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महाराष्ट्र न्यूज: कैसे 6 फुट की सीमा से पार हुई 35 फुट की शिवाजी प्रतिमा?

सोमवार को ढह गई थी शिवाजी की प्रतिमा

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में स्थित राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा सोमवार को ढह जाने से राज्य में राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। इस घटना ने सभी का ध्यान इस ओर खींचा है कि आखिर 6 फुट की स्वीकृति से 35 फुट तक की ऊंचाई की अनुमति कैसे मिली? मूर्तिकार जयदीप आप्टे ने इस प्रतिमा का निर्माण किया था और अब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। वहीं, संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल की गिरफ्तारी भी हो चुकी है, बावजूद इसके रहस्य अब भी बरकरार है।

असली मॉडल था सिर्फ 6 फुट का

सूत्रों की मानें तो राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का मॉडल 6 फुट ऊंचा था और इसे राज्य कला निदेशालय ने स्वीकृति दी थी। यह मॉडल मिट्टी से बना था। इस मॉडल को निदेशालय द्वारा पिछले साल पास किया गया था। लेकिन, दिसंबर में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रतिमा का अनावरण किया, तब उस प्रतिमा की ऊंचाई 6 फुट से बढ़कर 35 फुट हो चुकी थी। तेज हवाओं के दबाव को न सह पाने की वजह से यह प्रतिमा इस सोमवार को ढह गई, जिससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि ये ऊंचाई किसकी अनुमति से बढ़ाई गई थी?

मंजूरी का रहस्य

राज्य कला निदेशालय के एक उच्च अधिकारी ने संकेत दिए कि यह कहना गलत है कि निदेशालय द्वारा केवल 6 फुट ऊंची प्रतिमा बनाने की मंजूरी दी गई थी। लेकिन, कारीगर जयदीप आप्टे ने 35 फुट ऊंची प्रतिमा बना दी। उन्होंने कहा कि ‘जे जे इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स’ के विशेषज्ञों द्वारा स्केल मॉडल की जांच करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रतिमा में वैसी ही विशेषताएं हो जैसी कि मूल व्यक्ति में होती हैं। बावजूद इसके, सवाल उठता है कि इतनी बड़ी प्रतिमा को बिना किसी उचित प्रशासनिक अनुमोदन कैसे स्थापित किया गया?

शिंदे सरकार पर विपक्ष का हमला

इस घटना के बाद महा विकास आघाडी (एमवीए) सहित कई विपक्षी दलों की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार पर तीखा हमला बोला गया है। कांग्रेस ने सीधे तौर पर महायुति सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि घटिया निर्माण की वजह से यह हादसा हुआ। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना का कहना है कि यह घटना शिंदे सरकार में भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाती है।

किसकी गलती?

राज्य कला निदेशालय एवं मूर्तिकार के बीच उत्पन्न मतभेद और विवाद ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। यह सवाल अब भी बना हुआ है कि प्रतिमा की ऊंचाई 6 फुट से बढ़ाकर 35 फुट तक किसकी मंजूरी से की गई? जांच एजेंसियां इस मामले की गंभीरता और सत्यता का पता लगाने में जुटी हुई हैं।

नई जांच और गिरफ्तारी

इस मामले में मूर्तिकार जयदीप आप्टे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, यह एक बड़ा प्रशासनिक चूक है और इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाएगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।

नए दिशा निर्देश

इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कला संरचनाओं और सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमाओं की स्थापना के लिए नए दिशा निर्देश जारी करने की योजना बनाई है। इन दिशा निर्देशों में प्रतिमाओं की ऊंचाई, निर्माण गुणवत्ता, और अनुमोदन के लिए नए नियमों को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, हर निर्माण प्रोजेक्ट की संपन्नता के बाद उसकी ‘फाइनल अप्रूवल’ जरूरी होगी।

आगे की राह

यहां यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह घटना महाराष्ट्र में सार्वजनिक संरचनाओं के निर्माण और अनुमोदन के मामलों में किस प्रकार बदलाव लाएगी। सरकार पर भी दबाव है कि वे इस मुद्दे की तह तक जाकर जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करें। जनता की भी मांग है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान को कोई ठेस न पहुंचे और इससे संबंधित प्रशासनिक चूक को तुरंत सही किया जाए।

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