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कक्षा 1 के बच्चों की फीस डेढ़ लाख से घटाकर 36 हजार कराई विधानसभा में क्या बोले मंत्री?


Ahmedabad School Fee: गुजरात सरकार ने अहमदाबाद के गोटा इलाके में स्थित अल्फा इंटरनेशनल स्कूल की वार्षिक फीस में बड़ी कटौती की है. पहले कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों की फीस 1.40 लाख रुपये थी जिसे अब घटाकर 36,000 रुपये कर दिया गया है. इसी तरह कक्षा 4 से 6 के लिए 41,000 रुपये, कक्षा 7 और 8 के लिए 42,000 रुपये और कक्षा 9 व 10 के लिए 45,000 रुपये तय किए गए हैं. गुजरात के शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने बुधवार को विधानसभा में यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल को उन अभिभावकों को अतिरिक्त वसूली गई फीस वापस लौटाने का निर्देश दिया गया है जिन्होंने पहले ही पूरी राशि जमा कर दी थी.
स्कूलों द्वारा फर्जी खर्च दिखाकर फीस बढ़ाने के आरोप?
असल में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री डिंडोर यह जवाब कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला के एक सवाल के जवाब में दे रहे थे. खेड़ावाला ने अहमदाबाद जोन में बीते दो वर्षों में निजी स्कूलों द्वारा फर्जी खर्च दिखाकर फीस बढ़ाने के आरोपों पर सरकार से कार्रवाई की मांग की थी. हालांकि मंत्री ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है और न ही किसी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है.
फीस नियंत्रण समिति (FRC) 
डिंडोर ने बताया कि सरकार ने गुजरात सेल्फ फाइनेंस्ड स्कूल्स फीस विनियमन अधिनियम 2017 के तहत फीस नियंत्रण समिति (FRC) बनाई है. जो निजी स्कूलों की फीस तय करने का काम करती है. निजी स्कूलों को अपनी फीस का प्रस्ताव FRC के सामने रखना होता है जहां गहन जांच के बाद उसे मंजूरी दी जाती है या संशोधित किया जाता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूलों की ओर से प्रस्तुत खर्च का ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाता है और अवैध खर्चों को FRC द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है.
मंत्री ने यह भी बताया कि FRC केवल ट्यूशन फीस पर निर्णय लेती है और अन्य सेवाओं जैसे परिवहन, हॉस्टल, स्विमिंग या घुड़सवारी जैसी सुविधाओं की फीस को मंजूरी नहीं देती. इस फैसले से हजारों अभिभावकों को राहत मिली है. मंत्री ने बताया कि यह सरकार की शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
स्कूलों द्वारा फर्जी खर्च दिखाकर फीस बढ़ाने के आरोप?
असल में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री डिंडोर यह जवाब कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला के एक सवाल के जवाब में दे रहे थे. खेड़ावाला ने अहमदाबाद जोन में बीते दो वर्षों में निजी स्कूलों द्वारा फर्जी खर्च दिखाकर फीस बढ़ाने के आरोपों पर सरकार से कार्रवाई की मांग की थी. हालांकि मंत्री ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है और न ही किसी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है.
फीस नियंत्रण समिति (FRC) 
डिंडोर ने बताया कि सरकार ने गुजरात सेल्फ फाइनेंस्ड स्कूल्स फीस विनियमन अधिनियम 2017 के तहत फीस नियंत्रण समिति (FRC) बनाई है. जो निजी स्कूलों की फीस तय करने का काम करती है. निजी स्कूलों को अपनी फीस का प्रस्ताव FRC के सामने रखना होता है जहां गहन जांच के बाद उसे मंजूरी दी जाती है या संशोधित किया जाता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूलों की ओर से प्रस्तुत खर्च का ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाता है और अवैध खर्चों को FRC द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है.
मंत्री ने यह भी बताया कि FRC केवल ट्यूशन फीस पर निर्णय लेती है और अन्य सेवाओं जैसे परिवहन, हॉस्टल, स्विमिंग या घुड़सवारी जैसी सुविधाओं की फीस को मंजूरी नहीं देती. इस फैसले से हजारों अभिभावकों को राहत मिली है. मंत्री ने बताया कि यह सरकार की शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
फीस नियंत्रण समिति (FRC) 
डिंडोर ने बताया कि सरकार ने गुजरात सेल्फ फाइनेंस्ड स्कूल्स फीस विनियमन अधिनियम 2017 के तहत फीस नियंत्रण समिति (FRC) बनाई है. जो निजी स्कूलों की फीस तय करने का काम करती है. निजी स्कूलों को अपनी फीस का प्रस्ताव FRC के सामने रखना होता है जहां गहन जांच के बाद उसे मंजूरी दी जाती है या संशोधित किया जाता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूलों की ओर से प्रस्तुत खर्च का ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाता है और अवैध खर्चों को FRC द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है.
मंत्री ने यह भी बताया कि FRC केवल ट्यूशन फीस पर निर्णय लेती है और अन्य सेवाओं जैसे परिवहन, हॉस्टल, स्विमिंग या घुड़सवारी जैसी सुविधाओं की फीस को मंजूरी नहीं देती. इस फैसले से हजारों अभिभावकों को राहत मिली है. मंत्री ने बताया कि यह सरकार की शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
मंत्री ने यह भी बताया कि FRC केवल ट्यूशन फीस पर निर्णय लेती है और अन्य सेवाओं जैसे परिवहन, हॉस्टल, स्विमिंग या घुड़सवारी जैसी सुविधाओं की फीस को मंजूरी नहीं देती. इस फैसले से हजारों अभिभावकों को राहत मिली है. मंत्री ने बताया कि यह सरकार की शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.

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