kerala-logo

वसीम रिजवी का नवीनतम नाम परिवर्तन: जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर के नामकरण पर विवाद

परिचय

वसीम रिजवी, उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष, जो अपने खुलासों और बयानों के कारण अक्सर विवादों में रहे हैं, उन्होंने इस बार अपने नाम में परिवर्तन के कारण सुर्खियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। करीब तीन साल पहले इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के बाद रिजवी ने अपने नए नाम जितेंद्र नारायण त्यागी को बदलकर अब जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर कर लिया है।

नाम और जाति परिवर्तन का कारण

रिजवी के इस नई पहचान को अपनाने के पीछे क्या कारण हो सकता है, इस पर लोगों के कई विभिन्न दृष्टिकोण हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह केवल उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है, जिसमें वे अपनी सामाजिक और धार्मिक पहचान बदलने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं, कुछ लोग इसे विवादित बयानों और उनके जीवन में हो रहे प्रमुख परिवर्तनों का परिणाम मानते हैं।

मौलाना की प्रतिक्रिया

रिजवी के इस बार के नाम और जाति परिवर्तन पर एक बार फिर से मौलाना ने अपनी अप्रत्यक्ष नाखुशी जाहिर की है। बरेली के आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी ने साफ तौर पर कहा है कि वसीम को इस्लाम से पहले ही खारिज किया जा चुका है और उनके नए नामकरण से इस्लाम पर कोई असर नहीं पड़ता।

वसीम रिजवी का सनातन धर्म में परिवर्तन

वसीम रिजवी के इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपनाने की यात्रा ने धर्म समुदायों के बीच बड़ी हलचल मचा दी थी। जब डासना मंदिर के महंत नरसिंहानंद ने उन्हें गंगाजल पिलाकर हिंदू धर्म में सम्मिलित किया तब उन्होंने खुद को जितेंद्र नारायण त्यागी का नाम दिया। इस फैसले का उनके परिवार के सदस्यों ने समर्थन नहीं किया। उनकी मां और भाई ने उनसे नाता तोड़ लिया था।

खुलकर बोले वसीम रिजवी

वसीम रिजवी ने अपने फैसले के पक्ष में खुलकर बातें की हैं। उनके अनुसार, इस्लाम से निकाले जाने के बाद वह किसी भी धर्म का चुनाव कर सकते हैं। सनातन धर्म की विशेषताओं की प्रशंसा करते हुए उन्होंने इसे दुनिया का प्राचीनतम धर्म बताया और इसकी विविधता को सराहा।

पिछला विवादित इतिहास

रिजवी का विवादों से पुराना नाता है। सपा सरकार के दौरान यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सरकार के कार्यकाल में इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ पर बोलना शुरू किया। उनके कुछ प्रमुख बयानों में मदरसों को कट्टरता की फैक्ट्रियों के रूप में चिन्हित करना और उन्हें बंद करवाने की मांग शामिल है। दिल्ली के कुतुब मीनार स्थान पर फिर से हिंदू और जैन मंदिर बनाने के लिए दायर उनकी याचिका का भी विरोध हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

परिवार के साथ टूटे संबंध

वसीम रिजवी के धर्म परिवर्तन के बाद उनके परिवार ने उनसे संबंध समाप्त कर दिए। उनके फैसले का समर्थन करने वालों की संख्या कम होने के बावजूद, वसीम अपने निर्णयों पर अडिग रहे और कहा कि वे ऐसी किसी बाधा से डिगेंगे नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मानना है कि सभी धर्मों को समानता का दर्जा दिया जाना चाहिए और किसी भी निर्णय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता अहम होती है।

आगे की राह

वसीम रिजवी का यह कदम विवाद को नया मोड़ तो दी है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अपने विचारों और निर्णयों का पालन करते रहने का संदेश भी दिया है। रिजवी का यह नया नाम और पहचान उनकी भविष्य की योजनाओं को कैसे प्रभावित करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। मौजूदा समय में, यह देखना अभी बाकी है कि उनके इस कदम का लंबे समय तक क्या प्रभाव होता है।

Kerala Lottery Result
Tops