महिला सुरक्षा पर राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशभर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को लेकर समाज के प्रति अपनी गंभीर नाराजगी जाहिर की है। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुई एक वीभत्स घटना का जिक्र करते हुए इस मुद्दे पर खुलकर बात की।
कोलकाता की घटना से गहरा आघात
इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह 31 साल की ट्रेनी लेडी डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना से बेहद निराश और डरी हुई हैं। यह घटना पिछले 20 दिनों से चर्चा में रही है और समाज को ‘ईमानदार, निष्पक्ष आत्मनिरीक्षण’ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब बस बहुत हो गया है, समाज को स्थितियों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
‘सामूहिक भूलने की बीमारी’ से सावधान
राष्ट्रपति मुर्मू ने निर्भया कांड के बाद हुए अनगिनत बलात्कारों का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज इन्हें भूल चुका है। उन्होंने इस व्यवहार को ‘सामूहिक भूलने की बीमारी’ कहकर संबोधित किया जिसे ‘बेहद अप्रिय’ बताया। समय आ गया है कि भारत ईमानदारी से अपने इतिहास का सामना करे।
बेटियों और बहनों के प्रति अत्याचार अस्वीकार्य
राष्ट्रपति मुर्मू ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कोई भी सभ्य समाज बेटियों और बहनों पर ऐसे अत्याचार की इजाजत नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि यह निंदनीय मानसिकता ही महिलाओं को कम इंसान, कम शक्तिशाली, कम सक्षम, और कम बुद्धिमान के रूप में देखती है।
उठाई निष्पक्ष आत्मनिरीक्षण की मांग
राष्ट्रपति ने समाज से आग्रह किया कि वह खुद से कठिन सवाल पूछे और अपनी नीतियों तथा मानसिकताओं की समीक्षा करे। यह आत्मनिरीक्षण इस प्रकार की विकृति को जड़ से उखाड़ फेंकने में सहायक हो सकता है।
कोलकाता की घटना: एक नजर
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8-9 अगस्त की रात 31 साल की ट्रेनी लेडी डॉक्टर के रेप और मर्डर की वारदात घटी थी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 10 अगस्त को पुलिस ने संजय रॉय नाम के एक सिविक वॉलंटियर को गिरफ्तार किया। जांच अब सीबीआई को हस्तांतरित कर दी गई है।
कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा
इस घटना के बाद देशभर में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्ष भी बंगाल में विरोध प्रदर्शन के जरिए मामले को राजनीतिक मंच पर उठा रहा है।
‘साबित’ संजय रॉय का पक्ष
मामले में संजय रॉय का पक्ष लेकर कबिता सरकार भी खबरों में हैं। उनकी भूमिका की भी जांच हो रही है।
समाज का जिम्मा और जिम्मेदारी
राष्ट्रपति की बातों से स्पष्ट है कि समाज को महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना पड़ेगा। इस मामले ने एक बार फिर से समाज के समक्ष एक गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है, जिसमें सामूहिक सहयोग की आवश्यकता है।
समाज के आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता
राष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर समाज से आत्मनिरीक्षण की अपील की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इतिहास का सामना करने से डरने वाले समाज को अपनी भूलों का एहसास करना चाहिए और इस दिशा में उज्जवल कदम उठाने चाहिए।
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राष्ट्रपति मुर्मू के इन शब्दों से साफ है कि अब समाज को महिला सुरक्षा को लेकर अपने दृष्टिकोण और नीतियों में बदलाव करना होगा। ‘बस, अब बहुत हुआ।’ यह बयान समाज के लिए एक गंभीर संदेश है कि अब इस विकृति को जड़ से उखाड़ने की जरूरत है।