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किरण चौधरी का भाजपा में स्वागत: विधानसभा से इस्तीफे के पीछे की रणनीति

किरण चौधरी ने दिया विधानसभा से इस्तीफा

हरियाणा की सियासत में एक बार फिर उथल-पुथल की स्थिति पैदा हो गई है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और तोशाम की विधायक किरण चौधरी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। यह कदम उन्होंने ऐसे समय में उठाया है जब मात्र दो महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा था। मंगलवार को चौधरी ने घोषणा की, “मैंने विधानसभा सदस्य (विधायक) के तौर पर इस्तीफा दे दिया है।”

राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा की उम्मीदवार बनने के आसार

खबरों के मुताबिक, किरण चौधरी को भाजपा राज्यसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बना सकती है। हरियाणा की पूर्व मंत्री और वर्तमान में तोशाम से विधायक के रूप में कार्यरत चौधरी ने जून में अपनी बेटी श्रुति और अपने समर्थकों के साथ औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल होकर सबको चौंका दिया था। सूत्रों की मानें तो राज्यसभा के आगामी उपचुनाव में भाजपा अपनी रणनीति को सफल बनाने के लिए चौधरी को उम्मीदवार के रूप में उतार सकती है।

राज्यसभा चुनावों की तिथि और सीटों की स्थिति

राज्यसभा की 12 रिक्त सीटों के लिए नौ राज्यों में चुनाव तीन सितंबर को होंगे। हरियाणा में यह स्थिति कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा के लिए रोहतक से निर्वाचित होने के बाद उत्पन्न हुई है। इस कारण से केवल एक ही राज्यसभा सीट के लिए उपचुनाव होना आवश्यक हो गया है। इस सीट के लिए नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि बुधवार है और नामांकन पत्रों की छंटनी 22 अगस्त को होगी। उम्मीदवार अपने नामांकन को 27 अगस्त तक वापस ले सकेंगे।

भाजपा के पास समर्थन और विधानसभा में स्थिति

यदि आवश्यकता पड़ी तो तीन सितंबर को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक हरियाणा विधानसभा सचिवालय में मतदान कराया जाएगा। इस समय विधानसभा में भाजपा के 41 सदस्य हैं जबकि कांग्रेस के 28 और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 सदस्य हैं। साथ ही, पांच निर्दलीय विधायक और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) तथा हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के एक-एक विधायक हैं। कुल मिलाकर चार सीटें रिक्त हैं।
भाजपा के पास निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत और एचएलपी विधायक गोपाल कांडा का भी समर्थन है, जिससे उनकी संभावरताओं को और मजबूती मिलती है।

चुनौतीपूर्ण स्थिति और संभावनाएं

किरण चौधरी का इस्तीफा भाजपा के लिए एक रणनीतिक बढ़त हो सकता है। विधानसभा में भाजपा की मौजूदा बहुमत को देखते हुए, यदि चौधरी को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जाता है तो उनकी जीत लगभग सुनिश्चित मानी जा रही है। यह भाजपा की स्थिति को और भी स्थिर बना सकती है, खासकर अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले।

कांग्रेस के लिए कड़ा प्रहार

किरण चौधरी का भाजपा में जाना और उनका विधानसभा से इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। चौधरी के इस्तीफे के बाद से कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। हालांकि, कांग्रेस के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है और इस स्थिति का प्रभाव आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है।

अजित पवार का विवाद और किसके खिलाफ नाराजगी

वहीं, महाराष्ट्र में अजित पवार के एक हालिया कदम से भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के नाराज होने की खबरों ने सियासी पारा और बढ़ा दिया है। हालांकि इस पर विस्तृत जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन इन घटनाओं ने विभिन्न राज्यों की भाजपा इकाइयों के भीतर अस्थिरता को बढ़ावा दिया है।

नतीजे और आगे की दिशा

किरण चौधरी का इस्तीफा भले ही हरियाणा की सियासत के लिए एक बड़ा मोड़ हो, लेकिन इसकी सफलता या विफलता का आकलन आगामी राज्यसभा चुनावों और इसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के परिणामों से होगा। राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि भाजपा इस रणनीतिक कदम को कितना कारगर साबित कर पाती है और कांग्रेस इसके विरुद्ध कैसी प्रतिक्रिया देती है।

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