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वसीम रिजवी नया नाम: फिर से किया नाम परिवर्तन मौलानाओं की प्रतिक्रिया आई सामने

वसीम रिजवी का नाम परिवर्तन और प्रतिक्रिया

वसीम रिजवी, जो करीब तीन साल पहले इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म में परिवर्तित हो गए थे, ने एक बार फिर से अपना नाम और जाति बदल दी है। पहले वे जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से प्रसिद्द हुए थे। अब उन्होंने अपने नाम में बदलाव करके जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर रख लिया है। उनके इस नए नाम और जाति के परिवर्तन पर मौलानाओं की प्रतिक्रिया सामने आई है। बरेली में आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी ने कहा कि वसीम रिजवी को इस्लाम से पहले ही खारिज किया जा चुका है, इसलिए वे चाहे जो भी नाम रखें, उसका इस्लाम से कोई सरोकार नहीं है।

वसीम रिजवी की धार्मिक यात्रा

वसीम रिजवी का सफर हमेशा से ही विवादों और बदलावों का हिस्सा रहा है। सपा सरकार के दौरान वसीम रिजवी यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे। वर्ष 2017 में योगी सरकार के आने के बाद उनका झुकाव इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ हो गया। उन्होंने मदरसों को कट्टरता फैलाने वाली संस्थाएं करार दिया और योगी सरकार से प्रदेश के सभी मदरसों को बंद कराने की मांग की थी।

वहीं, दिल्ली के कुतुब मीनार को लेकर उन्होंने धार्मिक दृष्टिकोण से मुद्दा उठाया था। उन्होंने मांग की थी कि कुतुब मीनार के स्थान पर पहले की तरह हिंदू और जैन मंदिरों का निर्माण किया जाए। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की, हालांकि वह याचिका खारिज कर दी गई।

इस्लाम से निष्कासन और सनातन धर्म में प्रवेश

वसीम रिजवी के इस्लामिक रुख के खिलाफ शिया और सुन्नी, दोनों ही समुदायों के मौलाना भड़क गए। दोनों समुदायों ने वसीम रिजवी के खिलाफ फतवे जारी किए और उन्हें इस्लाम से निष्कासित कर दिया। इसके जवाब में वसीम रिजवी ने सनातन धर्म में प्रवेश करने का निर्णय लिया।

डासना मंदिर के महंत नरसिंहानंद ने वर्ष 2021 में उन्हें गंगा जल पिलाकर हिंदू धर्म में शामिल कराया। इस धार्मिक परिवर्तन के बाद उनका नाम ‘जितेंद्र नारायण त्यागी’ रखा गया।

परिवार का समर्थन प्राप्त नहीं

हालांकि वसीम रिजवी के इस फैसले पर उनके परिवार ने भी उनका साथ नहीं दिया। उनकी मां और भाई ने उनसे संबंध तोड़ लिया। लेकिन इसके बावजूद वसीम रिजवी अपने फैसले पर अडिग रहे। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौलानाओं द्वारा इस्लाम से निष्कासित किए जाने के बाद यह उनका अधिकार है कि वे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के अनुसार किसी भी धर्म को स्वीकार कर सकते हैं।

उन्होंने सनातन धर्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह दुनिया का प्राचीनतम धर्म है और इसमें सारी दुनिया को एक साथ चलाने की क्षमता है। यह धर्म सभी को समानता का संदेश देता है और यही इसकी असली खूबी है।

मौलानाओं की प्रतिक्रिया

रिजवी के इस कदम पर मौलानाओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वे उनके नाम और धर्म परिवर्तन को लेकर आक्रामक हो गए हैं। उनका कहना है कि वसीम रिजवी अब अपना कोई भी नाम रख लें, उसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं है।

इस घटनाक्रम ने धार्मिक संघर्षों और जटिलताओं को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। वसीम रिजवी का यह निर्णय सार्वजनिक चर्चाओं में जीवंत विषय बना हुआ है और इस पर आगे क्या घटेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

वसीम रिजवी का नाम परिवर्तन और इसके पीछे की धार्मिक और सामाजिक जटिलताएं अनेक प्रश्न उठाती है, जिनका उत्तर समय के साथ ही मिलेगा।

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