शाहपुर गांव का बांके बिहारी मंदिर मामला
मथुरा के शाहपुर गांव का बांके बिहारी मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू संगठनों ने मंदिर के गर्भगृह में एक अवैध मजार बनाए जाने का दावा किया। यह मामला मथुरा के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक और सांचहाई जोड़ देता है, जहां श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का विवाद पहले से ही चल रहा है।
जन्मभूमि से 30 किलोमीटर दूर की घटना
यह बांके बिहारी मंदिर, मथुरा के वृंदावन में स्थित मशहूर बांके बिहारी मंदिर से अलग है। शाहपुर गांव के इस मंदिर का विवाद मथुरा के छाता तहसील से जुड़ा है, जो जन्मभूमि से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है।
विवाद का कारण
विवाद की जड़ यह है कि मंदिर के गर्भगृह की जगह पर एक मजार बना दी गई है। हिंदू संगठनों और साधु-संतों का कहना है कि यह मजार अवैध है और इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। उनके अनुसार, यह न केवल मंदिर की पवित्रता को भंग करता है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाता है।
350 साल पुरानी कहानियां
मथुरा के धार्मिक इतिहास में यह विवाद नया नहीं है। आज से साढ़े 350 साल पहले, मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब ने कृष्ण जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर को तुड़वा दिया था। क्रूरता और अत्याचार की वह घटना आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
हाई कोर्ट का फैसला
मंदिर और मजार के इस विवाद में हाई कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के पक्ष में फैसला दिया है। सरकारी दस्तावेजों में भी यह स्पष्ट हो चुका है कि मंदिर की जमीन पर मजार अवैध है। अदालत ने अपने निर्णय में यह भी मान लिया है कि मंदिर की जमीन पर मजार का निर्माण अवैध है।
प्रशासन की नाकामी
हाई कोर्ट का फैसला आने के बावजूद प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। यह प्रशासनिक नाकामी साधु-संतों और हिंदू संगठनों में नाराजगी का कारण बन गई है। साधु-संत अब मांग कर रहे हैं कि गर्भगृह की जमीन पर बनी इस अवैध मजार को गिराया जाए।
धर्म युद्ध की चेतावनी
मथुरा के साधु-संत और हिंदू संगठन अब धर्म युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर अवैध मजार पर बुलडोजर नहीं चला तो वे खुद मजार का नामोनिशान मिटा देंगे।
मथुरा-वृंदावन का मिट्टी में श्रीकृष्ण
मथुरा और वृंदावन के कण-कण में श्रीकृष्ण का वास है। ऐसी स्थिति में शाहपुर गांव के बांके बिहारी मंदिर की जमीन पर मजार कैसे बन गई, यह सवाल बड़ा है। कोर्ट के फैसले के बावजूद अवैध मजार के खिलाफ अभी तक बुलडोजर एक्शन क्यों नहीं हुआ, यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है।
मथुरा के इतिहास पर एक और धमाका
मथुरा का यह नया विवाद उस लंबे इतिहास का हिस्सा है जहां धर्म और राजनीति ने हमेशा से टकराव किया है। यह विवाद न केवल धार्मिक संतुलन को भंग करता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को भी खतरे में डालता है। औरंगजेब की क्रूरता की यादें आज भी ताजा हैं, और वर्तमान में मजार का यह मामला उसी इतिहास का एक और धमाका है।
समापन विचार
मथुरा-वृंदावन में धार्मिक संतुलन और पवित्रता की रक्षा करना प्रशासन और नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। शाहपुर गांव के बांके बिहारी मंदिर का यह विवाद जल्द से जल्द सुलझाया जाए, ताकि मथुरा के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में किसी और विवाद की गुंजाइश न बचे।
वरुण भसीन, ज़ी मीडिया, मथुरा