अगर आपने हाल में आई वेब सीरीज IC814 The Kandahar Hijack देखी है…
अगर आपने हाल में आई अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज IC814 The Kandahar Hijack देखी है तो आखिरी सीन में आपके मन में एक सवाल जरूर पैदा हुआ होगा। जब यात्रियों को स्पेशल प्लेन से वापस भारत भेज दिया गया तो उस प्लेन का क्या हुआ जो कंधार में खड़ा था? क्या वह भारत लौटा या हाइजैक प्लेन को सुरक्षा खतरे के चलते वहीं छोड़ दिया गया? हां, क्योंकि वेब सीरीज में दिखाया गया है कि उसमें आतंकी विस्फोटक छिपाकर रखे थे, जिसे बाद में उन्होंने ही निकाला था।
अमेरिका ने खुफिया सैटलाइट से क्या पकड़ा था?
पहले यह समझ लीजिए कि क्या सच में उस प्लेन में आरडीएक्स था। उसी प्लेन के फ्लाइट इंजीनियर अनिल के. जगिया की किताब ‘IC814 Hijacked’ के चैप्टर 10 में साफ लिखा है कि अमेरिका ने अपने खुफिया सैटलाइट की मदद से आतंकियों की बातचीत टेप की थी। भारत को इसकी डीटेल भी दी गई थी। इसमें कंधार हाइजैकर्स को उनका हैंडलर्स साफ कह रहा था कि अगर वे अपने मिशन में सफल नहीं हो पाएं तो प्लेन को उड़ा दें। इससे साफ है कि बैग में विस्फोटक सच में था। इसे काठमांडू में पाकिस्तानी मिशन के अधिकारी, उसके असिस्टेंट और एक नेपाली मुस्लिम अब्दुल रईस खान की मदद से प्लेन में रखा गया था।
भारतीय एजेंसियों की प्रतिक्रिया
अमेरिका के इनपुट पर मुंबई से आईएसआई के 4 ऑपरेटिव भी गिरफ्तार हुए थे। ये गिरफ्तारियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं कि इस घटना में पाकिस्तान का हाथ था। ऐसे कई राज पता चले जिससे साफ है कि इसमें पाकिस्तान का हाथ था।
अब हाईजैक प्लेन की बात
जी हां, हाइजैक किया हुआ प्लेन लौटा था लेकिन 31 दिसंबर को नहीं बल्कि नए साल के पहले दिन 1 जनवरी 2000 को लौटा था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वह प्लेन स्वदेश लौटा तो था लेकिन उसमें कोई भी यात्री नहीं था। मतलब कंधार से खाली प्लेन लेकर आया गया था। कुछ रिपोर्टों की मानें तो वह प्लेन वापस सेवा में लौटा लेकिन कुछ समय बाद हटा दिया गया। बाद में यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई कि हाईजैक वाला प्लेन कहां है, लेकिन जैसा दूसरे प्लेन के साथ होता है, उसे सेवा से हटाए जाने के बाद बेच दिया जाता है या खंड-खंड कर दिया जाता है।
प्लेन का वह गोरा सफेद दाढ़ी वाला कौन था?
कंधार हाईजैक की कहानी में एक सवाल जो हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है, वह है कंधार हाइजैक: प्लेन में वो गोरा सफेद दाढ़ी वाला कौन था। यदि आपने वेब सीरीज देखी है, तो आपने भी ये सवाल जरूर मन में उठाया होगा। यह व्यक्ति कौन था और उसकी भूमिका क्या थी, इस पर भी बहुत सी अटकलें लगाई जाती रही हैं।
प्लेन का भविष्य: आखिर में क्या हुआ?
एक जगह यह जानकारी भी मिलती है कि प्लेन को दिसंबर 2013 में स्क्रैप कर दिया गया था। इस घटना के बाद प्लेन और यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए जनवरी 2000 में भारत के सभी एयरपोर्ट्स की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को सौंप दिया गया। नेपाल से भी फ्लाइट तभी शुरू की गई जब उसने अतिरिक्त एक्स-रे मशीन लगाई और अपना सुरक्षा तंत्र मजबूत किया। यह प्लेन नवंबर 1976 में इंडियन एयरलाइंस को मिला था।
नए सुरक्षा उपाय
कंधार हाईजैक के बाद भारतीय विमानन सुरक्षा में कई सुधार किए गए। जनवरी 2000 में सभी भारतीय हवाई अड्डों की सुरक्षा CISF को सौंप दी गई। नेपाल से उड़ाने केवल तभी शुरू की गईं जब वहां अतिरिक्त एक्स-रे मशीन लगाई गईं और सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया गया। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय उड़ान सुरक्षा की दिशा में एक बड़े सुधार की ओर इशारा किया।
प्लेन का अंतिम सफर
यह जानकारी भी मिलती है कि उस हाईजैक किए गए प्लेन को 2013 में स्क्रैप कर दिया गया था। इसे सेवा से हटाए जाने के बाद बेच दिया गया या खंड-खंड कर दिया गया। इंडियन एयरलाइंस को यह प्लेन नवंबर 1976 में मिला था और यह 2013 तक सेवा में था।
निष्कर्ष
कंधार हाईजैक की घटना भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना रही है, जिसने न केवल सुरक्षा व्यवस्थाओं को बदल दिया, बल्कि कई सवालों को भी जन्म दिया जिनका जवाब समय के साथ ही मिल पाया। IC814 The Kandahar Hijack वेब सीरीज ने इस घटना को फिर से जीवित कर दिया है, और हमें अपने सुरक्षा तंत्र की कमियों और सुधारों पर विचार करने का अवसर दिया है।
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