असम की तर्ज़ पर ओडिशा में घुसपैठियों पर कसा शिकंजा
ओडिशा सरकार ने घुसपैठियों के खिलाफ अपने कदम तेज कर दिए हैं, जैसे असम सरकार ने बरपेटा में किया था। असम में हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने 28 घुसपैठियों को ट्रांजिट भेजा था जिसके बाद घुसपैठियों का मुद्दा चर्चा का विषय बना। अब ओडिशा की मोहन माझी सरकार ने राज्य में घुसपैठियों की पहचान करने के लिए अभियान शुरू किया है।
क्या है मुख्यमंत्री मोहन माझी का प्लान
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने राज्य के 30 में से 12 जिलों में घुसपैठियों को पहचानने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस बड़े अभियान के तहत कलेक्टरों और पुलिस अधिकारियों को तहसील स्तर पर टीम बनाने के आदेश दिए गए हैं। निवासियों के दस्तावेज़ों की जांच करने और जांच रिपोर्ट को सरकार तक पहुँचाने, समुद्र से सटे इलाकों में 24 घंटे गश्त करने, और नदी किनारों पर 18 नए पुलिस थानों की स्थापना के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य में 3740 घुसपैठिए रह रहे हैं
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने विधानसभा में बताया कि राज्य में कुल 3740 घुसपैठिए रह रहे हैं। इन घुसपैठियों की संख्या को जिलों के हिसाब से बांटा गया है। सबसे ज्यादा घुसपैठिए केंद्रपाड़ा जिले में पाए गए हैं, जहां 1649 घुसपैठियों की पहचान हुई है। इसके अलावा जगत सिंह पुर में 1112, मलकानगिरी में 655, भद्रक में 199, और नबरंगपुर में 106 घुसपैठियों की मौजूदगी की जानकारी मिली है।
ओडिशा सरकार की आशंका
सरकार का मानना है कि घुसपैठियों की संख्या इससे भी अधिक हो सकती है और इसी कारण से यह व्यापक अभियान शुरू किया गया है। हालांकि, विपक्षी कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सिर्फ कागजों पर योजना बनाने से कुछ नहीं होगा और जल्द से जल्द कदम उठाए जाने चाहिए।
बीजेपी शासित राज्यों में ही घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों?
यह सवाल उठ रहा है कि असम से लेकर ओडिशा तक केवल बीजेपी शासित राज्यों में ही घुसपैठियों को पकड़ने और पहचानने की कोशिश क्यों की जा रही है। असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर इस साल जनगणना के साथ NRC लागू किया गया तो देश के अन्य हिस्सों में भी बरपेटा जैसी घटनाएं हो सकती हैं।
क्या कहता है विपक्ष
विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि यह अभियान सिर्फ एक राजनीतिक चाल हो सकता है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केवल प्लानिंग से कुछ नहीं होगा, इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
घुसपैठियों की हिमायत और इसका असर
पहले मानवता और अब लिबरल जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर घुसपैठियों के लिए समर्थन जुटाया जा रहा है। यही वो सोच है जो आज भारत में लाखों घुसपैठियों की फौज को जन्म देती है जो न सिर्फ देश की सुरक्षा बल्कि सामाजिक ताने बाने के लिए भी खतरा बन गए हैं।
मोहन माझी के निर्देश
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने कलेक्टर और पुलिस अधिकारियों को तहसील स्तर पर टीम बनाने, निवासियों के दस्तावेज़ों की जांच, रिपोर्ट सरकार तक पहुँचाने, समुद्र के किनारों पर 24 घंटे गश्त, और नए पुलिस थानों की स्थापना के निर्देश दिए हैं। इन कार्यों का उद्देश्य राज्य में घुसपैठियों की सही संख्या का पता लगाना और उन्हें नियंत्रित करना है।
आखिरी परिणाम
ओडिशा सरकार की इन तैयारियों का असली मकसद राज्य में घुसपैठियों की अधिकतम संख्या को जानना और उन्हें तत्काल प्रभाव से पहचानना है। हालांकि, विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि यह अभियान सिर्फ कागजों पर नहीं रहना चाहिए बल्कि इसे जमीनी स्तर पर उतारने की आवश्यकता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही घुसपैठियों की पहचान करने के प्लान पर सहमत हैं, मगर कार्यान्वयन की दिशा में अलग-अलग विचारधारा रखते हैं।
असम से लेकर ओडिशा तक केवल बीजेपी शासित राज्यों में ही ऐसी कार्रवाई क्यों की जा रही है, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। असदुद्दीन ओवैसी और अन्य विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। चाहे जो भी हो, इस अभियान का असर राज्य की सुरक्षा और सामाजिक संरचना पर महत्वपूर्ण होगा।