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अफजल गुरु की फांसी पर बोले शिंदे आतंकी कहने से क्यों हिचक रहे हैं?

सुशील कुमार शिंदे की किताब का खुलासा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे एक बार फिर चर्चा में हैं। उनकी किताब में किए गए सनसनीखेज खुलासे ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। शिंदे ने खुलासा किया कि अफजल गुरु की फांसी के समय उनके परिवार वालों से अंतिम मुलाकात नहीं हो पाई थी। यह फैसला नियमानुसार था या नहीं, इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

फांसी की प्रक्रिया का विवरण

अफजल गुरु की फांसी का आदेश भारतीय सुप्रीम कोर्ट से आया था, और शिंदे के अनुसार, यह आदेश उन्होंने एक गृह मंत्री के रूप में निभाया। परंतु इस दौरान जो आलोचना हो रही है, वह इस बिंदु पर है कि क्या अफजल गुरु को आतंकी मानलिया गया था? शिंदे इस सवाल का सीधा जवाब देने से बचते हुए कहते हैं कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करना पड़ा।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

भाजपा के प्रवक्ता शहजाद जयहिंद ने शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए सरकार में गृह मंत्री रहे शिंदे अफजल गुरु को आतंकी कहने से बच रहे हैं। भाजपा द्वारा उनके इस रुख को कांग्रेस का असली चेहरा बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिनमें लोग कांग्रेस और शिंदे की आलोचना कर रहे हैं।

कसाब का मुद्दा और बिरयानी की चर्चा

अजमल कसाब की फांसी की प्रक्रिया पर भी शिंदे ने चर्चा की। उनसे पूछा गया कि क्या कसाब को जेल में बिरयानी खिलाई गई थी, जिस पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि यह मामला भी बड़े विवाद का विषय बन चुका है और कांग्रेस की सरकार पर आरोप लगाए जाते हैं कि कसाब को विशेष सुविधाएँ दी गईं थीं।

मुंबई हमले का बदला और कांग्रेस की रणनीति

मुंबई हमले का बदला न लेने के फैसले पर भी शिंदे से सवाल किया गया। उन्होंने कहा कि उस वक्त उनके पास कोई आधिकारिक जिम्मेदारी नहीं थी और वे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते। भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस को हमेशा घेरती आई है, लेकिन शिंदे ने यह कहकर अपने आपको बचा लिया कि वो उस समय गृह मंत्री भी नहीं थे जब यह घटनाएँ घटित हुईं।

शिंदे का आत्म बचाव और किताब का महत्व

शिंदे की पुस्तक ने न सिर्फ राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है, बल्कि कांग्रेस के लिए भी एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। शिंदे ने अपनी किताब में अफजल गुरु की फांसी को कानूनी प्रक्रिया के तहत किया गया एक कार्य बताया है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर गर्मागर्म बहस चल रही है, जहाँ लोग इस मसले पर विभाजित राय रख रहे हैं।

निष्कर्ष

सुशील कुमार शिंदे का यह बयान और उनकी किताब के खुलासे भारतीय राजनीति में एक नया विमर्श पैदा कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटनाक्रम का आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ेगा और कांग्रेस व भाजपा किस तरह इसे अपने फायदे में इस्तेमाल करेंगे। शिंदे के आधिकारिक वक्तव्यों और उनकी किताब के विवरण ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा शुरू कर दी है। यह सब अगले कुछ समय के लिए एक दिलचस्प राजनीतिक ड्रामा बना रहेगा।

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