिति में बदलाव लाने के लिए एकजुट संवाद जरूरी है।
ओवैसी का राजनीतिक गणित
देश के विभिन्न हिस्सों में जब भी चुनाव होते हैं तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी अक्सर सुर्खियों में रहती है। ओवैसी के ताजा बयान में जहां एक ओर राजनीतिक अवसरवादिता की झलक दिखती है, वहीं दूसरी ओर वे मुस्लिम समुदाय के समर्थन को साधने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। अपने विवादित बयानों के जरिए ओवैसी उसी राजनीतिक गणित की पुनरावृत्ति करते हैं, जिसका लक्ष्य अधिक से अधिक मुस्लिम वोट बैंक को सहेजना होता है।
उपसंहार
ओवैसी का ताजा बयान न सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति के अंतर्गत देखा जा सकता है, बल्कि यह भारतीय राजनीति के बदलते परिदृश्य का भी एक संकेत है। आने वाले चुनावों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनके बयान का विपक्षी दलों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या वह अपने राजनीतिक मकसद में सफल होंगे। फिलहाल, ओवैसी के इस बयान ने राजनीतिक हलचल तो मचाई है, लेकिन इसका वास्तविक असर चुनावी नतीजों पर कैसे दिखेगा, यह वक्त ही बताएगा।