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मथुरा: बांके बिहारी मंदिर के गर्भगृह में मजार का विवाद क्यों उभरा?

मथुरा में धार्मिक संघर्ष: बांके बिहारी मंदिर का मजार विवाद

मथुरा, जो भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में विख्यात है, एक बार फिर से धार्मिक तनाव के केंद्र में है। इस बार मामला है शाहपुर गांव में स्थित ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज के मंदिर का, जहां गर्भगृह में मजार बनने के दावे ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि यह मंदिर प्रसिद्ध वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर से अलग है, फिर भी हिंदू संगठनों और साधु-संतों के लिए यह मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इतिहास की परछाइयाँ: मथुरा का सांप्रदायिक इतिहास

मथुरा का इतिहास साढ़े 350 साल पहले शुरू होता है, जब मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब ने यहां के भव्य मंदिर को तोड़कर अपनी क्रूरता को अंजाम दिया था। समय गुजर गया, लेकिन मथुरा में सांप्रदायिक तनाव की परछाइयाँ अब भी मौजूद हैं। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर का मजार विवाद इसे एक बार फिर से उजागर कर रहा है। कृष्ण की जन्मभूमि पर बना मंदिर तोड़ा गया था, और अब आरोप है कि इसी तरह के षड्यंत्र के तहत बांके बिहारी के मंदिर में मजार बनाकर अतिक्रमण किया गया है।

मंदिर और मजार: विवाद की जड़

जब हिंदू संगठनों ने शाहपुर गांव के ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज मंदिर में गर्भगृह पर मजार बनने का दावा किया, तो पूरा मंदिर परिसर त्वरित प्रतिक्रिया और तनाव के माहौल में डूब गया। साधु-संत और स्थानीय हिंदू संगठन इस बारे में अत्यधिक आक्रोशित हैं और उन्होंने इसे धर्म युद्ध के रूप में लड़ने की तैयारी कर ली है। गर्भगृह के चबूतरे पर मजार को खड़ा किया जाना हिंदू धर्मावलंबियों के लिए एक बड़ी बात है और इसे धार्मिक आस्था पर आघात के रूप में देखा जा रहा है।

अदालती फैसले और सरकारी रुख

मंदिर और मजार के इस विवाद में हाई कोर्ट ने भी हस्तक्षेप किया है और मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया है। सरकारी दस्तावेजों में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की जमीन का नाम भी दर्ज है, जो यह पुष्टि करता है कि मंदिर की जमीन पर मजार अवैध है। बावजूद इसके, सरकारी प्रशासन ने अब तक इस अवैध मजार पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे विवाद और गहरा होता जा रहा है।

धार्मिक संगठनों का रुख

मथुरा के साधु-संत और हिंदू संगठन बेहद नाराज हैं और उन्होंने प्रशासन से अवैध मजार को बुलडोजर चलाकर गिराने की मांग की है। साधु-संतों ने इसे धर्म युद्ध बताते हुए ऐलान किया है कि अगर प्रशासन इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई नहीं करता तो यह कदम वे खुद उठाएंगे और मजार को उखाड़ फेंका जाएगा। इस प्रकार का उग्र रुख मथुरा की संवेदनशील स्थिति को और भी अस्थिर बना सकता है।

मथुरा का सवाल: कैसे हो समाधान?

मथुरा और वृंदावन का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से अटूट है, यहाँ के कण-कण में उनकी महिमा समाई हुई है। ऐसे में शाहपुर गांव के इस मंदिर की जमीन पर मजार का निर्माण कैसे हो सकता है, यह सवाल उठाया जा रहा है। कोर्ट ने हिंदू संगठनों के पक्ष में फैसला सुनाया है, फिर भी अवैध मजार के खिलाफ बुलडोजर एक्शन क्यों नहीं हो पाया, यह महत्वपूर्ण सवाल है।

संवेदनशीलता और भविष्य की राह

मथुरा के धार्मिक और सांप्रदायिक इतिहास को देखते हुए, इस प्रकार के विवादों का समाधान अत्यंत संवेदनशीलता और समझदारी से किया जाना आवश्यक है। प्रशासन को चाहिए कि वह न्यायालय के फैसले का पालन करते हुए जल्द ही अवैध मजार को हटाए और क्षेत्र में शांति स्थापित करे। दूसरी ओर, साधु-संत और हिंदू संगठनों को भी संयम बरतते हुए कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए।

मथुरा में यह मामला धार्मिक आस्था और कानूनी अधिकारों के बीच संघर्ष का प्रतीक बन गया है। इसे जल्द और स्थायी समाधान की आवश्यकता है, ताकि इस धर्म नगरी की सांप्रदायिक शांति बनी रहे। वरुण भसीन, ज़ी मीडिया, मथुरा से रिपोर्ट.

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