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आत्मनिर्भरता: राष्ट्र की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं – वायुसेना के उप प्रमुख ए.पी. सिंह


वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल ए.पी. सिंह ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को लेकर एक प्रमुख बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि ‘आत्मनिर्भरता’ केवल एक शब्द ही नहीं है, यह एक ऐसा लक्ष्य है जिसमें सभी हितधारकों को अपना दिल और आत्मा लगानी होगी। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदम राष्ट्र की रक्षा की कीमत पर नहीं होने चाहिए। सीएपीएस संगोष्ठी में अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्र की सुरक्षा सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है।

आत्मनिर्भरता: केवल एक शब्द नहीं

वायुसेना उप प्रमुख ने जोर देकर कहा कि राष्ट्र की रक्षा करना केवल वर्दीधारी व्यक्तियों का काम नहीं है, बल्कि हर नागरिक का यह कर्तव्य है। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की वकालत करते हुए कहा कि डीआरडीओ, निजी उद्योग और अन्य संस्थाएं जैसे कि रडार, संचार और अन्य अनेकों क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ा सकती हैं। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि ऐसी प्रौद्योगिकियों और हथियारों का विकास और निर्माण सुनिश्चित होना चाहिए जो भारत में ही हो सके ताकि हमें बाहरी एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना पड़े। इसका मतलब है कि हमें ऐसी शक्ति विकसित करनी होगी जो बाहरी सहयोगियों से भिन्न हो और संकट के समय हमें निराश नहीं करे।

हम आत्मनिर्भरता की राह पर…

कठिन भूराजनीतिक स्थिति के मद्देनजर, वायुसेना उप प्रमुख ने कहा कि सबसे बड़ा सबक जो हमने सीखा है वह आत्मनिर्भरता है। उन्होंने बताया कि भले ही कोई भी स्थायी दुश्मन या मित्र न हो, पर स्थायी केवल राष्ट्रीय हित होते हैं। उन्होंने ज्यादा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यह देश की सुरक्षा को खतरे में डालकर नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, “हम आत्मनिर्भरता की राह पर चल रहे हैं। ज्यादातर अनुबंध भारतीय भागीदारों और भारतीय उद्योगों के साथ हैं, लेकिन यह आत्मनिर्भरता देश की सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती।”

हमें उस रास्ते से भटकने न दें

एयर मार्शल ने कहा कि भारतीय वायुसेना और भारतीय सेनाओं को इस आत्मनिर्भरता पर आगे बढ़ना है, तो डीआरडीओ से लेकर रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम और निजी उद्योग तक, सभी को हमारा हाथ थामना होगा और हमें उस रास्ते पर ले जाना होगा। उन्होंने चेताया कि इस रास्ते से भटकने की मजबूरी तब आ सकती है जब हमें वे चीजें नहीं मिलती जिनकी हमें आवश्यकता है, या जीवित रहने के लिए जिस प्रकार की प्रणाली या हथियार की जरूरत है, वह हमें नहीं मिलता। उन्होंने उन्नति की गति को तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि वर्तमान में उपकरणों की आपूर्ति की दर बहुत धीमी है और इसे बढ़ाने की जरूरत है।

लंबी दूरी तय करनी है

एयर मार्शल सिंह ने कहा कि हमें एकजुट होकर और तेज गति से काम करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जब हम अपने प्रतिद्वंद्वियों को देखते हैं, जिस दर से वे बढ़ रहे हैं और इन प्रौद्योगिकियों को अपना रहे हैं, तो हमें उनके मुकाबले आगे निकलने के लिए एक लंबी दूरी तय करनी होगी। उन्होंने कहा कि यह दर और भी बढ़ती जा रही है और यह एक ऐसी चीज है जिसे हल करने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।

मुकाबले में डटे रहना होगा

सुब्रतो पार्क में आयोजित वायु एवं मिसाइल रक्षा संगोष्ठी के दौरान कई वक्ताओं ने विश्व में चल रहे विभिन्न संघर्षों से सीखे गए सबक पर चर्चा की। एयर मार्शल ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने विभिन्न बलों के बीच एकीकरण को प्रदर्शित किया है और कैसे “एकजुट” होकर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने जोर दिया कि अगर हमें किसी भी दिशा में कुछ प्राप्त करना है, तो हमें मुकाबले में डटे रहना होगा, आधुनिकीकरण करना होगा, निरंतर नवोन्मेष करना होगा और चुनौतियों से आगे रहना होगा। अन्यथा, हम पिछड़ जाएंगे।

तकनीकी उन्नति की आवश्यकता

एयर मार्शल सिंह ने बताया कि तेज गति से हो रही तकनीकी उन्नति ने न केवल आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि हमारे रक्षा प्रणालियों में भी इसका प्रवेश हो चुका है। जो कुछ साल पहले अकल्पनीय था, वह आज एक हकीकत है। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचारों और कार्यों में भी चुस्त और लचीला होना चाहिए। रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा करते हुए, उन्होंने बताया कि यह बहु-क्षेत्रीय युद्ध का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और भविष्य में आने वाले संघर्षों की एक झलक है।

इजराइल-हमास युद्ध का उल्लेख

एयर मार्शल सिंह ने इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने नभ, थल, समुद्र, साइबर, सूचना, और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में कई बलों के एकीकरण को प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा कि वायु क्षेत्र एक विलक्षण ‘ट्रांस-डोमेन लिंक’ के रूप में उभरा है और यह न केवल सहूलियत देता है, बल्कि एक की ताकत को कई गुना तक बढ़ा देता है।

योजनाएं बनाने की जरूरत

एयर मार्शल सिंह ने कहा कि यहां तक ​​कि शहरी युद्ध संरचना में भी वायु क्षेत्र का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है, फिर चाहे वो लड़ाकू विमानों का उपयोग हो जिनमें अति आधुनिक हथियार हों या दुर्जेय आयरन डोम (वायु रक्षा) प्रणाली हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस अत्यधिक सघन युद्धक्षेत्र में, हमें उपलब्ध संसाधनों का इष्टतम और अभिनव उपयोग करने की योजनाएं बनानी होंगी। साथ ही, उन्नयन या खरीद के माध्यम से अपनी प्रणालियों में सुधार करना होगा।

एयर मार्शल सिंह का स्पष्ट संदेश है कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए, हमें राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखना होगा। सभी संस्थाओं, उद्योगों और संगठनों को एकजुट होकर इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उद्यम करना है। यह आत्मनिर्भरता की राह पर मजबूती से डटे रहने का समय है, जहां देश की सुरक्षा को सर्वोपरि रखकर ही हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।

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