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इंटरव्यू में CMO ने तोड़ा Gen Z कैंडिडेट का दिल यूजर्स ने जमकर सुनाया; बोले- क्या मिला जलील करके?


I Broke Gen Z Heart: चेन्नई के एक शख्स ने सोशल मीडिया पर उस समय बहस छेड़ दी उसने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि उसने एक जनरेशन Z कैंडिडेट को नौकरी देने से मना कर दिया, क्योंकि उसने अपनी मौजूदा सैलरी से दोगुनी से भी ज्यादा की मांग की थी. एक सेल्फ एंप्लॉयड सीएमओ मारन रामलिंगम की वायरल लिंक्डइन पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, उन्होंने बताया,’वह खुश हैं कि उन्होंने एक जनरेशन Z का दिल तोड़ा. उन्होंने इंटरव्यू का अपना अनुभव शेयर किया कि कैंडिडेट की सोच से वह बहुत हैरान हुए.’
5 लाख थी सैलरी, मांगे 12 लाख
रामलिंगम के मुताबिक कैंडिडेट की मौजूदा सैलरी 5 लाख रुपये सालाना थी. शुरुआत में उसने एचआर से 8 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन इंटरव्यू के दौरान उसने इसे बढ़ाकर 12 लाख कर दिया. जब रामलिंगम ने इतनी बड़ी सैलरी बढ़ोतरी की वजह पूछी तो कैंडिडेट ने बड़े यकीन के साथ कहा,’मेरे पास स्किल्स हैं.’
काम में निकाली कमियां
रामलिंगम को उसका यह आत्मविश्वास पसंद आया लेकिन उन्होंने आगे पूछा,’ठीक है, अपना काम दिखाओ.’ कैंडिडेट ने जब अपना काम दिखाया तो रामलिंगम को यह औसत दर्जे का लगा, जिसे उन्होंने 5 लाख रुपये की मौजूदा सैलरी के लायक भी नहीं समझा. उन्होंने कैंडिडेट के काम की बारीकी से समीक्षा की और बताया कि उसमें क्या कमियां हैं.
‘मैं कर सकता हूं’ से बेहतर ‘मैंने किया है’
रामलिंगम ने लिखा कि उन्होंने कैंडिडेट को यह समझाने की कोशिश की कि आत्मविश्वास के साथ ठोस प्रमाण भी जरूरी होते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ ‘मैं कर सकता हूं’ कहने से ज्यादा वजन ‘मैंने किया है’ में होता है. उन्होंने कैंडिडेट को सीखने का मौका दिया और कहा कि ‘इंटरव्यू सिर्फ आंकी गई काबिलियत को परखने के लिए नहीं होते, बल्कि यह सिखाने का भी मौका होते हैं कि कोई बेहतर क्या कर सकता था.’
यूजर्स की प्रतिक्रिया
उनकी पोस्ट को सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गई और लोग भी तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने कैंडिडेट को जलील किया, जबकि कुछ ने उनकी सोच का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा,’क्या मिला एक कम सैलरी पाने वाले कर्मचारी को जलील करके? बस ईगो सैटिस्फैक्शन?’
कुछ कैंडिडेट सिर्फ लड़ने आते हैं
दूसरे यूजर ने कहा,’असल मुद्दा यह नहीं है कि मांग कितनी ज्यादा थी, बल्कि यह है कि क्या कंपनी का बजट और पद इस मांग को पूरा कर सकता था?.’ हालांकि कुछ लोग रामलिंगम के पक्ष में भी आए. एक यूजर ने लिखा,’कुछ कैंडिडेट्स इंटरव्यू में सिर्फ लड़ने के लिए आते हैं.’
5 लाख थी सैलरी, मांगे 12 लाख
रामलिंगम के मुताबिक कैंडिडेट की मौजूदा सैलरी 5 लाख रुपये सालाना थी. शुरुआत में उसने एचआर से 8 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन इंटरव्यू के दौरान उसने इसे बढ़ाकर 12 लाख कर दिया. जब रामलिंगम ने इतनी बड़ी सैलरी बढ़ोतरी की वजह पूछी तो कैंडिडेट ने बड़े यकीन के साथ कहा,’मेरे पास स्किल्स हैं.’
काम में निकाली कमियां
रामलिंगम को उसका यह आत्मविश्वास पसंद आया लेकिन उन्होंने आगे पूछा,’ठीक है, अपना काम दिखाओ.’ कैंडिडेट ने जब अपना काम दिखाया तो रामलिंगम को यह औसत दर्जे का लगा, जिसे उन्होंने 5 लाख रुपये की मौजूदा सैलरी के लायक भी नहीं समझा. उन्होंने कैंडिडेट के काम की बारीकी से समीक्षा की और बताया कि उसमें क्या कमियां हैं.
