कर्नल शेखावत का गौरवशाली इतिहास
कर्नल आर.के. शेखावत, जिन्होंने 1999 कारगिल युद्ध के दौरान अपनी बेजोड़ रणनीतिक क्षमता और नेतृत्व से पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, अब उनकी विरासत उनके बेटे मेजर रणजीत शेखावत ने संभाल ली है। कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ पर इस परिवार के साहस और देशभक्ति की कहानियाँ एक बार फिर जनमानस के बीच उजागर हो रही हैं।
सेना में ‘फॉरएवर इन ऑपरेशंस’ का दर्जा प्राप्त 8-माउंटेन डिवीजन
भारतीय सेना की 8-माउंटेन डिवीजन, जिसे ‘फॉरएवर इन ऑपरेशंस’ के नाम से जाना जाता है, ने 1999 के कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस डिवीजन ने द्रास और मस्कोह सेक्टरों में पाकिस्तान के घुसपैठियों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई का नेतृत्व किया था। यह डिवीजन अभी भी अपने उच्च स्तरीय ऑपरेशंस के लिए जाना जाता है और आज मेजर रणजीत शेखावत इसकी कमान संभाल रहे हैं।
कारगिल विजय और जनरल आर.के. शेखावत की भूमिका
कारगिल विजय के समय 8-माउंटेन डिवीजन के प्रमुख रहे जनरल आर.के. शेखावत ने अपने नेतृत्व से सेना को न केवल महत्वपूर्ण विजय दिलाई बल्कि भारतीय सेना की प्रतिष्ठा को भी नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनकी रणनीतिक सोच और समर्पण का सम्मान आज भी हर भारतीय करता है।
जनरल शेखावत का पारिवारिक गौरव
रिपोर्ट्स के अनुसार, कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर भारतीय सेना द्वारा आयोजित समारोहों में भाग लेने के लिए जनरल आर.के. शेखावत द्रास पहुँचे। जब उनसे उनके बेटे के वर्तमान नेतृत्व के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सरलता से यह कहा कि उनके बेटे मेजर रणजीत शेखावत के लिए यह एक गर्व का विषय है कि वह उसी डिवीजन की कमान संभाल रहे हैं जिसने कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
दिवीजन मुख्यालय: खुंबाथांग
भारतीय सेना के 8-माउंटेन डिवीजन का मुख्यालय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के खुंबाथांग में स्थित है। यह मुख्यालय नियंत्रण रेखा की देखभाल का महत्वपूर्ण कार्य संभालता है। यह डिवीजन वर्तमान में सेना की XIV कोर का हिस्सा है, जो लेह में स्थित है। इससे पहले यह डिवीजन उत्तर-पूर्वी सेक्टर में स्थित था और जनरल आर.के. शेखावत द्वारा इसे कश्मीर में ट्रांसफर किया गया था।
ऑपरेशंस का ड्राफ्ट और युद्धकाल के वीरता पुरस्कार
कारगिल युद्ध के दौरान, 8-माउंटेन डिवीजन ने पूरे सैन्य अभियान का मसौदा तैयार किया और प्रभावी क्षेत्र पर पुनः कब्जे के लिए दुश्मन पर घातक हमले किए। इस डिवीजन के अंतर्गत लड़ रहे सैनिकों को तीन परमवीर चक्र और आठ महावीर चक्र जैसे युद्धकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिए गए।
परिवार की सैन्य सेवा की विरासत
कर्नल आर.के. शेखावत और उनके बेटे मेजर रणजीत शेखावत दोनों ने सिख लाइट इन्फैंट्री (सिख एलआई) में सेवा की शुरुआत की थी। कर्नल शेखावत की पत्नी ने भी सेना में डॉक्टर के रूप में सेवा की थी और बाद में ओएनजीसी में जॉइन किया। परिवार की यह परंपरा उनके बेटे और बेटी के बाद भी आगे बढ़ रही है।
महिला शक्ति: डॉ. रंजना शेखावत
डॉ. रंजना शेखावत, जोकि कर्नल आर.के. शेखावत की पत्नी हैं, ने भी सेना में डॉक्टर के रूप में सेवा दी थी। उनका कैप्टन पद के रूप में सेना में की सेवा के बाद ओएनजीसी में शामिल होना उनकी सेवा भावना और समर्पण का उदाहरण है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रियता
जनरल शेखावत की बेटी नमिता ने भारत में इंजीनियरिंग करने के बाद एमबीए की पढ़ाई अमेरिका से की और अब वह वहाँ फाइनेंस सेक्टर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उनका यह अंतरराष्ट्रीय सफलता भी परिवार की प्रतिभा और समर्पण का प्रतीक है।
कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ एक महत्वपूर्ण अवसर है जब हम उन सभी वीरों को याद करते हैं जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। कर्नल आर.के. शेखावत और उनके परिवार की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि भारतीय सेना की विजया यात्राओं और उसकी अमर गाथाओं की भी झलक दिखाती है।
भारत माता की जय!