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पवार बनाम पवार: दिलों में आई दूरियां; दिवाली पर टकरा रहे हैं शरद और अजित

भूमिका

महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार के नाम का विशेष महत्व है। जहां एक तरफ शरद पवार भारतीय राजनीति में एक अनुभवी और प्रतिष्ठित नेता हैं, वहीं दूसरी और उनके भतीजे अजित पवार की गिनती भी महाराष्ट्र के प्रमुख राजनीतिक चेहरों में होती है। हालांकि, हाल ही के दिनों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में बिखराव के कारण पहली बार इस परिवार में भावनात्मक दूरियां काफी स्पष्ट दिख रही हैं।

पार्टी में विभाजन का प्रभाव

एनसीपी में हुई इस आपसी कलह ने न केवल पार्टी को दो हिस्सों में बांट दिया, बल्कि पवार परिवार के सदस्यों के बीच भी दूरी पैदा कर दी है। पार्टी में अजित पवार के ये नए राजनीतिक कदम उनके चाचा शरद पवार से पूरी तरह विपरीत है। इसके चलते आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में दोनों के बीच विवाद का स्वरूप कुछ नया दिखेगा। सबसे दुखद पहलु यह है कि इस बार उन्हें दिवाली जैसे प्रमुख त्योहार पर भी साथ नहीं दिखाया जा सकेगा।

पारंपरिक दिवाली परंपरा में अंतर

परंपरागत रूप से, पवार परिवार बारामती में ‘पवार साहब’ के गोविंदबाग निवास पर एक साथ ‘दिवाली पड़वा’ मनाते आए हैं। लेकिन इस बार की स्थिति भिन्न है। शरद पवार अपने निवास पर अपनी पत्नी प्रतिभा, बेटी सुप्रिया सुले और पोते रोहित पवार के साथ दिवाली पड़वा मनाएंगे। दूसरी ओर, अजित पवार अपने कटेवाड़ी निवास पर अपनी मां, पत्नी और दो बेटों के साथ दिवाली का उत्सव मनाएंगे। उनके निवास स्थान लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हैं, जो उनकी सोच और भावनाओं में आई दूरी को दिखाता है।

पवार परिवार की भावनात्मक चुनौतियां

इस साल की दिवाली पर परिवार में कई सदस्य एक-दूसरे से नहीं मिलेंगे, जो कि विशेष अवसर पर एक साथ आने की परंपरा को तोड़ता है। पवार परिवार के कई सदस्य शरद पवार के साथ हैं और उनका मानना है कि अजित पवार ने शरद पवार के साथ ‘धोखा’ किया है। ये सदस्य अजित पवार के भाजपा के साथ हाथ मिलाने को धर्मनिरपेक्षता के उनके परंपरागत मार्ग से भटकने का संकेत मानते हैं।

पारिवारिक विभाजन का व्यक्तिगत परिणाम

यह स्थिति सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंधों पर भी प्रभाव डाल रही है। पहले जहां एक समय पर परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे से मिलकर खुशी बांटते थे, अब वहां दो अलग-अलग स्थानों पर जश्न होगा। यह बदलाव पवार परिवार की वर्षों पुरानी परंपरा में इस प्रकार का पहला हस्तक्षेप है, जो आने वाले समय में रिश्तों में और बदलाव ला सकता है।

भावी दिशा

हालांकि, शरद पवार और उनके परिवार के कुछ सदस्य इस अलगाव के बावजूद स्वयं को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं। इस स्थिति का पूरा प्रभाव आगामी राजनीतिक और व्यक्तिगत घटनाक्रम पर भी दिखने को मिल सकता है। इस बीच, अजित पवार अपनी नई राजनीतिक दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह स्थिति किधर मोड़ लेती है।

इस प्रकार हमारी राजनीति में एक और परिवारिक विवाद का नया अध्याय खुल गया है, जो मानवीय भावनाओं और राजनीतिक परिवर्तनों को नए आयाम दे रहा है।

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