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‘कोई राज्य नहीं अपनाएगा बंगाल मॉडल’…अमित शाह का बयान

लोकसभा में वामपंथी उग्रवाद पर चर्चा

बंगाल न्यूज़: गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में वामपंथी उग्रवाद पर हुई चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय के प्रश्न का उत्तर देते हुए कटाक्ष किया। शाह ने कहा कि देश का कोई भी राज्य अपने यहां पश्चिम बंगाल का मॉडल नहीं अपनाना चाहेगा। यह चर्चा प्रश्नकाल के दौरान हुई जब रॉय ने वामपंथी उग्रवाद से जुड़ा पूरक प्रश्न पूछा था।

सौगत रॉय का पश्चिम बंगाल का समर्थन

सौगत रॉय ने इस दौरान ममता बनर्जी की सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में वामपंथी उग्रवाद हुआ, लेकिन ममता सरकार ने इसे नियंत्रित करने का काम सफलतापूर्वक किया। राज्य में ट्राइबल समुदाय को नौकरी दी गई, जिससे वामपंथी उग्रवाद अब वहां बंद हो गया है।” रॉय ने सरकार से यह जानना चाहा कि क्या केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के प्रयासों की स्टडी करेगी ताकि यह मॉडल अन्य राज्यों में अपनाया जा सके।

अमित शाह का कटाक्ष

अमित शाह ने सौगत रॉय के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, ‘‘अगर कोई राज्य अच्छा करे तो उसके उदाहरण को लागू करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को कोई दिक्कत नहीं है…लेकिन कोई राज्य नहीं चाहेगा कि पश्चिम बंगाल का मॉडल उसके यहां अपनाया जाए।’’

नित्यानंद राय का विवरण

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए विभिन्न आंकड़े पेश किए। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 53 प्रतिशत की कमी आई है और इन घटनाओं में सुरक्षा बलों की मौत के मामलों में भी 72 प्रतिशत की कमी हुई है।

वामपंथी उग्रवाद का गिरता प्रभाव

राय ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद की गतिविधियों में शामिल लोग इस देश के संविधान और लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं तथा वे हथियार के माध्यम से सत्ता हथियाना चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2010 में 96 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे, लेकिन मोदी सरकार के प्रयासों के कारण 2023 में यह संख्या केवल 42 जिलों तक सिमट गई है।

आने वाले वर्षों में समाप्त होगा वामपंथी उग्रवाद

राय का कहना था, “10 वर्षों में जो प्रयास किए गए हैं, उसका प्रभाव स्पष्ट दिखता है। आने वाले दिनों में वामपंथी उग्रवादियों को समाप्त कर दिया जाएगा।” उन्होंने और भी विस्तार से बताया कि इन वर्षों में न केवल घटनाएं कम हुई हैं, बल्कि हमले में सुरक्षा बलों की मौत भी drastically कम हो गई है।

पश्चिम बंगाल मॉडल का विरोध

गृह मंत्री अमित शाह ने फिर अपने बयान को दोहराते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल का मॉडल किसी भी राज्य के लिए अनुकरणीय नहीं है। शाह की इस प्रतिक्रिया से साफ है कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के प्रशासनिक मॉडल को सही नहीं मानती।

गृह राज्य मंत्री की रणनीति

नित्यानंद राय ने बताया कि केंद्र सरकार ने कैसे वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए अपनी रणनीतियों में सुधार किया है, जिससे इन घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने दावा किया, ‘‘हमने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ जो कदम उठाए हैं, वे आने वाले समय में स्थायी समाधान प्रस्तुत करेंगे।’’

ममता बनर्जी का भाषण

हालांकि, पश्चिम बंगाल ने पिछले कुछ वर्षों में वामपंथी उग्रवाद पर काबू पाने में प्रगति दिखाई है। ममता बनर्जी ने अपने सरकार की तारीफ की जबकि केंद्र सरकार ने उनके प्रयासों को अस्वीकार किया। ममता बनर्जी का यह कहना था कि उन्होंने राज्य में व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर मिले, जिससे वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में कमी आई है।

समाप्ति

इस बहस ने साबित किया है कि देश में वामपंथी उग्रवाद पर नियंत्रण के मॉडल को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। जबकि पश्चिम बंगाल सरकार अपने विधियों की प्रशंसा करती है, केंद्र सरकार उन्हें अनुकरणीय नहीं मानती। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में इस पर और क्या कदम उठाए जाते हैं।

यह बहस हमें यह भी याद दिलाती है कि आतंकवाद से निपटने के लिए एक प्रभावी और बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है। देश के विभिन्न हिस्सों में वामपंथी उग्रवाद की समाप्ति के लिए राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर काम करने की जरूरत है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों की मेहनत और मोदी सरकार की रणनीति ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन यह जंग अभी भी जारी है।

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