उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में आदमखोर भेड़ियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 52 दिनों से गांव-गांव में दहशत का माहौल है। भेड़ियों ने अबतक 10 लोगों की जान ले ली है। गांव वासी दिन ढलते ही रातभर जागते रहते हैं ताकि किसी अनहोनी से बच सकें। सवाल उठता है कि इस आतंक का अंत कब होगा? और कब गांव वाले चैन की नींद सो सकेंगे?
आदमखोर भेड़िया: शातिर लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा
वन विभाग की कई टीमें भेड़ियों को पकड़ने के लिए दिन-रात कोशिश कर रही हैं। ड्रोन कैमरे का उपयोग करते हुए भेड़ियों की खोज की जा रही है और उनको फंदे में फंसाने के लिए पिंजरे लगाए जा रहे हैं। लेकिन आदमखोर भेड़िया इतना चतुर है कि वह हर बार इन चालों को भांप जाता है और मौके से बच निकलता है। वन विभाग को जिस आदमखोर की तलाश है, वह झुंड का मुखिया बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह भेड़िया लंगड़ा है और बहुत ही खतरनाक है।
74 साल पहले की दहशत का पुनरावर्तन
बहराइच के आदमखोर भेड़िए प्रशासन के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि भेड़ियों की यह दहशत ठीक वैसे ही है जैसे 1950 में थी। तब 100 से ज्यादा भेड़ियों ने इलाके में आतंक मचाया था और एक रात में 3 लोगों की मौत हो गई थी। 74 साल पहले लखनऊ में भेड़ियों की दहशत का अंत करने के लिए सेना की मदद ली गई थी। इस मिशन में 400 शिकारी भी शामिल थे और 25 दिनों की मेहनत के बाद 4 आदमखोर भेड़ियों को मार गिराया गया था।
शिकार का आदेश और तैयारी
अब जब भेड़ियों को पकड़ने की सारी कोशिशें विफल होती नजर आ रही हैं तो वन विभाग ने उनके शिकार का आदेश दे दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि अगर भेड़िया पकड़ में नहीं आता है और वह लगातार अटैक करता रहता है तो उसे मार देना गलत नहीं है। हालांकि उनकी प्राथमिकता रहेगी कि वह भेड़िए को जिंदा पकड़ें। भेड़ियों के शिकार के लिए विशेष टीम बनाई गई है जोकि शॉर्ट गन, लॉन्ग राइफल, 22 मैग्नम गन, डबल-बैरल ब्रेक-एक्शन डिज़ाइन, लीवर एक्शन और सेमी-ऑटोमैटिक डिज़ाइन जैसी हथियारों से लैस होंगी।
सीतापुर में भी भेड़ियों का आतंक
बहराइच से 100 किलोमीटर दूर सीतामपुर में भी भेड़िये लगातार हमले कर रहे हैं। देर रात एक भेड़िए ने एक गोवंश पर हमला करके उसे घायल कर दिया, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। बहराइच के करीब 35 गांवों में आदमखोर भेड़िए आतंक फैला रहे हैं। इन्हें पकड़ने के लिए ड्रोन और पिंजरे लगाए गए हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 4 भेड़िये पकड़े जा सके हैं, अन्य की तलाश अभी भी जारी है।
आदमखोरों के अंत का काउंटडाउन
सूत्रों के मुताबिक, ट्रेंकुलाइजर गन का इस्तेमाल बहराइच में भेड़ियों को पकड़ने के लिए किया गया था, लेकिन अब स्पेशल शूटरों को अधिक प्रभावी हथियार दिए गए हैं। अब ऐसा लगता है कि भेड़ियों का टाइम ओवर हो गया है और जल्द ही गांव वाले इस आतंक से मुक्ति पा सकेंगे।
भविष्य की तैयारियां
वन विभाग और प्रशासन अब भी हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि भेड़िए जिंदा पकड़ में आएं ताकि उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा सके। इसके लिए नई तकनीकों और अधिक सटीक हथियारों का उपयोग किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस मिशन में जल्द ही सफलता मिलेगी और गांव-गांव फैल रहे इस आतंक का अंत होगा।
नवीनतम अपडेट्स के लिए जुड़े रहें ज़ी न्यूज़ से। यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी। देश-दुनिया की हर खबर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!