‘मैं कर सकता हूं’ से बेहतर ‘मैंने किया है’
रामलिंगम ने लिखा कि उन्होंने कैंडिडेट को यह समझाने की कोशिश की कि आत्मविश्वास के साथ ठोस प्रमाण भी जरूरी होते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ ‘मैं कर सकता हूं’ कहने से ज्यादा वजन ‘मैंने किया है’ में होता है. उन्होंने कैंडिडेट को सीखने का मौका दिया और कहा कि ‘इंटरव्यू सिर्फ आंकी गई काबिलियत को परखने के लिए नहीं होते, बल्कि यह सिखाने का भी मौका होते हैं कि कोई बेहतर क्या कर सकता था.’
यूजर्स की प्रतिक्रिया
उनकी पोस्ट को सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गई और लोग भी तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने कैंडिडेट को जलील किया, जबकि कुछ ने उनकी सोच का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा,’क्या मिला एक कम सैलरी पाने वाले कर्मचारी को जलील करके? बस ईगो सैटिस्फैक्शन?’
कुछ कैंडिडेट सिर्फ लड़ने आते हैं
दूसरे यूजर ने कहा,’असल मुद्दा यह नहीं है कि मांग कितनी ज्यादा थी, बल्कि यह है कि क्या कंपनी का बजट और पद इस मांग को पूरा कर सकता था?.’ हालांकि कुछ लोग रामलिंगम के पक्ष में भी आए. एक यूजर ने लिखा,’कुछ कैंडिडेट्स इंटरव्यू में सिर्फ लड़ने के लिए आते हैं.’
रामलिंगम के मुताबिक कैंडिडेट की मौजूदा सैलरी 5 लाख रुपये सालाना थी. शुरुआत में उसने एचआर से 8 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन इंटरव्यू के दौरान उसने इसे बढ़ाकर 12 लाख कर दिया. जब रामलिंगम ने इतनी बड़ी सैलरी बढ़ोतरी की वजह पूछी तो कैंडिडेट ने बड़े यकीन के साथ कहा,’मेरे पास स्किल्स हैं.’
काम में निकाली कमियां
रामलिंगम को उसका यह आत्मविश्वास पसंद आया लेकिन उन्होंने आगे पूछा,’ठीक है, अपना काम दिखाओ.’ कैंडिडेट ने जब अपना काम दिखाया तो रामलिंगम को यह औसत दर्जे का लगा, जिसे उन्होंने 5 लाख रुपये की मौजूदा सैलरी के लायक भी नहीं समझा. उन्होंने कैंडिडेट के काम की बारीकी से समीक्षा की और बताया कि उसमें क्या कमियां हैं.
‘मैं कर सकता हूं’ से बेहतर ‘मैंने किया है’
रामलिंगम ने लिखा कि उन्होंने कैंडिडेट को यह समझाने की कोशिश की कि आत्मविश्वास के साथ ठोस प्रमाण भी जरूरी होते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ ‘मैं कर सकता हूं’ कहने से ज्यादा वजन ‘मैंने किया है’ में होता है. उन्होंने कैंडिडेट को सीखने का मौका दिया और कहा कि ‘इंटरव्यू सिर्फ आंकी गई काबिलियत को परखने के लिए नहीं होते, बल्कि यह सिखाने का भी मौका होते हैं कि कोई बेहतर क्या कर सकता था.’
यूजर्स की प्रतिक्रिया
उनकी पोस्ट को सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गई और लोग भी तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने कैंडिडेट को जलील किया, जबकि कुछ ने उनकी सोच का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा,’क्या मिला एक कम सैलरी पाने वाले कर्मचारी को जलील करके? बस ईगो सैटिस्फैक्शन?’
कुछ कैंडिडेट सिर्फ लड़ने आते हैं
दूसरे यूजर ने कहा,’असल मुद्दा यह नहीं है कि मांग कितनी ज्यादा थी, बल्कि यह है कि क्या कंपनी का बजट और पद इस मांग को पूरा कर सकता था?.’ हालांकि कुछ लोग रामलिंगम के पक्ष में भी आए. एक यूजर ने लिखा,’कुछ कैंडिडेट्स इंटरव्यू में सिर्फ लड़ने के लिए आते हैं.’
रामलिंगम को उसका यह आत्मविश्वास पसंद आया लेकिन उन्होंने आगे पूछा,’ठीक है, अपना काम दिखाओ.’ कैंडिडेट ने जब अपना काम दिखाया तो रामलिंगम को यह औसत दर्जे का लगा, जिसे उन्होंने 5 लाख रुपये की मौजूदा सैलरी के लायक भी नहीं समझा. उन्होंने कैंडिडेट के काम की बारीकी से समीक्षा की और बताया कि उसमें क्या कमियां हैं.
