मोहम्मद यूनुस का नियुक्ति
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक बड़ा और विवादास्पद निर्णय लिया है। नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश के प्रमुख आर्थिक सुधारक मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है। यह ज्ञात हुआ है कि राष्ट्रपति ने यह निर्णय भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक के बाद लिया। इस बैठक में बांग्लादेश के तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुख भी मौजूद थे।
बैठक की प्रमुख बातें
चार घंटे चली इस उच्च स्तरीय बैठक के बाद राष्ट्रपति के प्रेस सचिव मोहम्मद जैनुल आब्दीन ने घोषणा की कि “राष्ट्रपति ने डॉ. यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है।” यह निर्णय विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया।
सरकारी समाचार एजेंसी की रिपोर्ट
सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ ने बताया कि राष्ट्रपति 1971 के मुक्ति संग्राम के कम से कम एक सेनानी को कैबिनेट के सलाहकार के रूप में शामिल करने के पक्ष में हैं। इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान, नौसेना प्रमुख एडमिरल एम. नजमुल हसन, एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान, ढाका विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रोफेसर आसिफ नजरूल और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रोफेसर तंजीम उद्दीन खान भी शामिल थे।
मोहम्मद यूनुस: नोबेल पुरस्कार विजेता
मोहम्मद यूनुस, जिन्हें “सबसे गरीब लोगों का बैंकर” कहा जाता है, अपने आर्थिक सुधारों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। 83 वर्षीय यूनुस प्रधान मंत्री शेख हसीना के कटु आलोचक और विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने हसीना के इस्तीफे को देश का “दूसरा मुक्ति दिवस” का नाम भी दिया है।
हिंदुओं पर अत्याचारः 27 जिलों में हिंसा
बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में स्थित मेहेरपुर में हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 27 जिलों में हिंसक भीड़ ने हिंदुओं के घरों और दुकानों पर हमला किया और उनकी कीमती चीजें लूट लीं। इस्कॉन के प्रवक्ता युधिष्ठिर गोविंद दास ने ट्वीट किया, “मेहेरपुर में हमारा एक इस्कॉन केंद्र (किराए का) जला दिया गया, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्तियां भी शामिल हैं। केंद्र में रहने वाले तीन भक्त किसी तरह भागने और बचने में कामयाब रहे।”
अंतरिम सरकार के अन्य सदस्य
राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने इस चयन प्रक्रिया को पारदर्शी रखने के उद्देश्य से विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ भी विचार-विमर्श किया है। उनकी प्राथमिकता रही है कि कम से कम एक मुक्ति संग्राम सेनानी को इसमें शामिल किया जाए। इसमें एक अन्य महत्वपूर्ण नाम प्रोफेसर आसिफ नजरूल का है, जो ढाका विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रोफेसर हैं।
आतंक का साम्राज्य
बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं ने देश में आतंकी माहौल बना दिया है। सरकारी प्रयासों के बाद भी यह समस्या थमने का नाम नहीं ले रही है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जगत से भी इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया आई है।
मोहम्मद यूनुस के आगामी कदम
अंतरिम सरकार का प्रमुख बनने के बाद सभी की नज़रें अब मोहम्मद यूनुस पर टिकी हैं। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश किस दिशा में आगे बढ़ेगा, यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। यूनुस ने अपने पहले बयान में ही संकेत दिया है कि उनके प्रधान मंत्री के पद पर रहते हुए गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन पर प्रमुख ध्यान देंगे।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर बांग्लादेश की जनता और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग इसे एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं जिससे देश में आर्थिक और सामाजिक सुधार आएंगे, जबकि कुछ इसे बढ़ती असुरक्षा और हिंसा के बीच खरी-खरी प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं।
अंतिम मोर्चा
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मोहम्मद यूनुस अपनी नई भूमिका में किस प्रकार चुनौतियों का सामना करेंगे और बांग्लादेश को एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य की ओर ले जाने में कितना सफल होंगे। इस बीच, हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, यह भी एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। राष्ट्रपति के इस फैसले ने देश को एक नया मोड़ दिया है और आगे की घटनाओं पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।