घटना की शुरुआत
फरीदाबाद में 12वीं कक्षा के एक छात्र आर्यन मिश्र को गलतफहमी की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी। यह घटना 23 अगस्त की है जब आर्यन अपनी कार में अपने दोस्तों के साथ जा रहा था। अचानक कुछ लोगों ने उनको गो तस्कर समझ लिया और उनकी कार का पीछा करना शुरू कर दिया।
गो तस्करों की गलतफहमी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गोरक्षक समूह को सूचना मिली थी कि फरीदाबाद में डस्टर और फॉर्च्यूनर कारों में कुछ लोग मवेशियों की तस्करी कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर गोरक्षकों ने वाहनों की निगरानी शुरू कर दी। तभी उन्होंने एक डस्टर कार को देखा जिसमें आर्यन और उसके दोस्त थे। गाड़ी को हर्षित चला रहा था, और कार में दो अन्य लड़के शैंकी और हर्षित के साथ दो लड़कियां भी थीं।
गलतफहमी का खेल
जब गोरक्षकों ने कार रोकने के लिए कहा, तो हर्षित ने गाड़ी नहीं रोकी। दरअसल, कार में बैठे शैंकी का किसी से झगड़ा हुआ था तो उन्हें लगा कि उसे ही मारने के लिए कुछ लोग आए हैं। इसी गलतफहमी की वजह से गाड़ी नहीं रुकी और दिल्ली-आगरा हाईवे पर करीब 30 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद गोरक्षकों ने कार के पास पहुंचकर गोली चला दी।
गोलीबारी और परिणाम
गोरक्षकों द्वारा चलाई गई गोली आर्यन की गर्दन के पास लगी, जो उस समय पैसेंजर सीट पर बैठा था। गोली लगने के बाद हर्षित ने गाड़ी रोक दी, लेकिन गोरक्षकों को लगा कि उन पर हमला हो सकता है तो उन्होंने फिर से गोली चलाई। दूसरी गोली आर्यन के सीने में लगी।
गलती का एहसास और भागने का प्रयास
गोलीबारी के बाद, जब गोरक्षकों ने देखा कि कार में दो लड़कियां भी मौजूद हैं, तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्हें समझ में आया कि उन्होंने गलत कार का पीछा किया और गलती से निर्दोष लोगों पर हमला कर दिया। मौके की नजाकत को समझते हुए, वे वहां से भाग निकले।
घायल आर्यन की मौत
घायल आर्यन को आनन-फानन में उसके दोस्तों ने अस्पताल पहुंचाया। लेकिन आर्यन की हालत गंभीर थी और डॉक्टरों की सभी कोशिशों के बावजूद अगले दिन उसकी मौत हो गई। यह भी कहा जा रहा है कि घटना में जिस हथियार का इस्तेमाल किया गया वो भी गैरकानूनी था।
पुलिस कार्रवाई
पांचों आरोपी अनिल कौशिक, वरुण, कृष्णा, आदेश और सौरभ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है, ताकि सचाई सामने आ सके और दोषियों को उचित सजा मिल सके।
समान घटनाओं का महत्त्व
गौरतलब है कि हरियाणा में इसी तरह की अन्य घटनाएं भी घटी हैं। चरखी दादरी में 27 अगस्त को पश्चिम बंगाल से आए एक मुस्लिम प्रवासी साबिर मलिक की कथित तौर पर गोरक्षकों ने हत्या कर दी थी। उस पर यह संदेह किया गया था कि उसने बीफ खाया था। इस घटना में एक अन्य व्यक्ति को भी गंभीर चोटें आई थीं।
समाज में बढ़ता आक्रोश
ऐसी घटनाओं से समाज में बहुत आक्रोश पैदा हो रहा है। निर्दोष लोगों को तस्करी या दूसरे अपराधों के शक में मारना किसी भी तरह से उचित नहीं है। यह ना केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि समाज में भय और अविश्वास का माहौल भी पैदा करता है।
अंतिम टिप्पणी
देश में ऐसी घटनाओं में वृद्धि से यह प्रश्न उठा है कि क्या गोरक्षा के नाम पर निर्दोष लोगों की जान लेना उचित है? कानून व्यवस्था को अपने हाथ में लेना और निर्दोष लोगों को नुकसान पहुँचाना किसी भी सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकता। अत: सरकार और प्रशासन को इस मामले में कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि हमें किसी भी सूचना पर बिना सोचे-समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। सामाजिक जागरूकता और कानून की सख्ती से ही हम ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।
आप सभी को ऐसी घटनाओं से साक्षात्कार करने और सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। तात्कालिक तकनीकी और सभी ताजा खबरों के लिए डाउनलोड करें Zee News Hindi का ऐप।