भारतीय सेना और नेवी के लिए मेगाप्लान का अनावरण
भारतीय सेना और नेवी के शस्त्रों को मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा कदम उठाया है। इस मेगाप्लान के तहत 1 लाख करोड़ रुपये के हथियार और उपकरण खरीदने का निर्णय लिया गया है। यह सभी हथियार और उपकरण भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाए जाएंगे, जिनमें स्टेल्थ तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग होगा।
मेक इन इंडिया के तहत देशी निर्माण
सूत्रों के अनुसार, जल्द ही रक्षा मंत्रालय इन हथियारों की खरीद के लिए टेंडर जारी करेगा। इस टेंडर का एक बड़ा हिस्सा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत खर्च किया जाएगा, जिसका मतलब है कि अधिकांश हथियार और उपकरण भारत में ही निर्मित होंगे। हमारे रक्षा उत्पाद अब भारत की सुरक्षा के साथ-साथ अन्य देशों की भी मदद करने के लिए तैयार हो रहे हैं।
स्टेल्थ से लैस फ्रिगेट्स
नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाले स्टेल्थ फ्रिगेट्स इस प्रोजेक्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। स्टेल्थ फ्रिगेट एक ऐसा जहाज होता है जिसका राडार से पता लगाना मुश्किल होता है। इसके लिए ऐसा मैटेरियल इस्तेमाल किया जाता है, जो जहाज के इंफ्रारेड और थर्मल सिग्नेचर को कम करता है।
स्टेल्थ तकनीक का उपयोग जहाज की बनावट और निकलने वाली आवाज को दबाने में किया जाता है, जिससे यह राडार को चकमा देने में सक्षम होता है। इस प्रोजेक्ट का नाम ‘सेवेंटीन ब्रावो’ रखा गया है।
फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV)
भारतीय सेना के लिए FCRV (फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल) का निर्माण किया जाएगा। FRCV का वजन पारंपरिक टैंकों से कम होता है और इसका इंजन अधिक ताकतवर होकर टैंक के चलने की क्षमता को बढ़ाता है। सेना की आर्मर्ड कोर में मौजूद T-72 टैंको की जगह अब 1700 FRCV लेंगे।
FRCV के साथ छोटी दूरी की मिसाइल और ड्रोन भी लगाए जा सकते हैं, जिससे युद्ध के दौरान टैंक कमांडर टैंक के गोले के साथ ड्रोन और मिसाइल से भी हमला कर सकता है या निगरानी कर सकता है।
थिएटर कमांड की संख्या में वृद्धि
भारतीय सेना इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड की संख्या बढ़ाने जा रही है। फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल जैसे उपकरण सेना की ताकत को बढ़ाएंगे और उसे अधिक सक्षम बनाएंगे।
हथियारों के एक्सपोर्ट में भारत का दबदबा
‘मेक इन इंडिया’ अभियान से न केवल भारतीय सेना के लिए हथियार बनाए जा रहे हैं, बल्कि भारत भी रक्षा उत्पादों के निर्यात में बड़ा कदम उठा रहा है।
साल 2016-17 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 1521 करोड़ रुपये था, जो साल 2022-23 में बढ़कर 15920 करोड़ हो गया है।
भारत में बने रक्षा उत्पाद वर्तमान में 84 देशों को निर्यात किए जाते हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं। भारत के निर्यात में मिसाइल और रॉकेट्स प्रमुख हैं।
मिसाइल और रॉकेट तकनीक
भारत ने ब्रह्मोस, आकाश एयर डिफेंस सिस्टम और पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर जैसे उन्नत हथियार तकनीकों को अन्य देशों को निर्यात किया है। इसके साथ ही भारतीय आर्टिलरी गन्स की भी दुनिया में मांग बढ़ी है।
मेक इन इंडिया की उन्नति
‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत 2014 में हुई और पिछले दस सालों में इसका ग्राफ 10 गुना ऊपर चढ़ा है। इसी के चलते भारत तेजी से रक्षा उत्पादों के निर्माण में आत्मनिर्भर बन रहा है और विश्व में अपनी साख बढ़ा रहा है।
इस प्रोजेक्ट से जुड़ी नई तकनीकों और उपकरणों के आने से भारतीय सेना और नेवी की ताकत में और भी इजाफा होने की संभावना है। ज्यादातर हथियार और उपकरण देश में निर्मित होने के कारण यह कदम न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को भी प्रदर्शित करता है।
भारतीय सेना और नेवी को मिलने वाले इन नए उपकरणों और हथियारों से देश की सुरक्षा मज़बूत होगी और दुश्मनों के खिलाफ देश की रक्षा क्षमता में भारी वृद्धि होगी।
इस मेगाप्लान की सफलता भारत को भविष्य में और भी अधिक सुरक्षा के प्रति सक्षम बनाएगी और विश्व स्तर पर भारतीय रक्षा उत्पादों की मांग को भी बढ़ाएगी। यह न केवल आने वाले समय में भारतीय सेना की क्षमता को सुदृढ़ बनाएगा, बल्कि देश को आत्मनिर्भरता की नई ऊँचाइयों पर भी ले जाएगा।