मौत की दौड़ का शिकार हुआ एक और युवा
झारखंड में उत्पाद विभाग में कांस्टेबल की बहाली ‘मौत की रेस’ बन गई है। एक घंटे में 10 किलोमीटर की दौड़ लगाने में सोमवार को एक और युवा की सांसें टूट गई। मृत युवक का नाम दीपक कुमार पासवान (25 वर्ष) है। वह पलामू जिले के पांडू थाना क्षेत्र के वृद्धखेरा गांव का रहने वाला था। दीपक 28 अगस्त को पलामू के चियांकी में बहाली के लिए आयोजित दौड़ में शामिल हुआ था और इस दौरान बेहोश होकर गिर पड़ा था। सोमवार को रांची के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में कांस्टेबल बहाली की दौड़ के दौरान मरने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 12 हो गई है।
बहाली प्रक्रिया और आवेदन की संख्या
राज्य में एक्साइज डिपार्टमेंट में कांस्टेबल के 583 पदों पर बहाली हो रही है। इसके लिए राज्य के पांच लाख से भी ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया है। इनमें ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और अन्य उच्च डिग्रीधारी युवा भी शामिल हो रहे हैं, जबकि इसके लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं पास है। बहाली के लिए शारीरिक परीक्षा के तहत अलग-अलग जिले में 22 अगस्त से दौड़ प्रतियोगिता कराई जा रही है। इसमें पुरुष अभ्यर्थियों के लिए एक घंटे में 10 किलोमीटर और महिलाओं के लिए 40 मिनट में पांच किलोमीटर की दौड़ पूरी करने की शर्त रखी गई है।
बेहोशी और मौत की घटनाएं
पिछले 11 दिनों के दौरान यह कठिन दौड़ पूरी करने में 300 से भी ज्यादा अभ्यर्थी बेहोश हुए हैं। युवाओं की लगातार मौत और बेहोश होने की घटनाओं पर सरकार की ओर से अब तक कोई पक्ष सामने नहीं आया है। इन घटनाओं को लेकर पिछले तीन दिनों में रांची, हजारीबाग, देवघर और गिरिडीह जिले में प्रदर्शन हुए हैं। बहाली की दौड़ के दौरान पलामू में अब तक सबसे ज्यादा पांच युवाओं की मौत हुई है। इनमें बिहार के गया निवासी अमरेश कुमार, रांची के ओरमांझी निवासी अजय महतो, पलामू के छतरपुर निवासी अरुण कुमार और गोड्डा निवासी प्रदीप कुमार भी शामिल हैं।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
हजारीबाग के पदमा स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में बहाली के लिए चल रही दौड़ में अब तक दो युवकों सूरज वर्मा और महेश कुमार की जान गई है। गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, रांची और साहिबगंज में भी एक-एक अभ्यर्थी की मौत हुई है। झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल होमकर ने कहा है कि अब तक हुई मौतों को लेकर पुलिस ने यूडी केस दर्ज कर जांच शुरू की है। सभी बहाली केंद्रों पर मेडिकल टीम तैनात है। जिन युवाओं की मौत हुई है, उनमें से कुछ के बारे में यह बात सामने आई है कि उन्होंने दवाइयों का सेवन किया था।
सरकार की प्रतिक्रिया और युवाओं का आक्रोश
युवाओं की मौत और बेहोश होने की घटनाओं पर सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे अभ्यर्थियों और उनके परिवारों में आक्रोश ब्याप्त है। युवक लगातार बहाली प्रक्रिया की कठिन शर्तों और अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं को लेकर आवाज उठा रहे हैं।
भविष्य की योजनाएं
इन घटनाओं को देखते हुए, कई युवाओं और उनके परिवारों ने राज्य सरकार से बहाली प्रक्रिया में आवश्यक परिवर्तन करने की मांग की है। इसके तहत दौड़ की शर्तों को संशोधित करने, चिकित्सकीय सहायता बढ़ाने और बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का सुझाव दिया गया है।
इस तरह की घटनाओं से शिक्षा और रोजगार की मौजूदा स्थिति पर भी सवाल उठते हैं। सरकारी नौकरियों के लिए दी जाने वाली परीक्षाओं और भर्तियों में पारदर्शिता और मानवता की अनिवार्यता है, जो इस समय आवश्यक है।