‘मैं कर सकता हूं’ से बेहतर ‘मैंने किया है’
रामलिंगम ने लिखा कि उन्होंने कैंडिडेट को यह समझाने की कोशिश की कि आत्मविश्वास के साथ ठोस प्रमाण भी जरूरी होते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ ‘मैं कर सकता हूं’ कहने से ज्यादा वजन ‘मैंने किया है’ में होता है. उन्होंने कैंडिडेट को सीखने का मौका दिया और कहा कि ‘इंटरव्यू सिर्फ आंकी गई काबिलियत को परखने के लिए नहीं होते, बल्कि यह सिखाने का भी मौका होते हैं कि कोई बेहतर क्या कर सकता था.’
यूजर्स की प्रतिक्रिया
उनकी पोस्ट को सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गई और लोग भी तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने कैंडिडेट को जलील किया, जबकि कुछ ने उनकी सोच का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा,’क्या मिला एक कम सैलरी पाने वाले कर्मचारी को जलील करके? बस ईगो सैटिस्फैक्शन?’
कुछ कैंडिडेट सिर्फ लड़ने आते हैं
दूसरे यूजर ने कहा,’असल मुद्दा यह नहीं है कि मांग कितनी ज्यादा थी, बल्कि यह है कि क्या कंपनी का बजट और पद इस मांग को पूरा कर सकता था?.’ हालांकि कुछ लोग रामलिंगम के पक्ष में भी आए. एक यूजर ने लिखा,’कुछ कैंडिडेट्स इंटरव्यू में सिर्फ लड़ने के लिए आते हैं.’
रामलिंगम ने लिखा कि उन्होंने कैंडिडेट को यह समझाने की कोशिश की कि आत्मविश्वास के साथ ठोस प्रमाण भी जरूरी होते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ ‘मैं कर सकता हूं’ कहने से ज्यादा वजन ‘मैंने किया है’ में होता है. उन्होंने कैंडिडेट को सीखने का मौका दिया और कहा कि ‘इंटरव्यू सिर्फ आंकी गई काबिलियत को परखने के लिए नहीं होते, बल्कि यह सिखाने का भी मौका होते हैं कि कोई बेहतर क्या कर सकता था.’
यूजर्स की प्रतिक्रिया
उनकी पोस्ट को सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गई और लोग भी तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने कैंडिडेट को जलील किया, जबकि कुछ ने उनकी सोच का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा,’क्या मिला एक कम सैलरी पाने वाले कर्मचारी को जलील करके? बस ईगो सैटिस्फैक्शन?’
कुछ कैंडिडेट सिर्फ लड़ने आते हैं
दूसरे यूजर ने कहा,’असल मुद्दा यह नहीं है कि मांग कितनी ज्यादा थी, बल्कि यह है कि क्या कंपनी का बजट और पद इस मांग को पूरा कर सकता था?.’ हालांकि कुछ लोग रामलिंगम के पक्ष में भी आए. एक यूजर ने लिखा,’कुछ कैंडिडेट्स इंटरव्यू में सिर्फ लड़ने के लिए आते हैं.’
उनकी पोस्ट को सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गई और लोग भी तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने कैंडिडेट को जलील किया, जबकि कुछ ने उनकी सोच का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा,’क्या मिला एक कम सैलरी पाने वाले कर्मचारी को जलील करके? बस ईगो सैटिस्फैक्शन?’
कुछ कैंडिडेट सिर्फ लड़ने आते हैं
दूसरे यूजर ने कहा,’असल मुद्दा यह नहीं है कि मांग कितनी ज्यादा थी, बल्कि यह है कि क्या कंपनी का बजट और पद इस मांग को पूरा कर सकता था?.’ हालांकि कुछ लोग रामलिंगम के पक्ष में भी आए. एक यूजर ने लिखा,’कुछ कैंडिडेट्स इंटरव्यू में सिर्फ लड़ने के लिए आते हैं.’
दूसरे यूजर ने कहा,’असल मुद्दा यह नहीं है कि मांग कितनी ज्यादा थी, बल्कि यह है कि क्या कंपनी का बजट और पद इस मांग को पूरा कर सकता था?.’ हालांकि कुछ लोग रामलिंगम के पक्ष में भी आए. एक यूजर ने लिखा,’कुछ कैंडिडेट्स इंटरव्यू में सिर्फ लड़ने के लिए आते हैं.’

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